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उत्तर प्रदेश में कैसे टूटे अखिलेश यादव के विधायक? पढ़िए इनसाइड स्टोरी | Rajya Sabha Election Akhilesh Yadav MLAs break Uttar Pradesh 7 Vote BJP candidate Know inside story

उत्तर प्रदेश में कैसे टूटे अखिलेश यादव के विधायक? पढ़िए इनसाइड स्टोरी

अखिलेश यादव

वे कांग्रेस से विधायक रहे. अब समाजवादी पार्टी से एमएलए हैं. यूपी सरकार के एक मंत्री से उनकी गेस्ट हाउस में मुलाकात हुई. मंत्री जी से उनके पुराने संबंध रहे हैं. दोनों कई सालों तक कांग्रेस में साथ-साथ रहे. मुलाकात में बात बीजेपी को समर्थन देने पर हुई. पिछले कुछ समय से विधायक का मन पार्टी में नहीं लग रहा था. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थन के बदले वे कुछ चाहते थे. अब ये कुछ देने का फैसला तो बीजेपी में केंद्रीय नेतृत्व ही करता है. इसीलिए मंत्री जी ने विधायक के सामने ही फोन पार्टी के एक महासचिव को लगाया. उनसे विस्तार में बातचीत हुई. हर तरह की मदद का भरोसा दिया गया.

विधायक जी लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं. लेकिन बीजेपी के महासचिव ने इस पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया. बाद में समाजवादी पार्टी के विधायक की बातचीत केंद्र सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री से कराई गई. उन्होंने विधानसभा का टिकट देने का भरोसा दिया. लोकसभा चुनाव के लिए मना कर दिया. साथ ही केंद्रीय सुरक्षा भी देने का वादा किया गया. विधायक प्रसन्न हुए, फोन पर ही आशीर्वाद लिया.

वादे के मुताबिक उन्होंने बीजेपी के लिए वोट किया. ये कहानी जालौन जिले के कालपी से समाजवादी पार्टी के विधायक विनोद चतुर्वेदी की है. योगी सरकार में मंत्री योगेश प्रताप सिंह ने उनका संपर्क बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व से करवाया. बीजेपी के जिस महासचिव से उनकी बात हुई, वे लंबे समय तक यूपी में रह चुके हैं.

सपा के 7 विधायकों ने बीजेपी कैंडिडेट को दिया वोट

समाजवादी पार्टी के सात विधायकों ने बीजेपी के समर्थन में वोट किया. एक विधायक ने वोट ही नहीं डाला, जबकि एक विधायक का वोट रद्द हो गया. अमेठी के गैरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह मोदी सरकार के एक मंत्री के लगातार संपर्क में रहे हैं. कहा जाता है कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की भी कृपा उन पर बनी रहती है.

स्वामी प्रसाद मौर्य के सनातन धर्म पर बयानों के खिलाफ वे लगातार बोलते रहे हैं. उन्होंने अखिलेश यादव से भी उन्हें पार्टी से बाहर करने की डिमांड की थी. उनके बारे में कहा जाता था कि उनका तन समाजवादी पार्टी में और मन बीजेपी में था.

अयोध्या के गोसाईंगंज से विधायक अभय सिंह से उनकी दोस्ती जय-वीरू वाली है. अभय सिंह बाहुबली नेता हैं. इन पर कई मुकदमे भी चल रहे हैं. दोनों शुरुआत में मनोज पांडे के साथ मिल कर बीजेपी से संपर्क में थे. लेकिन बाद में मनोज ने बीजेपी से पैरलेल चैनल खोल लिया. राकेश और अभय केंद्रीय मंत्री के संपर्क में रहे. फिर दिल्ली के नेताओं से बातचीत हुई.

राकेश के बारे में कहा जाता है कि अमेठी के चुनाव में वे स्मृति ईरानी की मदद करते रहे हैं. उन्हें बीजेपी से विधानसभा के टिकट का भरोसा दिया गया. अभय सिंह को दिल्ली से राजनीतिक और सामाजिक सुरक्षा का वादा मिला.

दिल्ली से सपा विधायकों को मिला यह वादा

समाजवादी पार्टी के खिलाफ जाने वाले सभी विधायकों को दिल्ली से बस एक वादा मिला. राजनीतिक और सामाजिक सुरक्षा का. लेकिन हर विधायक के लिए इसके अलग-अलग मायने हैं. मनोज पांडे समाजवादी पार्टी के चीफ व्हिप थे. वे अखिलेश की सरकार में मंत्री भी रहे. वे रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक हैं. वे यूपी सरकार में मंत्री भी बनना चाहते हैं. रायबरेली से लोकसभा का चुनाव भी लड़ना चाहते हैं. बीजेपी नेताओं से मिलने के लिए वे दिल्ली तक पहुंच गए थे. जहां बीजेपी के लिए वोट करने का फॉर्मूला निकला. उन्हें भी केंद्रीय सुरक्षा देने का वादा किया गया है.

पूजा पाल प्रयागराज इलाके से समाजवादी पार्टी की विधायक हैं. उनके करीबी दोस्त ब्रजेश वर्मा के जरिए उनको साधा गया. वैसे भी वे समाजवादी पार्टी में खुश नहीं चल रही थीं. समाजवादी पार्टी के कई नेताओं ने माफिया डॉन अतीक अहमद का समर्थन किया था. तब से पूजा डिस्टर्ब थीं. उनके विधायक पति राजू पाल की हत्या का आरोप अतीक और उसके भाई पर है. पूजा के करीबी दोस्त ब्रजेश वर्मा हरदोई के मल्लावन के रहने वाले हैं. यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी यहीं के रहने वाले हैं. पूजा पाल वाले ऑपरेशन में पाठक जुट गए. बात लखनऊ से लेकर दिल्ली के नेताओं से हुई. विधानसभा चुनाव के टिकट की गारंटी दी गई. यूपी के दूसरे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का भी इस केस में अहम रोल रहा.

हर सपा विधायक पर लगे थे बीजेपी 3-4 नेता

अखिलेश सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति अब जेल में हैं. उनकी पत्नी महाराजी प्रजापति समाजवादी पार्टी की विधायक हैं. अमेठी के एक इलाके में प्रजापति परिवार का दबदबा है. मोदी सरकार में मंत्री की उन पर कृपा रही है. बस इसी रिश्ते नाते में उन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए वोट नहीं किया. कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में गायत्री प्रजापति को राहत मिल सकती है.

समाजवादी पार्टी को छोड़ कर बीजेपी के लिए निष्ठा बदलने वाले सभी विेधायकों को कुछ न कुछ मिला. इसीलिए तो अखिलेश यादव कहते हैं सब पैकेज डील में गए हैं. पर अपने घर को न संभालने की जिम्मेदारी भी तो उनकी ही है. बीजेपी ने कमजोर कड़ी को पहले पहचाना, होम वर्क किया और फिर समाजवादी पार्टी में सेंध लग गई.

हर विधायक पर बीजेपी के तीन-चार लोग लगे रहे. केंद्रीय नेतृत्व के साथ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक की टीम ने मोर्चा संभाले रखा. इसके अलावा यूपी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह, दयाशंकर सिंह और जेपी एस राठौर लगे रहे. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह भी लगातार इस आपरेशन में शामिल रहे.

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