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लखनऊ गेस्ट हाउस कांड में क्यों अपने ही बयान में उलझ गई हैं मायावती? – Hindi News | Mayawati entangled her own statement in Lucknow guest house incident Congress And Samajwadi Party

बहुजन समाज पार्टी के मुखिया मायावती ने फिर लखनऊ गेस्ट हाउस कांड का जिक्र किया है. मायावती ने इस बार गेस्ट हाउस कांड में कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल उठाया है. बीएसपी सुप्रीमो ने पूछा है कि कांग्रेस गेस्ट हाउस कांड पर क्यों नहीं बोलती है? 2 जून 1995 को यूपी की राजधानी लखनऊ में हुई गेस्ट हाउस कांड की घटना देश की इतिहास में सबसे शर्मसार करने वाली घटना थी.

इस दिन अपने विधायकों के साथ मीटिंग कर रही बीएसपी नेत्री मायावती पर सरकार के समर्थकों ने हमला किया था. यह हमला मायावती को मारकर विधायकों के अपहरण के नीयत से किया गया था. इस पूरे घटना के लिए मायावती ने मुलायम सिंह को जिम्मेदार ठहराया था. मायावती ने इस मामले में मुलायम और उनके भाई के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाई थी.

29 साल में बदले राजनीतिक परिस्थिति में एक तरफ यह मुकदमा अब फाइलों में सिमट चुका है, तो दूसरी तरफ कभी मुलायम के साथ नहीं आने की कसमें खाने वाली मायावती उनके बेटे के साथ मिलकर राजनीति कर चुकी हैं.

ऐसे में गेस्ट हाउस कांड में कांग्रेस पर मायावती के सवाल के बीच इस स्टोरी में पढ़िए कि कैसे गेस्ट हाउस कांड में अपने ही बयान में उलझ गई हैं मायावती?

पहले जानिए मायावती ने गेस्ट हाउस कांड पर क्या कहा है?

बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले मायावती ने दलितों के मुद्दे पर सपा और कांग्रेस पर एकसाथ निशाना साधा. मायावती ने कहा कि सपा जिसने 2 जून 1995 में बीएसपी द्वारा समर्थन वापिसी पर मुझ पर जानलेवा हमला कराया था तो इस पर कांग्रेस कभी क्यों नहीं बोलती है? जबकि उस दौरान केंद्र में रही कांग्रेसी सरकार ने भी समय से अपना दायित्व नहीं निभाया था.

मायावती ने आगे कहा कि कांग्रेस दलितों के वोट लेकर सिर्फ सत्ता चाहती है. उस वक्त भी कांग्रेस की कोशिश राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर पर्दे के पीछे से यूपी की सरकार चलाने की थी.

मायावती ने गेस्ट हाउस कांड में खुद को बचाने के लिए बीजेपी का आभार भी जताया है. उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष के लोग उस वक्त दिल्ली से लखनऊ तक प्रदर्शन नहीं करते तो मेरे साथ अनहोनी हो सकती थी.

लखनऊ का गेस्ट हाउस कांड और उसके आरोपी

2 जून 1995 को मायावती ने मुख्यमंत्री के मसले पर सपा सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया. यूपी में उस वक्त मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. फैसला वापस लेने के बाद मायावती लखनऊ के गेस्ट हाउस में अपने 67 विधायकों के साथ बैठक कर रही थी. इसी दौरान खबर फैली कि मायावती बीजेपी के साथ सरकार बना सकती है.

इस खबर ने सपा कार्यालय में बैठे नेताओं की बैचेनी बढ़ा दी. कहा जाता है कि इसके बाद सपा के कार्यकर्ता और स्थानीय गुंडे गेस्ट हाउस पहुंच गए. सपा समर्थित गुंडों ने पहले बीएसपी विधायकों को पिटना शुरू कर दिया था और फिर मायावती को मारने के लिए दौड़ पडे़.

मायावती ने आरोप लगाया था कि सपा के गुंडे उनके कपड़े फाड़ने की कोशिश कर रहे थे और वहां समय पर पुलिस नहीं पहुंचती तो उनके साथ रेप की वारदात भी हो सकती थी.

गेस्ट हाउस के बाहर उस वक्त सपा समर्थित गुंडों ने 1 घंटे तक बवाल किया. कहा जाता है कि मायावती को मारने के लिए एक गैस सिलेंडर भी लाया गया था, जो घटना के एक दिन उनके बगल वाले कमरे से बरामद हुआ था.

