Yemen’s Houthi rebels threaten Saudi Arabia asked not to help USA

Houthi Vs Saudi Arabia: यमन के हूती विद्रोहियों और सऊदी अरब के बीच बड़ी लड़ाई शुरू होने का खतरा बढ़ता जा रहा है. हूतियों ने सऊदी अरब को सीधी धमकी दी है कि वह अमेरिका के साथ मिलकर उन पर हमला न करे. उन्होंने यह भी कहा है कि अगर सऊदी अरब ऐसा करता है तो वे उसके तेल ठिकानों पर हमला करेंगे. 9 अप्रैल को यमन के शिया चरमपंथी हूती समूह ने सऊदी अरब को चेतावनी दी कि वह अमेरिका के नेतृत्व में चल रहे हमलों में हिस्सा न ले. उन्होंने पहले सऊदी अरामको (सऊदी अरब की सबसे बड़ी तेल कंपनी) पर किए गए पिछले हमलों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं, ताकि सऊदी अरब को चेतावनी दी जा सके.
हूती सेना ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “सऊदी अरब और अमेरिका मिलकर यमन पर हमला करने की तैयारी कर रहे हैं, जो इजरायल के हित में है.” उन्होंने सऊदी अरब को चेतावनी देते हुए लिखा, “इसमें शामिल मत होना वरना तुम्हारा तेल नहीं बचेगा.” पोस्ट में आगे कहा गया, “अगर सऊदी अरब ने हमला किया तो हम उसके आसमान को आग से भर देंगे और पूरी दुनिया ये नजारा देखेगी.”
सऊदी अरब और हूतियों के बीच पहले भी हो चुकी है लड़ाई
सऊदी अरब पहले भी यमन में हूती विद्रोहियों के साथ करीब दस साल तक लड़ाई कर चुका है लेकिन वह इस शिया समूह को पूरी तरह रोक नहीं पाया. जब हूतियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया तो सऊदी अरब ने इस युद्ध से खुद को बाहर निकालने की कोशिश की.
इसी दौरान 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया. इसके जवाब में इजरायल ने गाजा में बड़ा सैन्य अभियान शुरू कर दिया, जिसके चलते सऊदी अरब और हूतियों के बीच चल रही शांति बातचीत बीच में रुक गई.
अमेरिका का यमन में अभियान
इजरायल के हमलों के बाद फिलिस्तीन का समर्थन करते हुए यमन के हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से गुजरने वाले जहाज़ों पर हमले शुरू कर दिए. यह रास्ता दुनिया के व्यापार के लिए बहुत जरूरी है. इस खतरे को देखते हुए अमेरिका और उसके साथ पश्चिमी देशों की सेनाओं ने हूतियों के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किया ताकि इस समुद्री रास्ते को सुरक्षित रखा जा सके. 15 मार्च को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एलान किया कि हूतियों की ताकत को खत्म करने के लिए यमन में कार्रवाई तेज की जाएगी. इसके बाद अमेरिकी सेना लगातार हूती ठिकानों पर हमले कर रही है.
क्या सऊदी अरब इस अभियान में शामिल है?
अगर यह लड़ाई और बढ़ती है तो सऊदी अरब के लिए खतरा बढ़ सकता है क्योंकि उसकी सबसे बड़ी चिंता अपनी तेल फैक्ट्रियों और तेल सुविधाओं की सुरक्षा है. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका के साथ पुराने सैन्य रिश्तों की वजह से सऊदी अरब भी चुपचाप इस अभियान में शामिल हो गया है. दिलचस्प बात यह है कि यमन में अमेरिका हूतियों पर इसलिए हमला कर रहा है क्योंकि वे इजरायल के खिलाफ हैं और फिलिस्तीन के गाजा में रह रहे लोगों का समर्थन कर रहे हैं. ऐसे में अगर सऊदी अरब अमेरिका का साथ देता है तो यह इजरायल का साथ देने जैसा ही माना जाएगा.