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‘पति नहीं देगा गुजारा भत्ता…’ हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश पर क्यों लगाई रोक?

उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 (4) के तहत यदि पति की ओर से पत्नी पर व्यभिचार में लिप्त रहने का आरोप है तो परिवार अदालत पहले इस मुद्दे को तय करेगी और निष्कर्ष के बाद ही गुजारा भत्ता देने का आदेश दे सकती है.

कोर्ट ने कहा कि फिरोजाबाद की परिवार अदालत ने पत्नी को सात हजार अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश में व्यभिचार का मुद्दा तय नहीं किया है. कोर्ट ने अंतरिम गुजारा भत्ता देने के परिवार अदालत के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है और विपक्षी पत्नी को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 25नवंबर को होगी.

पति ने क्या लगाया था आरोप?

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने पति की अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है. जिसमें परिवार अदालत फिरोजाबाद के 13 अप्रैल 23 को पारित अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई है. पति की ओर से सुनवाई के दौरान वकील ने कोर्ट से कहा कि पत्नी की धारा 125 की अर्जी पर आपत्ति में पति ने उस पर व्यभिचार में रहने का आरोप लगाया. किंतु अदालत ने इसे तय नहीं किया और गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है.

पति की ओर बहस करते हुए वकील ने कोर्ट को बताया कि धारा 125(4)के अनुसार बिना आपत्ति तय किए अदालत को गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी करने का अधिकार नही है. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना है.



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