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रायबरेली सिर्फ गांधी परिवार का गढ़ ही नहीं, बल्कि एक गौरवशाली इतिहास का शहर है.. | Raebareli is a city with glorious history and a strong connection with politics.

रायबरेली सिर्फ गांधी परिवार का गढ़ ही नहीं, बल्कि एक गौरवशाली इतिहास का शहर है..

रायबरेली और राजनीति

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पहली बार रायबरेली की सीट पर किस्मत आजमाई और उन्होंने करीब 4 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की. रायबरेली को गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है और राहुल गांधी की इस बड़ी जीत के साथ ही एक बार फिर चर्चा में आ गया शहर रायबेरली.

उत्तर प्रदेश का शहर रायबरेली प्रदेश का व्यापारिक केंद्र माना जाता है. यहां केंद्र सरकार ने कई उद्योगों की स्थापना की जिनमें आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना, इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्री और नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन अहम हैं.

इतिहास के पन्नों में

जिला रायबरेली अंग्रेजों ने 1858 में बनाया था और इसे अपने मुख्यालय शहर के बाद नामित किया था. कहते हैं ये शहर भर जाति के लोगों ने स्थापित किया जो तब भरौली या बरौली के नाम से जाना जाता था और धीरे-धीरे बरेली हो गया. इसके साथ राय इसलिए जुड़ा क्योंकि उस वक्त कायस्थों के राय शहर के मालिक हुआ करते थे.

8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत के साथ ही रायबरेली चर्चा में आ गई. यहां स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई आंदोलन हुए. लोगों ने सत्याग्रह में भाग लिया और खूब गिरफ्तारी दी. उन्नाव के बैसवारा ताल्लुक के राजा राणा बेनी माधव सिंह ने रायबरेली के एक बड़े हिस्से में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांति की मशाल जलाई. अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले राजा बेनी माधव रायबरेली जिले के लिए महानायक बने और साल 1857 की क्रांति के दौरान रायबरेली में बेनी माधव ने जिले को अंग्रेजों से स्वतंत्र करवाया.

रायबरेली, उन्नाव और लखनऊ में अंग्रेजों का सामना करने के लिए बेनी माधव ने हजारों किसानों, मजदूरों को जोड़ कर क्रांति की जो शुरुआत की उससे अंग्रेज हैरान रह गए. बहुत कोशिशों के बाद भी बेनी माधव अंग्रेजों के हाथ नहीं लगे और पहले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख योद्धाओं में उनका नाम शामिल हुआ.

‘मुंशीगंज गोलीकांड’ का काला दिन

एक किसान आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग जैसा हत्याकांड सई नदी के तट पर दोहराया था. निहत्थे किसानों को ब्रिटिश सरकार ने गोलियों से भून दिया था. रायबरेली शहर के एक छोर पर मौजूद मुंशीगंज कस्बा सई नदी के तट पर है. जनवरी 1921 को किसान तत्कालीन अंग्रेज शासकों के अत्याचारों से तंग होकर एक जनसभा कर रहे थे जिसमें हिस्सा लेने दूसरे गांव से भी किसान आए थे. इस जनसभा के नेता अमोल शर्मा और बाबा जानकी दास की हत्या की खबर अचानक फैली तो और ज्यादा किसान नदी किनारे जमा हो गए.

हालात की गंभीरता देखते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू भी रायबरेली पहुंचे लेकिन उन्हें सभा स्थल तक जाने से पहले ही रोक दिया गया. इसके बाद अंग्रेजों ने सभा में मौजूद किसानों पर गोलियों की बौछार कर दी. रायबरेली जिले का वो किसान आंदोलन अंग्रेजों के जुल्म और तम के काले अध्याय के खिलाफ किसानों के बलिदान की वो कहानी है जिसे मुंशीगंज गोलीकांड के नाम से जाना जाता है. करीब 750 किसानों के खून से सई नदी रक्त-रंजित हो गई.

राजनीति और रायबरेली

साल 1957 से रायबरेली सीट पर चुनाव लड़ा जाने लगा और उस वक्त पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी यहां से सांसद निर्वाचित हुए थे. इस सीट से नेहरू-गांधी परिवार का पुराना नाता है. चुनाव और उपचुनाव मिलाकर यहां 15 बार से ज्यादा कांग्रेस को जीत मिली. इंदिरा गांधी से सोनिया गांधी तक इस सीट से संसद पहुंच चुके हैं और इस बार बारी है राहुल गांधी की.

राहुल गांधी ने वायनाड और रायबरेली दोनों सीट से इस बार चुनाव लड़ा और दोनों ही सीट पर बड़ी जीत हासिल की लेकिन कहा जा रहा है वो वायनाड की सीट छोड़कर रायबरेली की सीट पर ही परिवार की विरासत को आगे बढ़ाएंगे.

पर्यटन के लिए भी बेहतरीन

घूमने-फिरने के लिहाज से भी रायबरेली बहुत अच्छी जगह है. मनसा देवी मंदिर, डलमऊ घाट और किला, इंदिरा उद्यान, समसपुर पक्षी अभ्यारण्य, महेश विला पैलेस जैसी कई जगहें जो इतिहास के पन्नों से लेकर बदलते दौर की कहानी कहती हैं. साथ ही उत्तर भारत के कई मशहूर व्यंजन भी आपको यहां चखने को मिलेंगे.

कुल मिलाकर देखें तो राजनीति के लिहाज से रायबरेली आज जितना नाम कमा रही है, उतना ही गौरवशाली इसका इतिहास भी रहा है और निसंदेह ये उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में से एक है.

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