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विदेश जाकर ‘साइबर गुलामी’, कैसे भारतीय हो रहे शिकार, फिर अपनों से ही करते हैं ठगी?

साइबर फ्रॉड के शिकार अब बाहर काम की तलाश में जाने वाले भी हो रहे हैं. विदेशों में जो हिंदुस्तान से काम ढूंढने के लिए लोग जाते हैं, वो अब ठगी का शिकार हो रहे हैं. विदेश के कई देश ऐसे हैं, जहां ठगी करने वाला गिरोह हिंदुस्तानियों की तलाश में लगा रहता है. हिंदुस्तानी को हिंदी आती है और विदेश में रहने वालों को इतनी बेहतर हिंदी न आने की वजह से जो लोग हिंदुस्तान से काम की तलाश में विदेश जाते हैं, उनमें से कुछ लोग ठगों के चुंगल में फंस जाते हैं.

थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम दुनिया के ऐसे देश हैं, जो हिंदुस्तानियों की तलाश में लगे रहते हैं. दरअसल, हिंदुस्तान में साइबर ठगों का बड़ा गिरोह चल रहा है, जो साइबर अपराध को बढ़ावा दे रहा है. विदेशी साइबर ठग हिंदुस्तान को बड़ा ठगी का अड्डा मानते हैं, लेकिन हिंदी नहीं आने के कारण ये ठग हिंदुस्तानियों को ठगी का शिकार नहीं बना पाते. ऐसे में इन विदेशी ठगों को हिंदुस्तानियों की तलाश रहती है.

किसी को नौकरी में रख लिया जाता है तो किसी को जोर-जबरदस्ती कर बंधक बनाकर साइबर ठग बना दिया जाता है. इन लोगों का काम होता है कि विदेश में बैठकर हिंदुस्तान में फोन कर के अपने जाल किसी न किसी को फंसाना. जाल में फंसने के बाद इनको डिजिटल अरेस्ट करके ठगी की जाती है.

कई देश हैं इसमें शामिल

सीओ क्राइम एसपी सिंह ने बताया कि थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम जैसे कई देश हैं, जो वहीं पर बैठे हुए हिंदुस्तानियों से फ्रॉड कराते हैं. विदेश में रहने के कारण इन लोगों को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाती और धड़ल्ले से ये साइबर ठग फ्रॉड करते रहते हैं. हिंदुस्तानियों की तलाश के लिए ये हिंदुस्तान में अपना एजेंट भी रखते हैं, जो विदेश में नौकरी की तलाश में घूम रहे लोगों को अच्छी सैलरी का लालच देकर इन देशों में भेजते हैं.

सीओ क्राइम एसपी सिंह ने बताया कि वहां इन लोगों को बंधक भी बना लिया जाता है और जबरन इनसे हिंदुस्तान में फोन करवा कर ठगी करने के लिए कहा जाता है. बता दें कि ये लोग फोन कॉल करते हैं और डिजिटल अरेस्ट कर के लोगों को तरह-तरह से भय दिखाकर ठगने का काम करते हैं.

प्राइवेट बैंक से होता है ज्यादातर डाटा लीक

लोगों को पर्सनल इनफॉर्मेशन जैसे अकाउंट नंबर, क्रेडिट कार्ड नंबर, आधार कार्ड का नंबर, मोबाइल नंबर ज्यादातर प्राइवेट बैंक में आउटसोर्सिंग में काम करने वाले कर्मचारी लीक करते हैं. सीओ एसपी सिंह ने बताया कि इन लोगों को डाटा देने के पैसे दिए जाते हैं. लालच में ये लोग अकाउंट होल्डर की जानकारी लीक कर देते हैं.

एमएचए से आती है लिस्ट

सीओ क्राइम एसपी सिंह ने बताया कि ऐसे कई लोगों की लिस्ट वेरिफिकेशन के लिए मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स से आती है. उस लिस्ट में जिन लोगों के नाम होते हैं, उन्हें वेरीफाई करना होता है. कई लोग एजेंट के माध्यम से इन देशों में जातें हैं. उन एजेंट्स की भी तलाश की जाती है. उन्होंने बताया कि लोगों को जागरूक होने की जरूरत है और किसी भी संदिग्ध फोन कॉल का रिप्लाई न करें और इसकी जानकारी पुलिस को दें.

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