क्या टूट जाएगा इंडिया गठबंधन, समाजवादी पार्टी में अंदरखाने क्या चल रहा है? | India alliance break what did the leaders say to Akhilesh Yadav in the Samajwadi Party meeting


अखिलेश यादव यूपी में कांग्रेस को जैसे को तैसा वाला सबक सिखा सकते हैं.
क्या यूपी में इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले ही बिखर जाएगा? समाजवादी पार्टी कैंप से अब इस तरह के संकेत मिलने लगे हैं. समाजवादी पार्टी की नई प्रदेश कार्यकारिणी की पहली बैठक में कई नेताओं ने यही मांग उठा दी. कुल मिलाकर बैठक का माहौल यही रहा कि एमपी का बदला यूपी से लेंगे. ये बात तो खुद अखिलेश यादव ने कही थी. उन्होंने ये बयान एमपी के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से सीटों का तालमेल न होने के बाद दिया था. उन दिनों एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में ये तक कह दिया था कि ‘अखिलेश वखिलेश की बात छोड़ो’.
नाराज अखिलेश यादव ने यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को चिरकुट नेता कह दिया. तो अजय राय ने अखिलेश यादव को लेकर एक और विवादित बयान दे दिया. उन्होंने कहा ‘जिसने अपने पिता का सम्मान नहीं किया वे मेरा क्या करेंगे’. राहुल गांधी के कहने पर कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने अखिलेश यादव को फोन कर बयानबाजी पर रोक लगाने की बात कही. उन्होंने ये भी कहा कि मध्य प्रदेश में भले गठबंधन न हो पाया लेकिन हमें आम चुनाव तो मिलकर लड़ना है.
कांग्रेस को उसी की भाषा में जवाब देंगे अखिलेश!
एमपी के चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए कांग्रेस ने सुई के नोंक बराबर जमीन न देने वाली जदि पकड़ ली. इस बात से अखिलेश यादव के लोग अब कांग्रेस को उसकी ही भाषा में जवाब देने के मूड में हैं. पार्टी के एक मुस्लिम विधायक ने कहा ‘कांग्रेस यूपी में माहौल बना रही है कि मुसलमानों के लिए सबसे बेहतर उनकी ही पार्टी है. वे हमारे बारे में बताते हैं कि हम बीजेपी से मिले हुए हैं. ये काम तो पीठ में छुरा घोंपने जैसा है’. आज़म खान के जेल जाने के बाद अजय राय ने उनसे मिलने की घोषणा कर दी. जबकि उन्हें पता था कि सीतापुर जेल में आजम खान से उनकी मुलाकात नहीं हो सकती है. ये सब तब हुआ जब कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने भरोसा दिलाया था कि अब आगे से समाजवादी पार्टी के खिलाफ कोई काम नहीं होगा. अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे पार्टी के एक नेता ने कहा ‘कांग्रेसी हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं. जवाब देना हमें भी आता है’.
महीने भर से खींचतान
यूपी में इंडिया गठबंधन में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल हैं. पिछले महीने भर से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में किच-किच जारी है. अखिलेश यादव को लगता है कि यूपी में कांग्रेस जमीन पर कहीं नहीं है. जबकि कांग्रेस के नेताओं को लगता है बीजेपी के खिलाफ राहुल गांधी ही सबसे भरोसेमंद चेहरा हैं. चुनावी नतीजों के आंकड़े तो यही बताते हैं कि हर लिहाज से कांग्रेस यूपी में कमजोर हालत में है. प्रियंका गांधी ने पिछले साल अक्टूबर महीने में ही यूपी के प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से यहां कोई प्रभारी नहीं है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दो ही सीटों पर जीत पाई. जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गॉंधी तक हार गए थे. पार्टी को सिर्फ एक सीट मिली थी, रायबरेली से सोनिया गांधी चुनाव जीतने में कामयाब रही थीं.
कांग्रेस के लिए छोड़ सकते हैं 15 सीटें
अखिलेश यादव के एक करीबी नेता कहते हैं कि- ‘हम कांग्रेस के लिए पंद्रह लोकसभा सीटें ही छोड़ सकते हैं. गठबंधन का कोई तो फार्मूला होगा. उनके पास तो उम्मीदवार ही नहीं हैं. पिछली बार जिन सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई थी, ऐसी सीटें वे कैसे मांग सकते हैं. समाजवादी पार्टी के एक और नेता ने कहा- ‘कांग्रेस वाले बड़े छोटे मन के हैं. जब देने की बारी होती है, भाग जाते हैं. वे बस लेना ही जानते हैं. प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में अखिलेश यादव के सामने एक सीनियर लीडर ने कह दिया कि कांग्रेस से गठबंधन नहीं करना चाहिए. इससे उन्हें तो फ़ायदा है लेकिन हमें कुछ नहीं मिलेगा. इस दावे में दम है. क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में तो ऐसा ही हुआ था. तब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन था.
समाजवादी पार्टी का मानना है कि एमपी, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के चुनाव में अगर कांग्रेस को जीत मिली तो फिर उनके नेता हवा में उड़ने लगेंगे. सीटों को लेकर उनकी डिमांड सातवें आसमान तक पहुंच सकती है. इससे बेहतर ये है कि समाजवादी पार्टी अकेले अपने दम पर चुनाव लड़े. वैसे भी कांग्रेस के पास आज की तारीख़ में अपना कोई वोट बैंक तो नहीं है. लखनऊ में पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में इस बात को लेकर आम सहमति रही कि गठबंधन तभी रहेगा जब हम बिग ब्रदर रहेंगे.