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PM Narendra Modi BJP Play Master Stroke In Madhya Pradesh Announcing Mohan Yadav Name For Madhya Pradesh CM KNOW HOW

Madhya Pradesh New Chief Minister: मध्य प्रदेश में सोमवार को जैसे ही सीएम के नाम की घोषणा हुई, वैसे ही राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग चौंक गए. ये पहला मौका नहीं है जब बीजेपी ने मुख्यमंत्री के नाम को लेकर देश को चौंकाया हो. बीजेपी सरप्राइज देने में माहिर है. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की रेस में शिवराज चौहान, प्रहलाद पटेल और नरेंद्र तोमर जैसे दिग्गजों के नाम पर अटकलें लगाई जी रहीं थी, लेकिन विधायक दल की बैठक के बाद मोहन यादव के नाम का ऐलान कर दिया गया.

अब बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर इतने दिग्गजों को किनारे कर मोहन यादव के नाम पर आम सहमति कैसे बनी? मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाना 2024 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मास्टर स्ट्रोक क्यों कहा जा रहा है? आइए विस्तार से जानते हैं इन सवालों के जवाब.

इस तरह मोहन यादव पर बनी सहमति

विधायक दल की बैठक में जो एमएलए चौथी लाइन में बैठा हो, जो कहीं रेस में न हो अचानक उसका नाम तमाम दिग्गजों को पछाड़कर सीएम के लिए आया तो हर कोई हैरान हो गया, लेकिन इस हैरानी की स्क्रिप्ट अचानक नहीं लिखी गई थी, यह पहले से तय थी. बीजेपी की टॉप लीडरशिप ने मोहन यादव का नाम पहले ही तय कर लिया था, लेकिन जब तक नए सीएम के नाम का ऐलान नहीं हो गया तब तक पार्टी के चंद नेताओं को छोड़कर किसी को इसकी हवा तक नहीं लगी.

विधायक दल की बैठक का प्रोग्राम पहले से ही तय था. सबकुछ उसी के मुताबिक किया गया. सोमवार दोपहर करीब दो बजे पार्टी के पर्यवेक्षक भोपाल पहुंचे. शाम करीब 4 बजे विधायक दल की बैठक शुरू हो गई. पर्यवेक्षकों में शामिल हऱियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने शुरुआती भाषण से ही हिंट दे दिया कि बदलाव होने वाला है. उन्होंने कहा, “पार्टी जो ज़िम्मेदारी देती है उसे निभाना है. समय-समय पर पार्टी भूमिका बदलती है. हर कार्यकर्ता को उसकी भूमिका का निर्वहन करना होता है.” हालांकि इससे बदलाव तो स्पष्ट हुआ, लेकिन सीएम कौन होगा ये साफ नहीं था. इसी बीच अचानक शिवराज सिंह चौहान ने अगले मुख्यमंत्री के तौर पर मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रख दिया.

लोकसभा चुनाव में कई राज्यों में हो सकता है फायदा

मध्य प्रदेश में ये पहले से तय माना जा रहा था कि अगर शिवराज हटेंगे तो किसी ओबीसी को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन बीजेपी ने सिर्फ ओबीसी से चेहरा नहीं चुना, बल्कि यादव समाज से चुना. इसका असर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान तक दिख सकता है. यही नहीं, बीजेपी का यह दांव विरोधियों की टेंशन भी बढ़ा सकता है.

लोकसभा की 149 सीटों पर दिखेगा असर

मोहन यादव ओबीसी समाज से आते हैं. सभी वर्गों के कुल वोटरों में ओबीसी वोटर 49 फीसद के करीब हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के 20 जिलों में ओबीसी वोटर की संख्या 50 प्रतिशत से ज्यादा है. मध्य प्रदेश के साथ ही देश के सबसे बड़े सियासी सूबे उत्तर प्रदेश और बिहार में भी ओबीसी वोटर को साधने की कोशिश की गई हैं. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार को मिलाकर लोकसभा की 149 सीटें हैं और इन तीनों राज्यों में ओबीसी में यादव वोटर्स विनिंग फैक्टर हैं.

ओबीसी के साथ दूसरे जातिय समीकरण भी साधे

ओबीसी समाज से सीएम बनाने के साथ ही बीजेपी ने बाकी जातीय समीकरण साधने की कोशिश भी की है. पार्टी ने मध्य प्रदेश में दो डिप्टी सीएम भी बनाए हैं. जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को डिप्टी सीएम बनाया गया है. वहीं स्पीकर की जिम्मेदारी नरेंद्र सिंह तोमर को सौंपी गई है. जगदीश देवड़ा जहां अनुसूचित जाति से आते हैं, तो वहीं राजेंद्र शुक्ला ब्राह्मण समाज से हैं. नरेंद्र सिंह तोमर क्षत्रिय समाज से हैं. इस तरह बीजेपी ने ओबीसी, अनुसूचित जाति, क्षत्रिय और ब्राह्मण को साधने की कोशिश की है.

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