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‘अर्जुन कर्ण जैसे योद्धा तैयार होंगे यहां…’, लाक्षागृह पर मालिकाना हक मिलने के बाद बोले प्राचार्य | UP Baghpat Mazar and lakshagraha dispute court give decision in favour of hindu stwn

'अर्जुन-कर्ण जैसे योद्धा तैयार होंगे यहां...', लाक्षागृह पर मालिकाना हक मिलने के बाद बोले प्राचार्य

53 साल से चल रहे विवाद में हिंदू पक्ष को मिला मालिकाना हक

उत्तर प्रदेश के बागपत के लाक्षागृह पर हिंदुओ के पक्ष में फैसला आ गया है, अदालत ने मुस्लिम पक्ष के दावे को खारिज कर दिया और 5000 साल पुरानी सभ्यता समेटे महाभारतकालीन लाक्षागृह पर अब हिंदुओं का मालिकाना हक है. इस फैसले के बाद लाक्षागृह सुर्खियों में आ गया है, क्योंकि कौरव और पांडवों का इतिहास फिर जिंदा हो गया है. साल 1970 में बरनावा लाक्षागृह को मुकीम खां ने बदरुद्दीन की दरगाह और कब्रिस्तान होने का दावा करते हुए मेरठ की कोर्ट में वाद दायर किया था.

मुकीम खां ने कृष्णदत्त महाराज को प्रतिवादी बनाया था. 1997 में ये केस बागपत ट्रांसवर कर दिया गया. 875 तारीख, 53 साल 8 महीने का वक्त और आखिरकार तमाम दलील सुनने के बाद सिविल जज जूनियर डिविजन ने लाक्षागृह पर दरगाह और कब्रिस्तान के मुस्लिम पक्ष के दावे को खारिज कर दिया. एएसआई की रिपोर्ट और दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष बेहद खुश है. उनका कहना है मुस्लिम पक्ष का दावा बेवजह था, ये महाभारतकाल का लाक्षागृह है और अदालत ने भी यही माना.

उच्च अदालत में करेंगे अपील

मुस्लिम पक्ष लाक्षागृह पर अपने दावे से पीछे हटने को तैयार नहीं है. मुस्लिम पक्षकार इरशाद खान का कहना है कि उनके पास संबंधित डॉक्यूमेंट हैं. फैसला गलत है और हमारा दावा मजबूत है, जो सुरंग पांडवो की बता रहें हैं वो हमारे आदमी ने खोदी थी और हम अब उच्च अदालत में अपील करेंगे.

मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यहां शेख बदरुद्दीन की दरगाह और कब्रिस्तान था, जबकि हिंदू पक्ष का कहना है कि यहां यज्ञशाला थी और तमाम प्रमाण और नक्काशी खुद कहानी बयां कर रही है. ऊपर के तरफ कुंडा है और चारों तरफ की नक्काशी खुद कहानी बयां कर रही हैं. लाक्षागृह पर मुस्लिम पक्ष का दावा खत्म होने के बाद यहां के प्राचार्य ने गुरुकुल की तर्ज पर धनुर्धर तैयार करने की तैयारी कर ली है.

अर्जुन जैसे छात्र होंगे तैयार

गुरुकुल श्री महानन्द संस्कृत माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य अरविंद कुमार ने कहा है कि यहां इस फैसले के बाद अब अर्जुन, अश्वत्थामा, कर्ण जैसे योद्धा यहां तैयार करने का हर प्रयास किया जाएगा. अपने पक्ष में फैसला आने पर मार्च में होने वाला कार्यक्रम अब और बड़ा करने की तैयारी कर ली है. हर तरफ लाक्षागह की चर्चा है. हिंदू पक्ष खुश है मुस्लिम पक्ष इस फैसले को सही नहीं ठहरा रहा है.

ये सुरंग हजारों साल पहले बनाई गई थी. पांडवो की इसी सुरंग की वजह से जान बची थी. युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव और माता कुंती इसी सुरंग से जिंदा बचाकर निकले थे. विदुर ने दुर्योधन और मामा शकुनि के षड्यंत्र को असफल कर दिया था. ये एक ऐसी साजिश थी, जिसके प्रमाण आज भी यहां मौजूद हैं. बड़े बड़े अभिलेख यहां लगाए गए हैं, जिस पर लाक्षागृह और कौरवों पांडवो को लेकर लेख लिखे गए हैं.

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