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लॉरेंस से दोस्ती, अतीक अहमद हत्याकांड में नाम और 60 से ज्यादा जुर्म… जेल से रिहा होने पर गैंगस्टर सुंदर भाटी चर्चा में, अलर्ट मोड पर पुलिस

लॉरेंस से दोस्ती, अतीक अहमद हत्याकांड में नाम और 60 से ज्यादा जुर्म... जेल से रिहा होने पर गैंगस्टर सुंदर भाटी चर्चा में, अलर्ट मोड पर पुलिस

गैंगस्टर सुंदर भाटी की क्राइम कुंडली.

सपा नेता हरेंद्र नागर और उनके सरकारी गनर भूदेव शर्मा की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहा सुरेंद्र भाटी (Gangster Sundar Bhati) इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा हो गया है. वह सोनभद्र जेल में बंद था. लेकिन इस कुख्यात गैंगस्टर के रिहा होते पुलिस (UP Police) की भी सरदर्दी बढ़ गई है. कारण है गैंगस्टर का आपराधिक इतिहास. 60 से ज्यादा आपराधिक मामले सुंदर भाटी पर दर्ज हैं.

इनमें पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष नरेश भाटी हत्याकांड (Naresh Bhati Murder) भी शामिल है. सुंदर पर नरेश की हत्या का भी आरोप है. माफिया के रिहा होते ही नोएडा और दिल्ली के कुछ इलाकों में पुलिस अलर्ट मोड पर आ चुकी है.

अगले महीने सुंदर भाटी की बेटी की शादी है. फिलहाल वो उसकी तैयारियों में लगा हुआ है. सूत्रों की मानें तो सुंदर भाटी के बाहर आते ही पुलिस के साथ-साथ इंटेलिजंस को भी सक्रिय कर दिया गया है. ताकि सुंदर भाटी की सारी गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा सके. बताया जा रहा है कि फिलहाल सुंदर भाटी दिल्ली के मयूर विहार में रह रहा है. वहीं अपने गांव कासना थाना क्षेत्र के घंघोला भी आता रहेगा.

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माना जाता है कि गैंगस्टर सुंदर भाटी के लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) से भी अच्छी दोस्ती है. यही नहीं, बाहुबली अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड में भी इस कुख्यात का नाम जुड़ चुका है. 15 अप्रैल को जब जिन तीन शूटर्स ने माफिया अतीक अहमद और उसके गैंगस्टर भाई अशरफ अहमद को गोलियों से भूना था उनमें से एक सुंदर भाटी के साथ हमीरपुर जेल में बंद रहा था. यह भी कहा गया कि शूटरों के पास से मिली जिगाना पिस्टल भाटी के इशारे पर ही उन तक पहुंची थी.

क्या था हरेंद्र नागर हत्याकांड?

दनकौर कोतवाली क्षेत्र के दादूपुर गांव के रहने वाले हरेंद्र प्रधान (Harendra Pradhan Murder) की 2015 में ग्रेटर नोएडा के नियाना गांव में हत्या कर दी गई थी. हरेंद्र प्रधान अपने साथियों के साथ एक शादी समारोह में शामिल होने गया था. वहां से वापस लौटते वक्त सुंदर भाटी गैंग के गुर्गों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. हरेंद्र नागर दादूपुर गांव का ग्राम प्रधान था.

हमले के दौरान हरेंद्र प्रधान के सरकारी गनर भूदेव शर्मा की भी गोली लगने से मौत हुई थी. इस मामले में पुलिस ने सुंदर भाटी और उसके 13 साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. नोएडा की निचली अदालत ने फिर अप्रैल 2021 में इस मामले में कुख्यात अपराधी सुंदर भाटी और उसके 11 गुर्गों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

जेल में हरेंद्र का भाई रवि काना

स्क्रैप कारोबार पर 2022 से पहले सुंदर भाटी और उसके गैंग का एकछत्र राज्य था. लेकिन नोएडा पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई से उसकी पकड़ ढीली पड़ गई. उस दौरान भाटी की कई संपत्तियों पर कार्रवाई हुई और स्क्रैप के धंधे में हरेंद्र नागर के छोटे भाई रवि नागर उर्फ रवि काना का कब्जा हो गया.

