राज्यसभा चुनाव: सपा विधायकों ने दिया अखिलेश को ‘धोखा’, बीजेपी के सभी उम्मीदवारों की जीत तय? | uttar pradesh rajya sabha election sp mla cross voting akhilesh yadav number game bjp


अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों पर वोटिंग जारी है. राज्यसभा चुनाव में आखिरकार सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ पार्टी विधायकों ने ही ‘खेला’ कर दिया है. सपा के तीन विधायक वोटिंग करने बीजेपी नेताओं के साथ विधानमंडल पहुंचे हैं, जिसमें राकेश पांडेय, अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह हैं. तीनों ही सपा विधायकों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने की बात कही है और साथ ही सपा विधायक मनोज पांडेय ने भी वोटिंग से पहले मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी के पक्ष में वोट कर दिया. इस तरह सपा विधायकों ने ही राज्यसभा चुनाव में अखिलेश यादव के समीकरण को बिगाड़ दिया है.
सपा के चार विधायकों के बागी रुख ने पार्टी के तीसरे कैंडिडेट आलोक रंजन के उच्च सदन पहुंचने की उम्मीदों पर ग्रहण लगा दिया है. आलोक रंजन का राज्यसभा चुनाव जीतना आसान नहीं दिख रहा है, क्योंकि पार्टी के पास पहले से ही जीत के आंकड़ों के मुताबिक नंबर कम थे और अब सपा विधायकों के क्रॉस वोटिंग से पूरा खेल ही बिगड़ गया है. जिससे बीजेपी के सभी आठ उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है.
SP विधायकों ने किया अखिलेश के साथ खेला
राज्यसभा की 10 सीटों पर 11 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. विधायकों की संख्या के आधार पर सपा की दो राज्यसभा सीटों पर जीत तय है और बीजेपी के सात कैंडिडेट की जीत आसान है. ऐसे में राज्यसभा की 10वीं सीट के लिए बीजेपी और सपा के बीच मुकाबला है. बीजेपी ने अपना आठवां राज्यसभा उम्मीदवार संजय सेठ को बनाया है, जिन्हें जिताने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंकी दी है. बीजेपी की रणनीति के आगे सपा के सारे गणित गड़बड़ा गए हैं. अखिलेश के करीबी नेताओं और विधायकों ने ही सपा के सियासी गणित को बिगाड़ दिया है.
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सपा से राज्यसभा चुनाव में जया बच्चन, रामजीलाल सुमन और आलोक रंजन चुनावी मैदान में है. सपा प्रमुख अखिलेश ने वरीयता के आधार पर पहले नंबर पर जया बच्चन, दूसरे नंबर पर रामजीलाल सुमन और तीसरी नंबर आलोक रंजन को रखा है. वहीं, बीजेपी की तरफ से आरपीएन सिंह, चौधरी तेजवीर सिंह, अमरपाल मौर्य, संगीता बलवंत, सुधांशु त्रिवेदी, साधना सिंह, नवीन जैन और संजय सेठ मैदान में हैं. बीजेपी ने संजय सेठ को अपने आठवें उम्मीदवार के रूप में उतारा था, सपा विधायकों के जिस तरह से एक के बाद एक क्रॉस वोटिंग करने की खबरें आ रही हैं, उसके चलते बीजेपी के सभी उम्मीदवारों के जीतने की उम्मीद बन गई है.
दरअसल, सोमवार की रात सपा ने ‘डिनर डिप्लोमेसी’ के जरिए इस लक्ष्य को साधने में ताकत लगाई ताकि अपनी तीसरी राज्यसभा सीट जीत सके, तो बीजेपी ने एनडीए विधायकों की बैठक कर अपनी आठवीं सीट जीतने का जतन किया. सपा के डिनर में 8 विधायकों ने शिरकत नहीं की थी. सपा विधायक राकेश पाण्डेय, पूजा पाल, अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, मनोज पाण्डेय, विनोद चतुर्वेदी, महाराजी प्रजापति और पल्लवी पटेल अखिलेश की बैठक में नहीं पहुंची थीं. इसके बाद ही माना जाने लगा था कि सपा के ये विधायक बीजेपी के पक्ष में वोटिंग कर सकते हैं.
रितेश पांडेय बसपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं, जिसके चलते उनके पिता विधायक राकेश पांडेय ने अब अपनी अतंरात्मा के अनुसार वोट देने की बात कही है. राकेश प्रताप सिंह, अभय और मनोज पांडेय सपा के विधायक होते हुए भी बीजेपी के सुर में सुर मिलाते हुए नजर आए हैं. अभय सिंह को रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का करीबी माना जाता है. राजा भैया खुलकर बीजेपी के साथ खड़े हैं, जिसके चलते अभय सिंह ने भी अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोटिंग देने की बात कही है. इसके अलावा राकेश प्रताप सिंह और मनोज पांडेय ने भी अखिलेश यादव के साथ खेला कर दिया.
SP-BJP को कितने वोट की जरुरत
राज्यसभा के एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 37 विधायकों के प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी. सपा के पास 108 विधायक हैं. पार्टी दो उम्मीदवारों को जिताने की स्थिति में है जबकि तीसरे उम्मीदार को जीतने के लिए तीन प्रथम वरीयता के वोटों की जरूरत है. बीजेपी अपने एनडीए के सहयोगियों के सहारे सात राज्यसभा सदस्यों को जिताने में कामयाब है, लेकिन आठवें उम्मीदवार के लिए पार्टी के पास प्रथम वरीयता के 29 वोट ही हैं. ऐसे में बीजेपी को अपने आठवें उम्मीदवार को जिताने के लिए प्रथम वरीयता के आठ वोट की जरूरत है.
राज्यसभा चुनाव का सियासी समीकरण
राज्यसभा चुनाव में वोटिंग का फॉर्मूला समझ लेते हैं. एक राज्यसभा सीट के लिए यूपी में 37 विधायकों के समर्थन की जरूरत है. यूपी में वैसे तो विधानसभा सीटों की संख्या 403 है, लेकिन मौजूदा समय में 4 सीटें खाली हैं. इस तरह से 399 विधायक हैं. सपा को अपने तीनों राज्यसभा सीटें जीतने के लिए 111 विधायकों का समर्थन चाहिए जबकि बीजेपी को 296 विधायक के वोट की जरुरत है. सपा और बीजेपी दोनों के पास ये नंबर गेम नहीं है, जिसके चलते दोनों की नजर एक दूसरे के विधायकों पर है. इस शह-मात के खेल में बीजेपी भारी पड़ रही है और सपा के चार विधायकों को राज्यसभा चुनाव में अपने खेमे के साथ मिला लिया है.