Central Government Tushar Mehta On Delhi LG Vinai Kumar Saxena In Supreme Court Delhi

Central Government On Delhi LG: केंद्र सरकार ने बुधवार (11 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह अवधारणा गलत है कि दिल्ली में सबकुछ उपराज्यपाल करते हैं और आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ‘प्रतीकात्मक’ है.
दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के विवाद पर सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील प्रस्तुत कीं. मेहता ने कहा कि संवैधानिक ढांचा 1992 में प्रभाव में आया था और सबकुछ सौहार्दपूर्वक चल रहा है.
कितने मामले राष्ट्रपति को भेजे गए?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि साल 1992 में अनुच्छेद 239एए संविधान में शामिल किया गया था जिसमें दिल्ली के संबंध में विशेष प्रावधान हैं. उन्होंने कहा कि 1992 से आज तक मतभेद का हवाला देते हुए केवल सात मामले राष्ट्रपति को भेजे गए हैं. उन्होंने पीठ से कहा, ‘‘किसी देश की राजधानी की हमेशा विशिष्ट स्थिति रही है. मैं इस बात से सहमत हूं कि सामूहिक सिद्धांत का सम्मान होना चाहिए. मैं बताना चाहूंगा कि हम अवधारणा के मामले पर विचार कर रहे हैं, संवैधानिक कानून पर नहीं. ’’
‘उपराज्यपाल सुनते हैं’
पीठ में जस्टिस एम आर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिम्हा भी शामिल रहे. मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि अनुच्छेद 239एए (दिल्ली के संदर्भ में विशेष प्रावधान) भी दिल्ली पर लागू होता है.
उन्होंने कहा कि जब भी मंत्री उपराज्यपाल से संपर्क कर कहते हैं कि इस व्यक्ति का तबादला यहां से वहां किया जाए तो वे ऐसा कर सकते हैं और उपराज्यपाल हमेशा सुनते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम अवधारणा पर विचार कर रहे हैं, वास्तविक मुद्दे पर नहीं. इस बात का इससे बेहतर प्रमाण कुछ नहीं हो सकता कि केवल सात मामलों में मतभेद रहे हैं.’’
‘जनता ने जताया विश्वास’
मेहता ने कहा, ‘‘दिल्ली की जनता ने दिल्ली की सरकार (जीएनसीटीडी) में विश्वास जताया है. दिल्ली इस देश का हिस्सा है. यह योजना 1992 से चल रही है और सौहार्दपूर्ण तरीके से चली है.’’ मामले में सुनवाई गुरुवार (11 जनवरी) को जारी रहेगी.
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