उत्तर प्रदेशभारत

कांग्रेस में हार पर रार, यूपी में नहीं होता भितरघात तो नतीजे होते कुछ और | congress defeat up politics ajay rai Avinash Pandey lok sabha election 2024 result

कांग्रेस में हार पर रार, यूपी में नहीं होता भितरघात तो नतीजे होते कुछ और

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय

चुनाव में बीजेपी ने ही बीजेपी को हरा दिया. नतीजे आने के बाद से यही ट्रेंड में है. बीजेपी के अंदर और बाहर बस इस पर बहस जारी है. कहने का मतलब ये है कि पार्टी में कलह के कारण कई नेता चुनाव हार गए. लेकिन कांग्रेस में भी इस बात की बड़ी चर्चा है. कहा जा रहा है कि भितरघात नहीं होता तो कांग्रेस का रिजल्ट कुछ और होता. कांग्रेस पार्टी 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इनमें से 6 पर जीत गई. बाकी के 11 सीटों पर उसे हार मिली. अब इनमें से ही कुछ सीटों के नतीजों को लेकर पार्टी के अंदर माहौल गरम है.

कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडे ने शुक्रवार को लखनऊ में बैठक बुलाई थी. इसमें सभी हारे हुए उम्मीदवारों को बुलाया गया था. एजेंडा था हार की समीक्षा. बैठक में हार की समीक्षा कम हुई लेकिन जीत को लेकर सबने अपनी पीठ थपथपाई. यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय भी इस बैठक में मौजूद रहे. खबर थी कि चुनाव हारे कुछ नेता इस बैठक में पार्टी के विभीषणों की पोल खोलने वाले थे. इसीलिए पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक भी इसके साथ कर दी गई. फार्मूला ये कि ‘न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी’. यही हुआ.

जिन नेताओं को चुनाव में भीतरघात का सामना करना पड़ा वे बैठक में चुप रहे. बांसगांव से चुनाव लड़े सदल प्रसाद अब भी अपना हार मानने को तैयार नहीं हैं. उन्हें लगता है उनके साथ खेल हुआ है. बीजेपी से वे सिर्फ 3150 वोटों से हारे हैं. उनका कहना है कि वोटों की फिर से गिनती के लिए पार्टी ने उनका साथ नहीं दिया. अब वे इस मामले को अदालत ले जाना चाहते हैं. वे देश के कुछ जाने माने वकीलों से संपर्क में हैं. सदल प्रसाद के करीबी लोगों का मानना है कि पार्टी के कुछ स्थानीय नेताओं ने उनके खिलाफ काम किया.

देवरिया से चुनाव लड़े अखिलेश प्रताप सिंह की भी ऐसी ही शिकायत है. मीटिंग में तो वे कुछ नहीं बोले. पर उनका मन दुखी है. उन्होंने अपने मन की बात दिल्ली जाकर ऊपर पहुंचाने की ठानी है. उनके एक करीबी नेता ने बताया कि पार्टी के एक पूर्व विधायक लगातार उनके खिलाफ प्रचार करते रहे. उनकी विधानसभा में कांग्रेस को बहुत कम वोट मिले. जबकि अखिलेश प्रताप सिंह इस बार देवरिया का लोकसभा चुनाव 34842 वोटों से हार गए. उनके लोग बताते हैं कि पार्टी के कुछ नेताओं ने जान बूझ कर उनके यहां राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का कार्यक्रम नहीं होने दिया. जबकि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह को गांधी नेहरू परिवार का करीबी समझा जाता है. कहा जा रहा है कि पार्टी के एक राष्ट्रीय सचिव ने ऊपर बता दिया कि अखिलेश अपने यहां राहुल और प्रियंका का चुनाव प्रचार नहीं चाहते हैं.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने देवरिया जाकर अखिलेश प्रताप सिंह के लिए वोट मांगे थे. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन अखिलेश यादव महाराजगंज भी गए थे. यहां से कांग्रेस के टिकट पर वीरेन्द्र चौधरी चुनाव लड़ रहे थे. आराधन मिश्रा के अलावा वे यूपी में पार्टी के दूसरे विधायक हैं. उन्हें भी लगता है कि अगर उनके यहां राहुल या प्रियंका गांधी चुनाव प्रचार के लिए आ गए होते तो वे आज सांसद होते. यहां से मोदी सरकार में मंत्री पंकज चौधरी सिर्फ 35 हजार वोटों से जीत पाए.

कांग्रेस के एक सीनियर लीडर का दावा है कि अगर कांग्रेस बेहतर तरीके से चुनाव लड़ती तो वो कम से कम दस सीटों पर चुनाव जीत सकती थी. 2009 के लोकसभा चुनाव बाद पहली बार कांग्रेस में जान आई है. पिछले चुनाव में तो पार्टी सिर्फ एक सीट जीत पाई थी. राहुल गांधी तक अमेठी से चुनाव हार गए थे. चुनाव हारे कई नेता अब राहुल गांधी से मिल कर अपनी बात बताना चाहते हैं.

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button