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छात्र संघ चुनाव का विजेता, प्रोफेसर से लव मैरिज और मधुमिता मर्डर केस; कहानी शूटर प्रकाश पांडेय की

छात्र संघ चुनाव का विजेता, प्रोफेसर से लव मैरिज और मधुमिता मर्डर केस; कहानी शूटर प्रकाश पांडेय की

शूटर प्रकाश पांडेय

उत्तर प्रदेश के चर्चित मधुमिता मर्डर केस के आरोपी प्रकाश पांडेय की मौत हो गई. उसे कैंसर की बीमारी थी. मधुमिता मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट से उसे जमानत मिल गई थी और वह जेल से बाहर था. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र के चारगांव के रहने वाले प्रकाश पांडेय की पारिवारिक पृष्ठभूमि काफी अच्छी रही है. पिता एक बिजनेसमैन थे और एक पेट्रोल पंप भी उनके पास था. लेकिन प्रकाश पांडेय गलत संगत में पड़ गया और आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने लगा.

9 मई, 2003 को मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में प्रकाश पांडेय का पहली बार नाम बतौर शूटर सामने आया. यही उसके जीवन का अंतिम अपराध भी था. श्रीप्रकाश शुक्ला बनने की चाहत में उसने अपने जीवन की दिशा को मोड़ दिया. मधुमिता हत्याकांड में सजा काटने के दौरान वह जेल से जमानत पर रिहा हुआ, लेकिन कैंसर ने उसे अपने आगोश में ले लिया और इलाज के दौरान लखनऊ के पीजीआई में उसकी मौत हो गई. गोरखपुर के राजघाट में उसका अंतिम संस्कार हुआ.

पिता बिजनेसमैन थे

प्रकाश पांडेय ने एमजी इंटर कॉलेज से इंटर और डिग्री कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की थी. पढ़ाई के दौरान ही उसकी संगत कुछ गलत लोगों से हो गई. उनका मिलना जुलना बढ़ने लगा और रुस्तमपुर व आजादचौक पर उनकी बैठकी भी होती थी. क्योंकि पिता व्यवसायी थे और पेट्रोल पंप भी था. इसके चलते प्रकाश के पास पैसे की कोई कमी नहीं रहती थी. जितने भी दोस्त जुड़ते थे, उनके ऊपर प्रकाश दिल खोलकर खर्च करता था. इस नाते दोस्ती का दायरा काफी बढ़ता गया.

1999 में पिता मुक्तेश्वर नाथ पांडे की मौत हो गई. ऐसे में प्रकाश ने उनके कारोबार को संभालने की कोशिश की, लेकिन वह उसे संभाल नहीं पाया और गलत संगत में भटकता हुआ आगे चला गया. उसके पुराने दोस्तों ने बताया कि प्रकाश पांडेय, संतोष राय और श्रीप्रकाश शुक्ला की उम्र लगभग समान थी. 22 सितंबर 1998 में श्रीप्रकाश शुक्ला व उनके गैंग के अपराधियों का एनकाउंटर हो गया. उसके बाद संतोष राय, भीम सिंह, प्रकाश पांडेय व भीम तिवारी आदि ने अपराध के क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा दी. बाद में मंत्रियों से मेल-जोल के चलते संतोष राय और प्रकाश पांडे लखनऊ में ही रहने लगे.

मधुमिता मर्डर केस में नाम सामने आया

प्रकाश की निकटता अमरमणि त्रिपाठी से बढ़ गई थी. इसी बीच, 2003 में लखनऊ के ट्यूबवेल कॉलोनी में लखीमपुर खीरी की रहने वाली कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मार कर हत्या करने का मामला सामने आया. उस समय मधुमिता शुक्ला सात महीने की प्रेग्नेंट थी. उस समय पुलिस की जांच में पता चला था कि पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी व मधुमिता के बीच काफी लंबे समय से प्रेम संबंध थे. बाद में जब मधुमिता ने शादी के लिए दबाव बनाया और तब मधुमणि ने उसे रास्ते से हटाने का निर्णय लिया गया.

