टेक्नोलॉजी

पहला फ्रंट कैमरे वाला फोन सेल्फी के लिए नहीं बल्कि इसलिए बना था… फिर इस शख्स ने ली दुनिया की पहली सेल्फी

Duniya Ka Pehla Front Camera Phone : आज के समय में जब लोग नया फोन खरीदने जाते हैं तो खास तौर पर फोन के कैमरा पर विशेष ध्यान देते हैं. जिन्हें सेल्फी का शौक है वे तो बस सेल्फी कैमरा देखकर ही फोन ले लेते हैं. हम तो कहते हैं कि ऐसा करना बिल्कुल ठीक है आप जिस पर्पस के लिए फोन ले रहे हो उसे जरूर फुलफिल करो. आखिर फोन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल तो हम पार्टी व पिकनिक पर फोटो या सेल्फी क्लिक करने के लिए ही करते हैं.

अब तो 108 मेगापिक्सल तक के कैमरा सेंसर्स आने लगे हैं. यहां तक कि एक फोन में 4 कैमरे भी मिलने लगे हैं. पंच-होल डिसप्ले वाले सेल्फी कैमरा सेंसर आम हो चुके हैं. क्या आपने सोचा है कि पहला फ्रंट कैमरा वाला फोन कब बना, और पहली सेल्फी कब ली गई? अगर नहीं तो आइए हम आपको बताते हैं. 

दुनिया का पहला फ्रंट कैमरे वाला फोन

सोनी ने दुनिया पहला फ्रंट कैमरा वाला फोन पेश किया था. सोनी ने मोबाईल कैमरा को नया ट्रेंड दिया और जुलाई 2004 में एरिक्सन Z1010 मोबाईल लॉन्च किया था. एरिक्सन ज़ेड1010 दुनिया का पहला ऐसा फोन था जो फ्रंट कैमरे से लैस था. बता दें कि इस फोन में कुल 0.3-मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा दिया गया था.

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सेल्फी के लिए नहीं बना था फ्रंट कैमरा

अब तो ऐसा दौर चल रहा है कि फ्रंट कैमरा का इस्तेमाल सबसे ज्यादा सेल्फी के लिए किया जाता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि फ्रंट कैमरा को सेल्फी के लिए नहीं बनाया गया था. इसकी शुरूआत सिर्फ ऑफिस या मीटिंग के दौरान वीडियो कॉफ्रेसिंग के लिए की गई थी. इसे यह सोचकर बनाया गया था कि किसी मीटिंग के लिए लोगो को  कम्प्यूटर और स्काईप पर डिपेंड न होना पड़े. उस समय तो किसी को यह ख्याल भी नहीं था कि आने वाले समय में ‘सेल्फी’ शब्द ही एक ट्रेंड बन जाएगा, और फ्रंट कैमरा का इस्तेमाल सेल्फी के लिए होने लगेगा.

पहली सेल्फी

सेल्फी से जुड़ी सबसे दिलचस्प बात तो यही है कि दुनिया की पहली सेल्फी जानबूझकर नहीं बल्कि अनजाने में ली गई थी. जानकारी के अनुसार, पहली सेल्फी आस्ट्रेलिया के एक स्टूडेंट ने अपने 21वें जन्मदिन पर नशे की हालत में ली थी, और पोस्ट की थी. दरअसल, इंटरनेट पर ‘Hopey’ नाम के एक लड़के के होठों पर टांकें लगे थे. इस लड़के ने  सिर्फ यह पूछने के लिए अपनी सेल्फी क्लिक कर सोशल प्लेटफार्म पर डाली कि क्या बार-बार जीभ को टांकों पर लगाने से वह जल्दी ठीक हो जाएंगे. बस तब से सेल्फी का चलन शुरू हो गया.

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