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Dalai Lama Slams China Over Threat To Buddhism And Said China Sees Dharma As Poison

Dalai Lama On China: तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने रविवार (1 जनवरी) को चीनी सरकार पर बौद्ध धर्म को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है और कहा कि चीन (China) धर्म को जहर के रूप में देखता है. दलाई लामा ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि तिब्बती और मंगोलियाई धर्म के प्रति बहुत समर्पित हैं, हालांकि चीनी सरकार बौद्ध धर्म को जहर के रूप में देखती है और इसे पूरी तरह से नष्ट करने की कोशिश कर रही है, लेकिन वे सफल नहीं हो रहे हैं. 

दलाई लामा का ये बयान एक चीनी महिला को जासूसी करने के संदेह में बिहार में हिरासत में लेने के बाद आया है. हालांकि संदिग्ध रूप से जासूसी कर रही इस चीनी महिला की कहानी कुछ और ही निकली. विस्तृत जांच के बाद पुलिस ने पाया कि ये ऐसी महिला का मामला है जो वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी देश में जानबूझकर रह रही थी.

दलाई लामा ने क्या कहा?

दलाई लामा ने चीन में बौद्ध धर्म और उसके अनुयायियों के वर्षों तक हुए ‘दमन और उत्पीड़न’ के बाद देश में बौद्ध धर्म में बढ़ती दिलचस्पी को रविवार (1 जनवरी) को रेखांकित किया. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने कहा कि तिब्बत की बौद्ध परंपरा ने पश्चिम में लोगों का बहुत ध्यान आकर्षित किया है. अतीत में बौद्ध धर्म को एक एशियाई धर्म के रूप में जाना जाता था, लेकिन आज इसका दर्शन और अवधारणाएं, विशेष रूप से मनोविज्ञान से संबंधित दर्शन और धारणाएं, दुनियाभर में फैल चुकी हैं. कई वैज्ञानिक इस परंपरा में रुचि ले रहे हैं. 

“चीन एक बौद्ध देश रहा है”

उन्होंने कहा कि यह न केवल तिब्बत बल्कि चीन के लिए भी मायने रखता है. इसका सीधा असर चीन पर भी पड़ता है, क्योंकि चीन एक बौद्ध देश रहा है, लेकिन चीन में बौद्ध धर्म और बौद्धों का बहुत दमन और उत्पीड़न किया गया. इसलिए चीन और दुनिया में काफी बदलाव हो सकता है. मैं हमेशा एक बेहतर दुनिया की संभावना को लेकर आशान्वित रहा हूं. 

धर्मशाला में रहते हैं दलाई लामा

दलाई लामा (Dalai Lama) को माओत्से तुंग की कम्युनिस्ट क्रांति के एक दशक बाद 1959 में अपनी मातृभूमि को छोड़ना पड़ा था. भारत में शरण मिलने के बाद वह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में बस गए जिसे बड़ी संख्या में तिब्बती शरणार्थियों की मौजूदगी के कारण मिनी तिब्बत के रूप में जाना जाता है. दलाई लामा बिहार के बोधगया को ‘वज्रस्थान’ मानते हैं. वह कोविड-19 महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद प्रवचन देने के लिए यहां आए हैं. 

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