मधुमिता की हत्या में में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि, रोहित चतुर्वेदी, संतोष राय, प्रकाश पांडे आरोपी बनाए गए. सीबीआई कोर्ट ने 2007 में अमरमणि उनकी पत्नी समेत चार लोगों को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. सभी आरोपियों ने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी. 2012 में हाई कोर्ट में भी सभी आरोपियों समेत प्रकाश पांडे को भी दोषी ठहराया था और जेल में रहने के दौरान ही प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. एक साल जेल की सजा काटने के बाद 2013 में उसे जमानत मिल गई थी.

पत्नी हैं एसोसिएट प्रोफेसर

प्रकाश पांडे ने पथरा कॉलोनी की रहने वाली एक युवती से लव मैरिज की थी, जो वर्तमान में लखनऊ में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. प्रकाश लखनऊ में अपनी पत्नी और 14 वर्षीय बेटे के साथ ही रह रहा था.

छात्र संघ की राजनीति में थी दिलचस्पी

प्रकाश पांडे दिग्विजय नाथ पीजी कॉलेज में वर्ष 1997-98 में छात्र संघ का चुनाव लड़ा था और जीत गया था. उसके बाद उसके बदमाश दोस्तों की संख्या काफी बढ़ गई थी. लखनऊ में रहने के दौरान ही गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र संघ का चुनाव वर्ष 2002 -03 में हो रहा था. उस समय प्रकाश पांडे व संतोष राय प्रचार करने आए थे. वे लोग संजीव सिंह श्रीनेत का प्रचार कर रहे थे. इस दौरान दोनों लग्जरी गाड़ी और पूरे तामझाम के साथ चुनाव में लगे हुए थे. इस दौरान वह काफी पैसा भी खर्च कर रहे थे. उनके करीबी लोगों को भी समझ में नहीं आ रहा था कि इतना पैसा कहां से आया है. इसी बीच सीबीआई ने संतोष राय को गिरफ्तार कर लिया. उसके बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. इसके कुछ दिन के बाद ही प्रकाश पांडेय और राहुल चतुर्वेदी भी गिरफ्तार कर लिए गए.

सुप्रीम कोर्ट से मिली थी जमानत, बीमारी की चपेट में आ गया था

मधुमिता हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे प्रकाश पांडेय को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के चलते जमानत मिल गई. वह 2013 में जेल से बाहर आ गया. दो साल पहले वह गंभीर रूप से बीमार पड़ गया. जांच में पता चला कि उसे मुंह का कैंसर है. एक साल पहले उसने उसका ऑपरेशन करवाया था. ऑपरेशन के बाद वह मुंह से कुछ भी खा-पी नहीं पा रहा था. उसके पेट में एक नली डाली गई थी, जिसके माध्यम से कुछ लिक्विड खाद्य पदार्थ दिया जा रहा था. वह बीमारी के चलते समाज से पूरी तरह से कट चुका था. लखनऊ में वह पत्नी व अपने 14 साल के बेटे के साथ रहता था.

अपने परिवार सहित रहता था लखनऊ

गोरखपुर आवास पर उसका छोटा भाई नवीन पांडे व मां रहती हैं. हाल के दिनों में बीमारी बढ़ने के चलते उसे पीजीआई में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. मौत के बाद उसे गोरखपुर स्थित आवास पर लाया गया और राजघाट में उसका अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान उसके रिश्तेदार व सगे- सम्बन्धी, शुभचिंतक बड़ी संख्या में वहां मौजूद रहे.

रिटायर सीओ शिवपूजन सिंह यादव ने बताया कि वह वर्ष 2002-03 में कोतवाली में तैनात थे. मधुमिता हत्याकांड में पहली बार मैंने प्रकाश पांडेय का बतौर शूटर नाम सुना था. ऊपर से आदेश आया था कि प्रकाश की क्राइम हिस्ट्री को पता करके भेजिए. हमने बहुत प्रयास किया लेकिन उसके खिलाफ कुछ भी नहीं मिला. शहर के लोगों ने बताया कि वह अच्छे परिवार का है. गलत दोस्तों के संगत के चलते ही वह भटक गया था. ऐसे में मां-बाप को अपने बच्चों पर निश्चित रूप से नजर रखनी चाहिए ताकि उनको खराब संगत से बचाया जा सके.

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