इस बीच सुंदर भाटी गैंग के एक बड़े प्रतिद्वंदी माने जाने वाले अनिल दुजाना को यूपी एसटीएफ ने मई 2023 में मेरठ में मुठभेड़ में मार गिराया. दुजाना 10 अप्रैल को जमानत पर बाहर आया था. वहीं, नोएडा के स्क्रैप कारोबार में अपना सिक्का जमाए सुंदर भाटी गैंग के प्रतिद्वंदी माने जाने वाले और सपा नेता हरेंद्र नागर के भाई रवि काना (Ravi Kana) पर भी नोएडा पुलिस का शिकंजा कस गया. नोएडा पुलिस ने रवि काना और उसकी गर्लफ्रेंड को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. रवि काना फिलहाल बांदा जेल में बंद है.

कहा जा रहा है कि सुंदर भाटी स्क्रैप कारोबार को पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने की फिराक में है. इसलिए रविंद्र नागर उर्फ रवि काना उसके निशाने पर आ सकता है. फिलहाल रवि काना के जेल जाने के बाद इस धंधे को वेस्ट यूपी के एक बड़े नेता और उनके कुछ करीबी संभाल रहे हैं. रवि काना हरेंद्र हत्याकांड का गवाह भी है. रविन्द्र की पैरवी के बाद ही सुंदर भाटी समेत 11 लोगों को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई थी.

90 के दशक का कुख्यात अपराधी

जानकारी के मुताबिक, 90 के दशक के बाद से सुंदर भाटी पश्चिमी यूपी और हरियाणा, दोनों ही राज्यों की पुलिस के लिए चुनौती था. सुंदर भाटी मूल रूप से ग्रेटर नोएडा के गंगोला का रहने वाला है. वह किसी जमाने में गाजियाबाद के लोनी इलाके के कुख्यात सतवीर गुर्जर का राईट हैण्ड हुआ करता था.

ग्रेटर नोएडा के नरेश भाटी से सतवीर गुर्जर की गहरी दोस्ती थी. नरेश गांव में परिवार वालों की हत्या का बदला लेने के लिए सतवीर के संपर्क में आया था. बस फिर वहीं से सुंदर और नरेश की भी दोस्ती हो गई. जरायम की दुनिया में दोनों दोस्तों की जोड़ी को जय-वीरू की जोड़ी कहा जाता था. लेकिन यह दोस्ती जल्द ही अदावत में बदल गई.

दुश्मनी का कारण बनी पावर पाने की चाहत. सुंदर भाटी जिस ट्रक यूनियन पर कब्जा करना चाहता था, उस पर नरेश की पहले से ही नजर थी. नरेश राजनीति में आना चाहता था. उसका मानना था कि अगर वह ट्रक यूनियन पर कब्जा कर लेता है तो उसके जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का सपना भी पूरा इसी से हो पाएगा. इसी चक्कर में दोनों ने एक दूसरे के करीबी ट्रक यूनियन अध्यक्षों की हत्या कर दी. इस गैंगवार से सुन्दर इतना बौखलाया कि नरेश के खून का प्यासा हो गया.

सुंदर ने नरेश की हत्या कर डाली

साल आया 2003 का. नरेश भाटी ने जिला पंचायत का चुनाव जीता और वह अध्यक्ष बन गया. आलम ये हुआ कि नरेश की पावर सुंदर से ज्यादा बढ़ने लगी. ये बात सुंदर को बिल्कुल भी रास न आई. उसने नरेश पर जानवेला हमला करवाया. लेकिन नरेश की किस्मत अच्छी थी. वो इस हमले में बच गया, उसका ड्राइवर और गनर मारे गए. लेकिन अगली बार सुंदर का निशाना नहीं चूका. उसने नरेश भाटी की हत्या कर दी.

नरेश के रास्ते से हटते ही सुंदर को लगा कि अब उसकी पावर और ज्यादा बढ़ गई है. उसके बाद वह लगातार संगीन अपराध करता गया. सूत्रों के अनुसार सुंदर भाटी के लॉरेंस के अलावा कुख्यात बदमाश सुभाष ठाकुर, सुनील राठी, माफिया डॉन बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह से भी गहरे संबंध हैं.



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