इस घटना के बाद गेस्ट हाउस के कमरे से मायावती 24 घंटे तक बाहर नहीं निकल पाईं. अगले दिन जब वो बाहर निकलीं तो उनके साथ 200 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी थे. इस कांड में मायावती की तरफ से दर्ज कराई गई रिपोर्ट में मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव, आजम खान, अतीक अहमद और अन्नु शुक्ला मुख्य आरोपी बनाए गए थे.

शिवपाल यादव ने इस घटना का जिक्र करते हुए एक बार कहा था- मेरे खिलाफ राजनीतिक छोड़िए, मायावती जी ने यौन शोषण के आरोप लगा दिए थे, जबकि मैं उस वक्त गेस्ट हाउस के पास तक नहीं गया था.

घटना के बाद कहा गया कि अब मायावती और मुलायम सिंह की पार्टी कभी एक नहीं हो सकती हैं, लेकिन इस मिथक को मायावती ने 2019 में तोड़ दिया.

फरवरी 2019 में मायावती ने लिया था केस वापस

17वीं लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी 2019 में मायावती और अखिलेश यादव ने गठबंधन का ऐलान किया था. इस सियासी समझौते के बाद मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सपा नेताओं पर से गेस्ट हाउस कांड का केस वापस ले लिया था.

नवंबर 2019 में इसका खुलासा हुआ था, तब मायावती ने पोस्ट कर इसकी जानकारी दी थी. मायावती के मुताबिक सपा नेताओं के आग्रह पर उन्होंने गेस्ट हाउस कांड का केस वापस ले लिया है.

अप्रैल 2019 में मैनपुरी में मुलायम के पक्ष में प्रचार करते हुए मायावती ने इस कांड का जिक्र किया था. अपने भाषण में मायावती ने कहा था- सवाल उठेगा कि 2 जून 1995 को हुए गेस्ट हाउस कांड के बावजूद यूपी में सपा-बसपा में मिलकर चुनाव क्यों लड़ रहे हैं?

मायावती ने आगे कहा यह सच है कि यह कांड भूलाने वाला नहीं है, लेकिन हमारे लिए इससे ज्यादा बड़ा जनता की भलाई है.

मायावती की पार्टी को इस समझौते का सियासी फायदा हुआ. बीएसपी 2019 में लोकसभा में शून्य से 10 सीटों पर पहुंच गई. दूसरी तरफ सपा की सीटें जस की तस रह गई.

अब मायावती ने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र क्यों किया?

लखनऊ गेस्ट हाउस कांड के 29 साल पूरे हो चुके हैं. इस घटना की फाइल भी बंद हो चुकी है. घटना के दो आरोपी मुलायम सिंह यादव और अतीक अहमद अब इस दुनिया में नहीं हैं, जबकि एक आरोपी उमाकांत यादव बीएसपी में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि मायावती ने घटना का जिक्र कर बंद बोतल से गेस्ट हाउस कांड का जिन्न क्यों बाहर निकाला है?

दरअसल, दो दिन पहले मथुरा से बीजेपी के विधायक राजेश चौधरी ने मायावती पर व्यक्तिगत टिप्पणी की थी. अखिलेश यादव ने बीजेपी विधायक की टिप्पणी को मायावती के अपमान से जोड़ते हुए विरोध किया था.

मायावती ने भी पोस्ट कर इसे अभद्र करार दिया था. मायावती ने अपने समर्थन में आवाज उठाने के लिए अखिलेश यादव का आभार भी जताया था, जिसके बाद सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थी. कहा जा रहा है कि मायावती इन चर्चाओं पर रोक लगाने के लिए ही गेस्ट हाउस कांड का सहारा लिया है.

कांग्रेस को लेकर भी कन्फ्यूज हैं मायावती?

मायावती ने गेस्ट हाउस कांड को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है, लेकिन दिलचस्प बात है कि इस घटना के बाद मायावती ने कई बार कांग्रेस सरकार का समर्थन किया है. इतना ही नहीं, जिस राज्यपाल के सहारे मायावती कांग्रेस पर निशाना साध रही है, उसी को मायावती ने 2007 में राष्ट्रपति पद के लिए बेहतर उम्मीदवार बताया था.

दरअसल, 1995 में मोतीलाल वोरा यूपी के राज्यपाल थे और 2007 में राष्ट्रपति चुनाव में मायावती ने उनके नाम का प्रस्ताव दिया था, लेकिन कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति के लिए नामित किया.

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