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बाबर नहीं, मुहम्मद बिन अब्दुल्ला के नाम पर बनेगी अयोध्या में मस्जिद; महिला पुरुष दोनों को मिलेगी एंट्री | Mosque to be built in Ayodhya in the name of Muhammad bin Abdullah

बाबर नहीं, मुहम्मद बिन अब्दुल्ला के नाम पर बनेगी अयोध्या में मस्जिद; महिला-पुरुष दोनों को मिलेगी एंट्री

अयोध्या में मस्जिद का डिजाइन तैयार. (फाइल फोटो)

अयोध्या के धन्नीपुर में अब मस्जिद बनेगी. इस मस्जिद का नाम “मुहम्मद बिन अब्दुल्ला” रहेगा. बाबरी मस्जिद ध्वस्त होने के बाद विवादित जगह पर राम मंदिर निर्माण का काम चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर ही अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ की जगह आवंटित की गई है. इस जगह पर मस्जिद जरूर बनेगी. मस्जिद का नाम मुगल शासक बाबर के नाम से नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय के पवित्र नाम “मुहम्मद बिन अब्दुल” के नाम से रखा जाएगा. मुहम्मद बिन अब्दुल्ला, पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पिता का नाम है.

मुंबई के रंगशारदा ऑडिटोरियम में इस मस्जिद की पूरी प्लानिंग दिखाई गई. मस्जिद के साथ में अयोध्या के धन्नीपुर गांव में कैंसर अस्पताल, गर्भवती महिलाओं का अस्पताल, शिक्षा संस्थान, लायब्रेरी जैसी सुविधाओं के साथ भव्य मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए मस्जिद परिसर में पर्यटन स्थलों का निर्माण भी किया जाएगा.

मस्जिद 5 एकड़ में बनेगी, जिसमें एक साथ 9 हजार लोग नमाज अदा कर सकेंगे. देश की सबसे आकर्षक और सुविधाओं के साथ यह मस्जिद रहेगी. 5 एकड़ जमीन के अलावा यहां 6 एकड़ जमीन अतिरिक्त लेने की तैयारी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने की है. 11 एकड़ जमीन के साथ मस्जिद का भव्य निर्माण किया जाएगा. महिला और पुरुषों के लिए वजू खाना बनेगा, जिसके बीचो-बीच फिश एक्वेरियम बनेगा.

मस्जिद निर्माण कार्य के लिए पहली ईंट दी गई

मुंबई में बीजेपी नेता और महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष हाजी अराफात ने अपनी तरफ से मस्जिद निर्माण कार्य के लिए पहली ईंट दी है. उन्होंने कहा है कि मस्जिद निर्माण के लिए फंडिंग मुस्लिम समुदाय से इकट्ठा की जाएगी. अगले 3 से 4 वर्ष में इसका निर्माण कार्य भी पूरा किया जाएगा. सरकार से जो सहूलियत चाहिए वो मिलेगी. हम उसकी मांग भी करेंगे. जो ईंट उन्होंने मस्जिद के निर्माण के लिए दी है वो बेहद खास है.

यही नहीं, बाबर के नाम पर मस्जिद को लेकर उन्होंने साफ तौर पर ऐतराज जताया कि बाबर क्रूर था और राजा था, जो कि हम पर शासक बनकर रहा. उसके नाम की मस्जिद हमें बिल्कुल स्वीकार नहीं थी. नामों पर बहुत विचार के बाद ये नाम दिया गया है.

नाम पर भी मुस्लिम संगठनों में बहुत विवाद था

वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड की चेयरमैन जफर फारुकी ने बताया कि ये सच है कि मंदिर की तरह तेजी से मस्जिद का निर्माण नहीं हो पा रहा है. इसकी जिम्मेदारी हमारी है. हमने एक डिजाइन बनाकर सरकार को दी थी, लेकिन वो पास नहीं हुई. इसके अलावा नाम पर भी मुस्लिम संगठनों में बहुत विवाद था, ऐसे में मामला लंबा चला, लेकिन अब सही है. पहली ईंट जा रही है. जल्द ही निर्माण भी शुरू होगा.

आर्किटेक्ट इमरान शेख की मानें तो जो जगह सरकार ने मस्जिद के लिए दी है उसका भले ही शुरू में विरोध किया गया, लेकिन हकीकत ये है कि वो भारत के मानचित्र में हृदय का स्थान रखता है. भारत के नक्शे को इंसानी स्वरूप में समझें तो वो जमीन दिल की जगह आती है, जोकि बेहद नेक और पवित्र है.

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