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47 का हुआ गाजियाबाद, नेहरू जयंती पर मेरठ से कटकर बना, मुगलों से है खास कनेक्शन | Ghaziabad District 47th Anniversary Formation Mughal Connection Name of city after Ghaziuddin

47 का हुआ गाजियाबाद, नेहरू जयंती पर मेरठ से कटकर बना, मुगलों से है खास कनेक्शन

जिला गाजियाबाद

उत्तर प्रदेश का जिला गाजियाबाद, जिसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का सिंहद्वार भी कहा जाता है. आज इस जिले की 48वीं वर्षगांठ है. आज ही के दिन मेरठ से काटकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मैं उत्तर प्रदेश का सिंहद्वार के रूप में इस जिले का गठन किया गया था. यह तो गाजियाबाद जिले की एक छोटी सी पहचान है. इस जिले पर तो कई फिल्में भी बन चुकी हैं. इसमें जिला गाजियाबाद सबसे प्रभावी है. इस फिल्म की शूटिंग भी गाजियाबाद के नवयुग मार्केट में हुई थी. इस फिल्म में दर्शाया गया है कि औद्यौगिक नगरी के रूप में स्थापित एक शहर देखते ही देखते कैसे क्राइम कैपिटल बन गया.

47 साल पहले साल 1976 में 14 नवंबर का दिन था. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी गाजियाबाद आए थे. उस समय गाजियाबाद मेरठ जिले का हिस्सा था. स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री से जिला मुख्यालय दूर होने की शिकायत की. उसी समय सीएम एनडी तिवारी ने इस जिले का ऐलान कर दिया और शाम को लखनऊ पहुंचते ही इस संबंध में शासनदेश भी जारी हो गया. उस समय गाजियाबाद जिले का जो एरिया निर्धारित किया गया था, उसमें नोएडा और हापुड़ आदि को शामिल किया गया था.

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हालांकि बाद में यह दोनों जिले गाजियाबाद से कट कर अपने आप में जिला बन गए. इस प्रकार गाजियाबाद जिला सरकारी रिकार्ड में आधिकारिक तौर पर स्थापित हो गया. उस समय इस जिले की कुल आबादी 16 लाख थी. हालांकि आज जिले की आबादी 60 लाख से भी अधिक है. हालांकि राजस्व रिकार्ड में गाजियाबाद शहर का नाम पहली बार 1740 में आया था. उस समय देश में मुगलों का शासन था और दिल्ली की गद्दी पर मुगल बादशाह अहमद शाह बैठे थे.

गाजीउद्दीन ने बसाया शहर

बादशाह के दरबार में वजीर गाजीउद्दीन थे. उन्हें गाजियाबाद की जागीर मिली थी. इसलिए उन्होंने अपने नाम पर गाजीउद्दीन नगर बसाया. उन्होंने इस नगर को एक किले के रूप में स्थापित किया और इस किले में आने जाने के लिए चार द्वार बनवाए. बाद में यह किला शहर बना और शहर का नाम हो गया गाजियाबाद. वहीं किले के चारो गेटों की पहचान जवाहर गेट, दिल्ली गेट, डासना गेट, सिहानी गेट के रूप में हुई. आज भी यह चारो गेट मौजूद हैं, वहीं शहर के ठीक बीच में गाजीउद्दीन की जर्जर हवेली भी मौजूद है.

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1976 में जब इस जिले की स्थापना हुई, उस समय मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने जनता के सामने वादा किया था कि वह इस शहर को औद्योगिक नगरी के रूप में स्थापित करेंगे. इससे गाजियाबाद के लोगों को रोजी रोजगार के लिए यहां से बाहर नहीं जाना होगा. इसके लिए उन्होंने योजना तैयार कराई और औद्योगिक सेक्टर विकसित किए गए. इस समय इन औद्योगिक सेक्टरों में 27 हजार से अधिक छोटे मोटे कल कारखाने स्थापित हुए. इससे जिले में पैसों की बरसात होने लगी. बाद में उत्तर प्रदेश में सरकार बदली तो इन योजनाओं पर ग्रहण लग गया. फिर आया 90 का दशक. उस दौर में यहां आधा दर्जन से अधिक माफिया पैदा हो चुके थे. इनका मुख्य धंधा उगाही का था. इसके लिए आए दिन गैंगवार होने लगे. जिला गाजियाबाद भी इसी गैंगवार की कहानी है.

आजादी के आंदोलन में भी रही भूमिका

गाजियाबाद की बात हो और आजादी के आंदोलन की चर्चा ना हो तो यह गाजियाबाद के लिए नाइंसाफी होगी. दरअसल 1857 में जब मंगल पांडेय ने मेरठ में आजादी के आंदोलन का पहला बिगुल फूंका और सेना अंग्रेजों के खिलाफ हो गई, उस समय अंग्रेजों ने दिल्ली से फौज मेरठ भेजने की कोशिश की. उस समय गाजियाबाद के रणबांकुरों ने हिंडन नदी पर बना पुल तोड़ दिया था. इसके अलावा भी कई मोर्चों पर गाजियाबाद के लोगों ने अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दी थी. वर्तमान की बात करें तो इस समय जिले में चार विधानसभा और एक लोकसभा की सीट है. यहां से सांसद केंद्रीय मंत्री वीके सिंह हैं. जबकि पांच साल पहले यहां से सदन पहुंचे राजनाथ सिंह गृहमंत्री बने थे. पहले यहां कानून व्यवस्था के संचालन के लिए एसपी सिस्टम होता था, लेकिन अब यहां कमिश्नरेट सिस्टम लागू है.

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