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दो बार मिला लोकसभा का टिकट, दोनों बार छिन गया… गजब है फूलपुर के अमरनाथ मौर्य की सियासी कहानी | Amazing political story of Prayagraj’s Phulpur Loksabha Seat Amarnath Maurya, Got Lok Sabha ticket twice, snatched away both times

दो बार मिला लोकसभा का टिकट, दोनों बार छिन गया... गजब है फूलपुर के अमरनाथ मौर्य की सियासी कहानी

अमरनाथ मौर्य

लोकसभा चुनावों का शंखनाद हो चुका है. सभी पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है और साथ ही लगभग सभी प्रत्याशी अपने क्षेत्रों में जनता के बीच जा रहे हैं और लोगों का विश्वास मत हासिल करने की कोशिश भी कर रहे हैं. लेकिन इसी बीच एक प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिनको अबतक ये नहीं पता की आखिरकार उनको इस चुनाव को लड़ने का मौका दिया भी जाएगा या नहीं.

समाजवादी पार्टी ने 14 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए अपने जिन प्रत्याशियों की सूची जारी की उसमें प्रयागराज जिले की फूलपुर लोकसभा के लिए अमरनाथ मौर्य का भी नाम शामिल है. फूलपुर सीट कुर्मी बिरादरी बाहुल्य सीट है यही वजह है कि यहां अब तक इस बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले सात प्रत्याशी निर्वाचित हुए हैं. भाजपा ने भी यहां पटेल बिरादरी से प्रवीण पटेल को मैदान में उतारा है. सपा भी इस सीट पर पटेल प्रत्याशी पर ही दांव लगाती आ रही है लेकिन अखिलेश यादव ने सबको चौंकाते हुए इस बार अमरनाथ मौर्य को टिकट दे दिया.

टिकट कटने के अतीत से परेशान हैं अमरनाथ मौर्य

अमरनाथ मौर्य समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव हैं और अपने सियासी सफर में उन्होंने सभी सियासी दलों से ताल्लुक रखा है. जनता दल, बसपा, भाजपा और सपा सब जगह वह जोर आजमाइश कर चुके हैं. लेकिन गजब विडंबना उनके साथ रही है. दो बार उन्हें टिकट दिया गया और दोनों बार नामांकन करने से पहले वापस ले लिया गया. प्रयागराज के प्रीतम नगर में 1969 में जन्मे अमरनाथ मौर्य के सियासी सफर की शुरुआत जनता दल में जिला संगठन मंत्री के रूप में हुई थी. लेकिन साल 1995 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए.

उतार-चढ़ावों भरा रहा सियासी सफर

2004 में बहुजन समाज पार्टी द्वारा ने उन्हें इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा का प्रत्याशी बनाया, लेकिन उनका टिकट कट गया. अमरनाथ मौर्य जनवरी 2022 को समाजवादी पार्टी में शामिल हुए. 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रयागराज के इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया गया लेकिन फिर समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उनका पत्ता काट दिया और उनका टिकट ऋचा सिंह को थमा दिया जो खुद भी चुनाव हार गईं. भाजपा के सिद्धार्थनाथ सिंह ने उन्हें 29 हजार मतों से हरा दिया.

अतीक अहमद के खिलाफ भी ताल ठोंक चुके हैं अमरनाथ

2002 में जनपद इलाहाबाद के इलाहाबाद पश्चिम (शहर-पश्चिमी) विधानसभा सीट से अपना दल प्रत्याशी बाहुबली अतीक अहमद के खिलाफ अमरनाथ मौर्य ने बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें मात्र 24,000 वोट मिले थे. अतीक अहमद ने यह चुनाव जीता था. अतीक ने इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के गोपाल दास यादव को 11 हजार 808 मतों से हराया था. बसपा से यह चुनाव लड़ने वाले अमरनाथ मौर्य बहुत पीछे रह गए थे.

केशव प्रसाद मौर्य के करीबी हैं अमरनाथ

अमरनाथ मौर्य सपा प्रमुख अखिलेश यादव की तरह ही प्रयोग धर्मी रहे हैं. जनता दल, सपा ,बसपा सबको अमरनाथ ने आजमाया. 17 जुलाई 2016 को लोकतांत्रिक बहुजन मंच का गठन किया गया और मौर्य को इलाहाबाद मंडल का प्रभारी बनाया गया. 2016 में अमरनाथ भाजपा प्रदेश कार्यालय में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. माना जाता है की अमरनाथ केशव प्रसाद मौर्य के करीबी थे लेकिन मौका मिला तो स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ कमल का साथ छोड़कर साइकिल की सवारी करने लगे.

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