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Supreme Court Refused To Proceed In The Case Of Demolition Of The Monastery Associated With Guru Nanak

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के पुरी में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) से जुड़े एक मठ को गिराने को लेकर अवमानना कार्यवाही शुरू करने से सोमवार को इनकार कर दिया. याचिकाकर्ताओं की ओर से एक वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि विध्वंस एक न्यायिक आदेश का उल्लंघन है.

न्यायमूर्ति एम आर शाह की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वो याचिका खारिज कर रही है क्योंकि इसमें कोई ‘अवज्ञा’ नहीं है. पीठ में न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार भी शामिल थे. पीठ ने कहा, ‘‘हम अवमानना कार्यवाही शुरू नहीं करना चाहते. हम इसे खारिज कर रहे हैं. हमें अवमानना कार्यवाही शुरू करने की कोई वजह नजर नहीं आती.’’

सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में आदेश जारी में कहा था…

याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि जगन्नाथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र को स्वच्छ करते समय अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि मठ में देवी-देवताओं की प्रतिमा, समाधि प्रभावित नहीं होगी. साथ ही कलिंग शैली के वास्तु की तर्ज पर बेहतर सौंदर्यीकरण के साथ मौजूदा स्थान पर ही उन्हें रखा जाएगा.

2019 में हुए थे प्रदर्शन

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि जिस परिसर में गुरु नानक 500 साल से पहले आए थे उसे अधिकारियों के शपथपत्र के बावजूद गिराया गया. अधिकारियों ने 2019 में शीर्ष अदालत को बताया कि जगन्नाथ मंदिर के पास के इलाके को साफ करने की जरूरत है ताकि कोई भगदड़ नहीं मचे, आग लगने की घटना नहीं घटे. पुरी में सिख मठ परिसर के विध्वंस को लेकर दिसंबर 2019 में प्रदर्शन हुए थे.

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