काशी में अब गंगा आरती कराने वालों को देना होगा रेंट, हर घाट पर अलग-अलग होगा किराया!


वाराणसी गंगा आरती.
देव दीपावली के बाद अब वाराणसी की दैनिक गंगा आरती को लेकर भी प्रशासनिक हस्तक्षेप की संभावना बनने लगी है. गंगा आरती कराने वाली संस्थाओं को अब गंगा आरती कराने का किराया देना होगा. वाराणसी के महत्वपूर्ण 84 घाटों के करीब एक दर्जन से ज्यादा घाटों पर इस समय सुबह-शाम गंगा आरती होती है. गंगा घाट नियमावली-2025 बनाने पर वाराणसी नगर निगम में काम शुरू हो गया है.
नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने बताया कि दुनिया भर से लोग काशी की गंगा आरती देखने आते हैं, लेकिन घाटों पर गंदगी और अवैध अतिक्रमण देख कर उनके मन में शहर की अच्छी तस्वीर नहीं बनती, लिहाजा नगर निगम अपने कर्त्तव्य से पीछे नहीं हट सकता. आरती कराने वाले आयोजकों से रेंट लेने के अलावा गंदगी करने वालों पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है. रोजाना एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु गंगा आरती में शामिल होते हैं.
आयोजकों से सुझाव लिया जाएगा
नियमावली बनाते समय हम आयोजकों को भी आमंत्रित करेंगे और उनके सुझाव भी लेंगे. कई बार आयोजक गंगा आरती कराते हैं, लेकिन स्वच्छता का ख्याल नहीं रखा जाता. दूसरा ऐसे आयोजनों में सरकारी जमीन का प्रयोग हो रहा है तो इन सब कारणों से ही एक नियमावली बनाने की आवश्यकता महसूस की गई.
इस समय वाराणसी के जिन महत्वपूर्ण घाटों पर दैनिक गंगा आरती हो रही है, उनमें दशास्वामेध घाट, अस्सी घाट, शीतला घाट, तुलसी घाट, पंचगंगा घाट, ललिता घाट, केदार घाट, और मान मंदिर घाट पर लोगों की ज्यादा भीड़ होती है. नगर निगम के इस प्रस्ताव से आयोजक सहमत नहीं दिख रहे हैं.
वाराणसी के लोगों ने शुरू की गंगा आरती
गंगा सेवा निधि के प्रमुख सुशांत मिश्रा ने टीवी9 डिजिटल से बातचीत में कहा कि गंगा आरती वारामणी के लोगों द्वारा शुरू की गई थी. आज जो आरती का भव्यतम स्वरुप है, वो आयोजकों और यहां के लोगों की सहभागिता से है. यहां तक की देव दीपावली का भी दिव्य एवं भव्य स्वरूप गंगा महाआरती की ही वजह से दिखता है. अब अगर नगर निगम किराए की बात करता है. प्रशासनिक हस्तक्षेप की कोशिश हो रही है तो ये उचित नहीं है.