दिल्ली में संगठन की मीटिंग से पहले बीजेपी का UP में मंथन, दोनों डिप्टी CM और इन नेताओं के बीच हुई बातचीत | Keshav Prasad Maurya Brajesh Pathak Bhupendra Chaudhary Dharampal Singh Meeting at Uttar Pradesh BJP office


केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक. (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश बीजेपी में मचे घमासान के बीच सोमवार को पार्टी कार्यालय में यूपी के दोनों डिप्टी सीएम (केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक), प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह की बैठक हुई. इसमें संगठन को लेकर चर्चा हुई. इसके साथ ही पार्टी के संगठन मंत्रियों की दिल्ली में बैठक बुलाई गई है. इस बैठक को लेकर भी यहां चर्चा हुई है. इसके साथ ही यूपी में विधानसभा की दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर भी बातचीत हुई है.
लोकसभा चुनाव के बाद से यूपी में बीजेपी में बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा है. संगठन को सरकार से बड़ा बताने वाले केशव प्रसाद मौर्य खुलकर मैदान में उतर चुके हैं. वो योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार से सवाल भी कर रहे हैं. इस बाबत मौर्य ने सरकार को एक पत्र भी लिखा था.
सरकार से पूछा मौर्य ने पूछा था ये सवाल
इस पत्र में उन्होंने पूछा था कि संविदा और आउटसोर्सिंग से होने वाली भर्तियों में आरक्षण के नियमों का पालन कितना किया गया है?मौर्य ने पत्र लिखने के एक दिन पहले 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कहा था कि सरकार से बड़ा संगठन होता है.
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इतना ही नहीं इसके अगले ही दिन उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था, संगठन सरकार से बड़ा है. केशव प्रसाद मौर्य लोकसभा चुनाव के बाद से कैबिनेट की बैठकों में भी शामिल नहीं हो रहे हैं.
संगठन सरकार से बड़ा है… संगठन से बड़ा कोई नहीं होता है! हर एक कार्यकर्ता हमारा गौरव है।@narendramodi @JPNadda @BJP4India @BJP4UP#BJPUPKaryasamiti2024 pic.twitter.com/l8yEZVXEh0
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) July 14, 2024
उत्तर प्रदेश बीजेपी में मची उथल-पुथल को लेकर विपक्ष भी लगातार तंज कस रहा है. समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव भी हमला बोल रहे हैं. बीते दिनों केशव प्रसाद मौर्य के संगठन वाले बयान पर अखिलेश ने कहा था किन संगठन बड़ा होता है, न सरकार. सबसे बड़ा होता है जनता का कल्याण.
उन्होंने कहा था कि संगठन और सरकार तो बस साधन होते हैं. लोकतंत्र में साध्य तो जनसेवा ही होती है, जो साधन की श्रेष्ठता के झगड़े में उलझे हैं, वो सत्ता और पद के भोग के लालच में हैं. उन्हें जनता की कोई परवाह ही नहीं है. भाजपाई सत्तान्मुखी हैं, सेवान्मुखी नहीं!