Sawan 2024: इकलौता मंदिर जहां अकेले बैठे हैं भोलेनाथ, 5300 साल से बाहर बैठकर माता पार्वती कर रहीं इंतजार! | Gopeshwar Mahadev Temple Vrindavan alone Mata Parvati outside Story of Shiva Purana Shrimad Bhagwat Katha Maharas


गोपेश्वर महादेव, वृंदावन
भगवान शिव का बेहद प्रिय सावन का महीना है. आप भी भगवान शिव के अभिषेक, दर्शन और पूजन के लिए शिव मंदिर तो जाते ही होंगे. आपको हरेक मंदिर के गर्भ गृह में बीच में शिवलिंग और पास में ही नंदी के साथ माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय जी भी बैठे मिलेंगे. लेकिन, दुनिया का शायद इकलौता शिव मंदिर वृंदावन में है, जहां भोलेनाथ तो गर्भ गृह में विराजमान हैं और माता पार्वती दरवाजे के बाहर बैठकर उनके बाहर निकलने का इंतजार कर रही हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं, द्वापर युग यानी करीब 5300 साल पहले स्थापित प्रसिद्ध गोपेश्वर महादेव मंदिर की.
श्रीमद भागवत महापुराण में इस मंदिर का प्रसंग मिलता है. इस प्रसंग में साफ तौर पर कहा गया है कि वृंदावन में स्थापित यह मंदिर उस समय का है जब भगवान कृष्ण ने महारास रचाया था. उस समय भगवान शिव महारास देखने के लिए आए थे. भगवान कृष्ण जब महारास कर रहे थे, उस समय वह अकेले पुरुष थे, जबकि उनके साथ लाखों गोपियां थीं. भगवान शिव ने भी रास में घुसने की कोशिश की, लेकिन गोपियों ने उन्हें रोक दिया. उस समय भगवान शिव ने एक गोपी की ही सलाह पर स्त्री रूप धारण कर साड़ी पहनी, नाक में बड़ी सी नथुनी पहनी, 16 श्रृंगार किए और महारास में शामिल हो गए.
भोलेनाथ का पीछा करते वृंदावन पहुंची पार्वती
उस समय पहली बार भगवान शिव माता पार्वती को बिना बताए कैलाश से बाहर निकले थे. इसकी खबर माता पार्वती को हुई तो वह भी उनका पीछा करते हुए वृंदावन पहुंची. यहां उन्होंने देखा कि बाबा नथुनिया वाली गोपी बने भगवान कृष्ण के साथ रास रचा रहे है, तो वह भी मोहित हो गईं. उन्होंने भी अंदर जाकर महारास में शामिल होने की सोची, लेकिन उन्हें डर था कि बाबा अंदर जाकर पुरूष से स्त्री बन गए है, यदि वह भी अंदर जाकर स्त्री से पुरुष बन गईं तो क्या होगा.
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गर्भ गृह के बाहर बैठकर इंतजार कर रही हैं माता
यही सोच कर माता पार्वती बाहर दरवाजे पर ही बैठकर बाबा को बाहर बुलाने के लिए इशारे करने लगीं. उस समय बाबा ने भी साफ कह दिया कि इस रूप में तो अब वह यहीं रहेंगे. तब से भगवान शिव साक्षात गोपेश्वर महादेव के रूप में यहां विराजमान हैं और गर्भगृह के बाहर माता पार्वती बैठी हैं. आज भी समय समय पर बाबा नथुनिया पहन कर गोपी बनते हैं. खासतौर पर शरद पूर्णिमा की रात यानी महारास के दिन बाबा 16 श्रृंगार धारण करते हैं. वैसे तो सावन में सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ती है, लेकिन भोलेनाथ के इस मंदिर में सबसे ज्यादा श्रद्धालु शरद पूर्णिमा को आते हैं.