47 दिन बाद फिर पावरफुल हुए आकाश आनंद, BSP में इस बार पहले से और बढ़ा कद | aakash anand more powerful after bsp chief Mayawati reinstates as her successor national coordinator


आकाश आनंद
बसपा चीफ मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. उन्होंने आकाश को फिर से अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है. आकाश एक बार से बीएसपी के राष्ट्रीय संयोजक बनाए गए हैं. इस तरह बसपा में उनका कद पहले से कहीं और ज्यादा बढ़ गया है. 47 दिन बाद वो एक बार फिर से पावरफुल हो गए हैं. 7 मई को मायावती ने आकाश को अपरिपक्व बताते हुए नेशनल कोओर्डिनेटर पद से हटा दिया था.
इसके साथ ही उनसे उत्तराधिकारी पद की जिम्मेदारी भी छीन ली थी. करीब डेढ़ महीने बाद आकाश को फिर से सारी जिम्मेदारी मिल गई है. इस बार आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाकर पूरे देश का जिम्मा दिया गया है. पहले उनके पास देश के बाकी राज्यों की जिम्मेदारी थी लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की जिम्मेदारी नहीं थी. इस बार आकाश को यूपी और उत्तराखंड की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है. आकाश आनंद को पंजाब और उत्तराखंड विधानसभा उप चुनाव में स्टार प्रचारक बनाया है.
इस बार पहले से और बढ़ा आकाश आनंद का कद
मायावती ने आकाश आनंद को दूसरे नंबर का स्टार प्रचारक बनाया गया है. शनिवार को लखनऊ में समीक्षा बैठक हुई. मायावती ने आकाश आनंद को अपने पास बुलाया. आकाश ने पैर छुआ और मायावती ने माथे पर हाथ रख कर उन्हें आशीर्वाद दिया. इसके कुछ देर बाद खबर आई कि बसपा सुप्रीमो ने आकाश आनंद को दोबारा नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी बनाया है. कहा जा रहा है कि जो काम अब तक मायावती देखती थीं, वो सारे काम अब आकाश की देखेंगे.
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टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार तक की जिम्मेदारी आकाश आनंद ही संभालेंगे. इतना ही नहीं, आकाश पहले समीक्षा नहीं करते थे लेकिन अब वो समीक्षा बैठक भी करेंगे. अलग अलग राज्यों को कोऑर्डिनेटर से बात करेंगे. उनकी जवाबदेही तय करेंगे. अपने इलाके का पूरा काम देखेंगे. अपने इलाके में संगठन का काम मजबूत करेंगे. उत्तर प्रदेश का सारा कामकाज आकाश ही देखेंगे. पहले मायावती देखती थीं. ये वो इलाका है जहां से काशीराम ने दलित राजनीति की अलख जगाई थी. मायावती चार बार यहां से सीएम रहीं.
2024 में नहीं खुला खाता, शून्य पर सिमट गई बसपा
2012 में सत्ता गंवाने के बाद से बसपा का ग्राफ लगातार गिरता चला गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा की स्थिति 1989 से भी ज्यादा खराब हो गई. बीएसपी एक भी सीट नहीं जीत पाई. पार्टी का वोट शेयर दशकों बाद सिंगल डिजिट में आ गया. यूपी में बसपा का वोट प्रतिशत 9.39 है. वहीं, अगर देश की बात करें तो पूरे देश में बीएसपी का वोट प्रतिशत केवल 2.04 है. 1989 में बीएसपी को दो सीटें मिली थीं और वोट शेयर 9.90 प्रतिशत था. बीएसपी इस समय अब तक के सबसे खराब समय से गुजर रही है.
गलत साबित हुआ अकेले चुनाव लड़ने का फैसला
अकेले चुनाव लड़ने का मायावती का फैसला पार्टी के गले की फांस बन गया. अपने भतीजे आकाश आनंद को चुनाव प्रचार से हटाने का फैसला भी गलत साबित हुआ. उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर बनने के बाद आकाश जिस तरह से आक्रामक प्रचार कर रहे थे, दलित युवाओं में जोश भर रहे थे, वो पार्टी के लिए कारगर साबित हो सकता था लेकिन राष्ट्रीय संयोजक पद से हटने के बाद जो लोगों की उनके प्रति सिमपैथी थी, वो कांग्रेस सपा की तरफ मूव हो गया. यही वजह रही कि 2019 में 10 सीटें जीतने वाली बसपा 2024 में शून्य पर सिमट गई.
7 मई को आकाश आनंद पर गिरी थी गाज
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग के दिन मायावती ने आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया था. इसके पीछे उन्होंने आकाश के परिपक्व नहीं होने का हवाला दिया था. बसपा चीफ ने आकाश के चुनाव प्रचार से जुड़े सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए. आकाश को राष्ट्रीय संयोजक पद से हटाने की वजह उनका यानी आकाश का आक्रामक भाषण था. मायावती आकाश के सीतापुर में दिए भाषण से नाराज हो गई थीं. कहा जाता है कि आकाश ने सीतापुर में बीजेपी के खिलाफ विवादित बयान दिया था. इस बयान को लेकर आकाश के खिलाफ केस भी दर्ज हो गया था. मगर अब मायावती ने एक बार फिर से उन्हें बड़ी जिम्मेदारी है. उनके सभी पदों को वापस लौटा दिया है.