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india prime minister narendra modi congratulates abhinav bindra on being awarded olympic order award after 41 years of indira gandhi

Narendra Modi Congratulates Abhinav Bindra Olympic Order Award: भारत के दिग्गज शूटर अभिनव बिंद्रा को 22 जुलाई के दिन अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने ओलंपिक ऑर्डर अवार्ड से सम्मानित किया था. अब भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने उनको इस खास उपलब्धि पर बधाई दी है. बता दें कि अभिनव ने 2008 बीजिंग ओलंपिक्स की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था. अब अवार्ड मिलने पर नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के माध्यम से अभिनव बिंद्रा को बधाई दी है.

नरेंद्र मोदी ने X अकाउंट पर स्टेटमेंट जारी करते हुए लिखा, “अभिनव बिंद्रा को ओलंपिक ऑर्डर अवार्ड मिलने की खबर से सभी देशवासियों का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है. उन्हें चाहे एक एथलीट के तौर पर देखा जाए या फिर उभरते हुए एथलीटों के मेंटॉर के तौर पर, अभिनव ने खेलों और ओलंपिक मूवमेंट में उल्लेखनीय योगदान दिया है.” बता दें कि ओलंपिक ऑर्डर अवार्ड, IOC द्वारा किसी एथलीट को दिया गया सर्वोच्च पुरस्कार है.

केंद्रीय खेल मंत्री भी दे चुके हैं बधाई

2024 में एनडीए की नई सरकार बनने के बाद केंद्रीय खेल मंत्री का पद डॉ मनसुख मांडविया को सौंपा गया था. जैसे ही अभिनव बिंद्रा को अवार्ड दिए जाने की खबर आई, तभी मांडविया के ‘X’ अकाउंट से भी बधाई का संदेश दिया गया. मनसुख मांडविया ने लिखा – ओलंपिक मूवमेंट में सराहनीय योगदान के लिए अभिनव बिंद्रा को ओलंपिक ऑर्डर अवार्ड मिलने पर बधाई. उनकी उपलब्धियों को देख हमारा सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है और वे इस अवार्ड के हकदार भी हैं. उनके नाम मात्र ने ही युवा निशानेबाज और अन्य ओलंपिक एथलीटों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना जारी रखा है.

क्या है ओलंपिक ऑर्डर अवार्ड?

ओलंपिक ऑर्डर की स्थापना 1975 में हुई थी और यह ओलंपिक मूवमेंट के तहत दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है. पहले IOC आमतौर पर किसी ओलंपिक खेलों के समापन पर एथलीटों को इस पुरस्कार से सम्मानित करती थी, लेकिन इस बार बिंद्रा को पेरिस ओलंपिक 2024 के खेल शुरू होने से पहले सम्मान दिया गया है. तब यह अवार्ड तीन कैटेगरी – गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज में दिया जाता था, लेकिन 1984 में सिल्वर और ब्रॉन्ज की कैटेगरी को समाप्त कर दिया गया था. किसी भारतीय को आखिरी बार यह पुरस्कार 1983 में इंदिरा गांधी को मिला था.

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