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आसमान से उगलती आग, चुनाव प्रचार से कार्यकर्ता गायब… सोशल मीडिया वालंटियर्स की शरण में प्रत्याशी | Workers are not coming out in the scorching sun, parties have come up with a new option For Elections campaign In Prayagraj

आसमान से उगलती आग, चुनाव प्रचार से कार्यकर्ता गायब... सोशल मीडिया वालंटियर्स की शरण में प्रत्याशी

सोशल मीडिया वालंटियर्स की शरण में प्रत्याशी

इस वक्त पूरा उत्तर भारत भीषण गर्मी की चपेट में है. प्रयागराज में तो तापमान 42 डिग्री से नीचे नहीं आ रहा है. आलम ये है की आम लोग तो आम लोग, आसमान से बरस रही इस आग के चलते चुनाव में किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों को भी चुनावी जनसंपर्क अभियान के लिए कार्यकर्ता तक नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में मजबूर होकर प्रत्याशी सोशल मीडिया वोलेंटियर्स की शरण में जा रहे हैं जिनके जरिए अब प्रत्याशी वोटर्स तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.

लोकतंत्र के महापर्व आम चुनाव में अप्रैल के महीने में ही आसमान छू रहे तापमान के पारे ने सियासी दलों के पसीने छुड़ा दिए हैं. चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं की अहमियत बहुत ज्यादा होती है, क्योंकि ग्राउंड पर काम करने वाले तो वही होते हैं. सियासी दलों के यहीं आंख कान रूपी कार्यकर्ता इस बार पार्टी कार्यालय में नजर नहीं आ रहे हैं. आसमान से सूरज आंखे तरेर रहा है, लिहाजा पार्टी की लाख मिन्नतें करने के बाद भी पार्टी कार्यकर्ता इस चिलचिलाती गर्मी में घर से निकलने से बच रहे हैं. इससे दलों का जन संपर्क अभियान ठंडा पड़ गया है.

सियासी दलों ने खोज लिया नया विकल्प

लेकिन कार्यकर्ता हों या ना हों जनता तक तो जाना ही है ऐसे में मजबूर होकर सियासी दलों ने इसका एक विकल्प खोज लिया है. इलाके में प्रत्याशियों के साथ जन संपर्क के लिए जाने वाले कर्तकर्ताओं की जगह अब सोशल मीडिया वोलेंटियर्स ले रहे हैं. प्रयागराज में फूलपुर लोकसभा सीट के लिए भाजपा ने इसकी शुरुआत की है. इसके लिए बाकायदा सोशल मीडिया वोलेंटियर्स सम्मेलन तक पार्टी ने आयोजित किया है जिसमें ऐसे लोगों को ढूंढ़ा जा रहा है जो पार्टी का प्रचार घर-घर तक कर सकें.

ऐसे पहुंच रही घर-घर तक बात

इसके पहले सियासी दलों ने दिहाड़ी करने वाले श्रमिकों को भी अपने साथ चुनावी संपर्क अभियान में जोड़ा था लेकिन श्रमिक झंडा उठाने और नारे लगाने जैसे केवल फिजिकल काम में कारगर साबित हुए थे. वोटर्स को पार्टी की विचारधारा के बारे में समझाने में ये कारगर साबित नहीं हुए, इसलिए इनसे सारे चुनावी काम नहीं लिए जा सकते थे. ऐसे में प्रत्याशियों ने सोशल मीडिया वोलेंटियर्स की मदद ली है जो बिना इलाके में निकले विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म में प्रत्याशियों की बात वोटर्स तक पहुंचा रहे हैं.

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