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India Is Safe With Fourth Wave Of Corona Indian Covid19 Vaccination Booster Dose

Covid-19 Situation In India: चीन में कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील के बाद से वहां एक बार फिर कोरोना वायरस (Coronavirus) ने कहर बरपा रखा है. कोरोना मरीजों की बढ़ती तादाद की वजह से चीन (China) में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गई है. कोरोना के विस्फोट के बाद चारों तरफ डर और दहशत का माहौल है. चीन में कोरोना विस्फोट के बाद भारत (Bharat) भी सतर्क हो गया है. 

चीन में कोरोना के आउट ऑफ कंट्रोल होने से भारत पर क्या कोई नया खतरा मंडरा रहा है? भारत में कोरोना को लेकर कितना सतर्क और सजग रहने की जरूरत है? इसे लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं. आम लोगों को 2020 के हालात फिर से वापस लौटने का डर सताने लगा है. क्या भारत को कोरोना संक्रमण को लेकर चिंता करने की जरूरत है? आइए जानते हैं.

BF.7 वेरिएंट से कितना खतरा?

दरअसल, कोरोना के जिसे नए वेरिएंट BF.7 ने  चीन में इस समय तबाही मचाई हुई है, वो भारत में कई महीनों से मौजूद है. बावजूद इसके यह भारत में बड़ा खतरा साबित नहीं हुआ है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि कोरोना का खतरनाक चीनी वेरिएंट BF.7 सितंबर महीने में ही भारत आ गया था. वडोदरा में एक एनआरआई महिला में इसके लक्षण मिले थे. महिला अमेरिका से वडोदरा आई थी. उसके संपर्क में आए दो अन्य लोगों की भी जांच हुई थी. हालांकि, उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी. बाद में महिला ठीक हो गई थी.

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वैक्सीनेशन और बूस्टर डोज

कोविड की तीन लहर झेल चुके भारत में वैक्सीनेशन और बूस्टर डोज की स्थिति काफी मजबूत है. भारत में ज्यादातर आबादी को कोरोना की दोनों डोज लग चुकी है. वहीं बहुत से लोगों ने बूस्टर डोज भी लगवा ली है, जिसका असर अब साफ दिख रहा है. स्वास्थ्य मंत्री ने 19 दिसंबर को संसद में बताया था कि भारत में वैक्सीनेशन का आंकड़ा 220 करोड़ को पार कर चुका है. यह संख्या कोरोना की सभी उपलब्ध वैक्सीन की पहली, दूसरी और एहतियाति डोज को मिलाकर है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत जैसे देश को खतरा नहीं है क्योंकि हमारे देश में वैक्सीनेशन के तीन दौर हो चुके हैं. लोगों में इम्यूनिटी पैदा हो चुकी है. 

नेचुरल इम्यूनिटी मजबूत

एक्सपर्ट्स की मानें तो कोरोना संक्रमण से बचाव में नेचुरल इम्यूनिटी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. रिसर्च में दावा किया गया है कि नेचुरल और वैक्सीन दोनों की मिलीजुली हाइब्रीड इम्यूनिटी क्षमता लंबे समय तक टिकाऊ रहती है. भारतीय आबादी ने दोनों तरीकों से यह क्षमता हासिल की है. इसलिए भारतीयों में कोरोना के नए वेरिएंट का खतरा कम हो सकता है. वहीं, यहां ओमिक्रॉन को लेकर नेचुरल इम्यूनिटी डबल हो चुकी है.  

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