यूपी में सपा को बड़ा झटका देने जा रही कांग्रेस, मुस्लिम नेताओं के बाद अब बड़े कुर्मी नेता की कराएगी एंट्री | Ravi Prakash Verma Purv Verma Uttar Pradesh Politics Akhilesh Yadav Ajay Rai Rahul Gandhi


राहुल गांधी, रवि प्रकाश वर्मा, अखिलेश यादव
लोकसभा चुनाव की तपिश जैसे-जैसे गर्म हो रही है, वैसे-वैसे उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं. कांग्रेस यूपी में सपा के वोटबैंक पर नजर गड़ाए बैठी है और उसी मद्देनजर सियासी तानाबाना बुन रही है. इमरान मसूद, हमीद अहमद और फिरोज आफताब जैसे दिग्गज मुस्लिम नेताओं की एंट्री कराने के बाद कांग्रेस अब सपा के एक बड़े कुर्मी नेता को शामिल कराने जा रही है, जो कि अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका होगा.
सपा के राष्ट्रीय महासचिव और कई बार सांसद रहे रवि प्रकाश वर्मा और 2019 में लोकसभा चुनाव प्रत्याशी रहीं उनकी बेटी पूर्वी वर्मा जल्द ही कांग्रेस का हाथ थामेंगी. रवि वर्मा सपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे हैं और लखीमपुर खीरी के आसपास के इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है. रवि प्रकाश वर्मा ने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और उसके बाद 6 नवंबर को वर्मा परिवार अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस का हाथ थामेंगे.
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लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका
2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी सपा के लिए रवि वर्मा का पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होना एक बड़ा झटका माना जा रहा है. पूर्व सांसद रवि वर्मा सपा के दिग्गज नेताओं में गिने जाते हैं और पार्टी के गठन के समय से जुड़े हुए हैं. साल 1998 से 2004 तक लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट से लगातार तीन बार सपा के टिकट पर सांसद बने और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे.
रवि वर्मा के पिता बाल गोविंद वर्मा और माता ऊषा वर्मा भी लखीमपुर खीरी सीट से सांसद रह चुकी हैं. इस तरह से लखीमपुर खीरी संसदीय सीट पर रवि वर्मा का परिवार दस बार प्रतिनिधित्व कर चुका है. उनकी बेटी पूर्वी वर्मा 2019 के लोकसभा चुनाव में लखीमपुर खीरी सीट से उतरी थी, लेकिन बीजेपी की अजय मिश्रा टेनी से जीत नहीं सकीं.
रवि प्रकाश ओबीसी की कुर्मी समुदाय से आते हैं और रुहेलखंड के बड़े नेताओं में उन्हें गिना जाता है. कांग्रेस की नजर यूपी में जिस तरह सपा के वोटबैंक पर है, उसमें रवि वर्मा की एंट्री अहम रोल अदा कर सकती है. रवि वर्मा की पकड़ जिस तरह से रुहलेखंड के कुर्मी समुदाय के बीच हैं, उसमें बरेली, शाहजहांपुर, धौरहरा, सीतापुर, पीलीभीत, मिश्रिख जैसी संसदीय सीटों पर सियासी समीकरण बदल सकते हैं. इन इलाकों में सपा के लिए 2024 के चुनाव में चिंता बढ़ सकती है.
कुर्मी वोटबैंक पर कांग्रेस की नजर
लोकसभा चुनाव के मद्दनेजर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपने खोए हुए सियासी समीकरण को दुरुस्त करने में जुटी है. इसी मद्देनजर कुर्मी समुदाय को साधने के लिए कांग्रेस पूर्व सांसद रवि वर्मा और उनकी बेटी को शामिल करा रही है. रवि प्रकाश के बाद कुर्मी समुदाय के कई अन्य नेताओं को कांग्रेस में शामिल कराने की रणनीति कांग्रेस ने बनाई है, जिसके लिए अवध और देवीपाटन क्षेत्र के कई बड़े कुर्मी नेताओं से बातचीत कर रखी है.
रवि प्रकाश वर्मा जिस रुहेलखंड से इलाके से आते हैं और यहां कुर्मी समुदाय के वोट निर्णायक भूमिका में है. कांग्रेस में रवि वर्मा के शामिल होने से लखीमपुर खीरी के इलाके में ही नहीं बल्कि आसपास के लोकसभा सीटों पर कुर्मी वोटबैंक पर असर पड़ेगा. रवि वर्मा के पिता और मां कांग्रेस में रही हैं, लेकिन उन्होंने सपा के साथ अपना सियासी सफर शुरू किया था और अब वो भी घर वापसी करने जा रहे हैं. रवि वर्मा के एंट्री से सपा के साथ कांग्रेस के रिश्ते और भी तल्ख हो सकते हैं.
सपा के वोटबैंक पर कांग्रेस की नजर
कांग्रेस की नजर सपा के वोटबैंक पर है. बीते दिनों पश्चिमी यूपी के दिग्गज मुस्लिम नेताओं की एंट्री कराई है, जिसमें सपा से निकाले गए इमरान मसूद, आरएलडी के हमीद अहमद और सपा से चुनाव लड़ चुके फिरोज आफताब शामिल हैं. कांग्रेस इस बात को बाखूबी तौर पर समझ रही है कि यूपी में अगर उसे दोबारा से खड़ा होना ह तो अपने परंपरागत सियासी आधार को दोबारा से हासिल करना होगा. यूपी में सपा जिस जमीन पर मजबूती से खड़ी है, वो कभी कांग्रेस की हुआ करती थी. इसीलिए कांग्रेस अब अपने कोर वोटबैंक रहे मुस्लिम समुदाय को जोड़ने पर लगी है तो पार्टी के पुराने नेताओं की एंट्री कराई जा रही है. इमरान मसूद और हमीद अहमद हों या फिर अब रवि प्रकाश वर्मा, तीनों ही नेताओं का परिवार कांग्रेस में रहा है.
अखिलेश के पीडीए को लगेगा झटका
सपा प्रमुख अखिलेश यादव यूपी में इन दिनों पीडीए यानि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के फॉर्मूले से बीजेपी को मात देना का दावा कर रहे हैं. इस फॉर्मूले के दम पर सूबे की 80 में से 65 सीटों पर सपा चुनाव लड़ने की तैयारी में है और सहयोगी दल के लिए सिर्फ 15 सीटें ही छोड़ रही है. यूपी में विपक्षी गठबंधन INDIA में सपा, कांग्रेस, आरएलडी और अपना दल (कमेरावादी) शामिल है. सपा जिस पीडीए के सहारे यूपी की 80 फीसदी सीटों पर खुद लड़ने की बात कर रहे हैं, उसके चलते ही कांग्रेस और आरएलडी जैसे दल भी अपने सियासी समीकरण को मजबूत करने में लग गए हैं.
कांग्रेस और आरएलडी दोनों ही मुस्लिम, ओबीसी और दलित वोटों को अपने पाले में लाने में जुटे हैं. ऐसे में कांग्रेस सपा के नेताओं को ही अपने साथ मिलाने में जुट गई है तो आरएलडी भी सपा के वोटबैंक पर नजर गड़ाए हुए हैं. जयंत चौधरी लगातार मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं और उन्हें अपने साथ जोड़ने का तानाबाना बुन रहे हैं. इतना ही नहीं जयंत चौधरी और उनकी पार्टी साफ कह चुकी है कि कांग्रेस को लिए बिना पश्चिमी यूपी में बीजेपी को नहीं हराया जा सकता है.