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क्या सच में आसमान से हो रही ‘एसिड रेन’? इन शहरों में मंडराया खतरा

क्या सच में आसमान से हो रही 'एसिड रेन'? इन शहरों में मंडराया खतरा

सांकेतिक तस्वीर

देश के विभिन्न शहरों में प्रदूषण अब जानलेवा होता जा रहा है. सर्दियों में दिल्ली समे आसपास के शहर गैस चैंबर बन जाते हैं. अब नई रिसर्च में पता चला है कि बारिश के दौरान कई शहरों में एसिड रेन हो रही है. इन शहरों में प्रयागराज, विशाखापत्तनम और असम का मोहनबाड़ी शामिल है. इस रिपोर्ट के मुताबिक इन शहरों में एसिड रेन ज्यादा हो रही है. इसी प्रकार थार मरुस्थल से उठने वाली धूल की वजह से जोधपुर, पुणे और श्रीनगर में बारिश का पानी क्षारीय हो रहा है.

यह खुलासा भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिकों की रिसर्च में हुआ है. यह रिसर्च में देश के 10 प्रमुख शहरों में बारिश के पानी में पीएच लेबल का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार किया गया है. इस अध्ययन में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक शामिल रहे हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक निगरानी के लिए चिन्हित अधिकांश स्थानों पर पीएच स्तर में काफी गिरावट दर्ज हुई है. यह गिरावट चिंताजनक है. यह स्थिति शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की वजह से बनी है.

जीवों और वनस्पतियों को खतरा

रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों के मुताबिक चाहे अम्लीय (एसिडिक) बारिश हो या क्षारीय (अल्कलाइन) दोनों ही प्रकार की वर्षा का प्रभाव खतरनाक हो सकता है. इससे जलीय जीवों के साथ ही वनस्पतियों का भी जीवन प्रभावित हो सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक फिलहाल तो इस एसिड रेन या छारीय बारिश से कोई खतरा तो नहीं, लेकिन यह परिस्थिति चिंताजनक जरूर है. कहा कि बारिश के पानी में पीएच जितना कम होगा, अम्लता उतनी ही अधिक होगी.

सामने आई ये वजह

वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 0 से 14 के पैमाने में । पीएच लेबल की जांच होती है. इसमें सात का पैमान न्यूट्रल है. इसी से तय किया जाता है कि पानी कितना अम्लीय है और कितना छारीय. इस पानी के अध्ययन के लिए 1987 से 2021 तक ग्लोबल एटमॉस्फियर वाच स्टेशन बनाए गए थे. इन स्टेशनों पर बारिश के पानी का अध्ययन किया गया. इसमें अधिकांश स्थानों पर पीएच लेबल में कमी पाई गई है. इसकी वजह वाहनों और औद्योगिक गतिविधियों को बताया गया है.



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