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Apara Ekadashi 2023 Date Puja Muhurat Vidhi Jyeshta Ekadashi Significance

Apara Ekadashi 2023: 6 मई 2023 से ज्येष्ठ माह की शुरुआत हो जाएगा. पंचांग के अनुसार हर माह में दो एकादशी आती है पहली कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकदाशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है.

शास्त्रों में अपरा एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन भद्रकाली जयंती भी मनाई जाती है. अपरा एकादशी अपार धन और पुण्यों को देने वाली तथा समस्त पापों का नाश करने वाली मानी जाती है. आइए जानते हैं इस साल अपरा एकादशी की डेट, मुहूर्त और महत्व

अपरा एकादशी 2023 डेट (Apara Ekadashi 2023 Date)

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अपरा एकादशी 15 मई 2023, सोमवार के दिन है. पद्म पुराण के अनुसार जो मनुष्य अपरा एकादशी का व्रत करते हैं, उनकी लोक में प्रसिद्धि होती है. आसाध्य रोगों से मुक्ति पाने और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा अचूक मानी जाती है.

अपरा एकादशी 2023 मुहूर्त (Apara Ekadashi 2023 Muhurat)

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी तिथि की शुरुआत 15 मई 2023 को प्रात: 02 बजकर 46 मिनट होगी और अगले दिन 16 मई 2023 को प्रात 01 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी. इसी दिन एकादशी व्रत पारण किया जाएगा.

  • अपरा एकादशी व्रत पारण समय – सुबह 06.41 – सुबह 08.13 (16 मई 2023)
  • विष्णु जी की पूजा का मुहूर्त – सुबह 08.54 – सुबह 10.36 (15 मई 2023)

अपरा एकादशी महत्व (Apara Ekadashi Significance)

धार्मिक मान्यता के अनुसार जो फल गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने से प्राप्त होता है, वही अपरा एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है. बद्रीनाथ के दर्शन, सूर्यग्रहण में स्वर्णदान करने से मिलने वाला फल मात्र अपरा एकादशी का व्रत करने से समान मिलता है. अपरा एकादशी को अजला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन श्रीहरि का पूजन और ब्राह्मणों को दान देने से कीर्ति और धन में वृद्धि होती है.

अपरा एकादशी पूजा विधि (Apara Ekadashi Puja Vidhi)

अपरा एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होने के बाद श्रीहरि को केला, आम, पीले फूल, पीला चंदन, पीले वस्त्र चढ़ाएं और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. श्रीहरि को केसर का तिलक लगाएं और फिर स्वंय भी टीका करें. अपरा एकादशी के दिन अनजाने में हुए पापों का उद्धार के लिए जल सेवा करनी चाहिए, पशु-पक्षियों और मनुष्यों को गर्मी से राहत पहुंचाने के लिए दान-पुण्य करना चाहिए.

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