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‘दिल का सौदा’…600 मरीजों को नकली पेसमेकर लगाया, पैसों के लालच में हैवान बना यह डॉक्टर | UP NEWS-Saifai-600 patients fitted fake pacemakers- DOCTOR sameer saraf

'दिल का सौदा'...600 मरीजों को नकली पेसमेकर लगाया, पैसों के लालच में हैवान बना यह डॉक्टर

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी डॉक्टर समीर सर्राफ

डॉक्टर ईश्वर का दूसरा रूप कहे जाते हैं. लेकिन यही डॉक्टर, जब अपने फायदे के लिए मरीजों की जान का सौदा करने लगें तो वो एक अपराधी बन जाते हैं. आज एक ऐसे ही डॉक्टर की कहानी, जिसने पैसों के लालच में 600 से ज्यादा दिल के मरीजों को नकली पेसमेकर लगा दिया. नतीजतन, कई मरीजों की तबीयत बिगड़ गई. इनमें से अबतक 200 मरीजों की मौत हो चुकी है. हालांकि, अब यह डॉक्टर सलाखों के पीछे है. यह मामला उत्तर प्रदेश के सैफई का है.

यह डॉक्टर सैफई के आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजी विभाग में तैनात था. डॉक्टर का नाम समीर सर्राफ है. वह आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर तैनात था, जिसे इटावा पुलिस ने गिरफ्तार किया है.

साल 2022 में दर्ज हुआ था मामला

पिछले साल 8 फरवरी 2022 को तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक डॉ आदेश कुमार के द्वारा सैफई थाने में डॉ समीर सर्राफ के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई गई थी. आरोप लगाया था कि समीर सर्राफ ने सहायक प्रोफेसर रहते हुए आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में वित्तीय गड़बड़ियां कीं एवं दिल के मरीजों के जान को खतरे में डाला. इसकी जांच सीओ नागेंद्र चौबे कर रहे थे. हालांकि, साल 2020 में डॉक्टर समीर सर्राफ को निलंबित भी किया जा चुका था .

क्या है आरोप

इटावा एसएसपी संजय कुमार वर्मा ने बताया कि UPUMS के चिकित्साधीक्षक डॉ आदेश कुमार ने समीर सर्राफ के खिलाफ अनावश्यक आर्बिट्रेरी परचेज, पेसमेकर धोखाधडी, अनावश्यक विदेश यात्राएं एवं गहन भ्रष्टाचार करके विश्वविद्यालय को लाखों रुपये के वित्तीय हानि सहित अन्य आरोप लगाए थे.

समीर सर्राफ की गिरफ्तारी के बाद पुलिस पड़ताल में यह बात सामने आई कि करीब 600 हृदय रोगियों को नकली पेसमेकर लगाया गया. इनमें से तीन सालों में 200 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है.

जब वकील की पत्नी की हो गई थी मौत

डॉक्टर की गिरफ्तारी के बाद इटावा में अपनी जान से हाथ धो बैठे दो मरीजों के परिजन भी सामने आए हैं और समीर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इनमें से एक इटावा के वकील का परिवार है. वकील मोहम्मद ताहिर की 46 साल की बीबी रेशमा को 12 जून 2019 को कमजोरी महसूस हुई, जिसके बाद उनको रूटीन जांच के लिए सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी लाया गया. मौजूद डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें पहले बताया गया कि मरीज की पहले जांच की जाएगी. इसके बाद अचानक से परिवार को बिना किसी जानकारी के ओटी में ले जाकर टैंप्रेरी पेसमेकर इंप्लाटेशन (TPI) कर दिया गया.

जब तक रेशमा के पति वापस सैफई मेडिकल पहुंचे और पूछा कि ऐसा क्या हुआ,तो आरोपी डॉक्टर समीर सर्राफ ने बताया कि उनको (TPI) किया गया है. तो पीड़ित पति ने कहा मुझे कुछ नही करवाना है. मैं जो भी इलाज है वह दिल्ली में करवाऊंगा. जिस पर समीर सर्राफ ने साफ तौर पर कहा कि आप इनको अब यहां से इस हालत में नहीं ले जा सकते. इस पर पीड़ित ताहिर तैयार हो गए और 1 लाख 85 हजार रुपए का पेसमेकर लगवाने की तैयार हो गए.

दूसरे ही दिन कानपुर की कृष्णा हेल्थ केयर (फर्म) की हस्तलिखित रसीद थमा कर एजेंट पैसा लेकर चला गया. 14 जून को मृतक रेशमा के डुप्लीकेट पेसमेकर लगाकर सैफई मेडिकल से डिस्चार्ज कर दिया गया था.

दो माह में पेसमेकर खराब हो गया

पीड़ित मो ताहिर अंसारी एडवोकेट ने बताया कि डॉक्टर समीर सर्राफ ने 20 साल तक इस पेसमेकर की मियाद बताई थी. लेकिन महज दो माह में पेसमेकर खराब हो गया और रेशमा घर में बेहोश होकर गिर पड़ी. 24 अगस्त को रेशमा को सैफई मेडिकल में गंभीर हालत में भर्ती करवाया गया, तो बताया गया कि इनका पेसमेकर खराब हो गया है, जिसको तुरंत बदला गया. 5 दिन तक सैफई मेडिकल में भर्ती होने के बाद उनको 29 अगस्त को बाहर के लिए रेफर कर दिया गया. हालांकि, बाद में दूसरे अस्पताल में भर्ती करवाया, जिसकी मौत हो गई.

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