मनोरंजन

Sylvester Stallone struggle story rocky movie script to rambo hollywood star monday motivation

Monday Motivation: दुनियाभर के अलग-अलग देशों में घुसकर दुश्मनों के छक्के छुड़ाता रैंबो हो, तबाही का दूसरा नाम एक्सपैंडेबल्स टीम का कैप्टन और रिंग में अपोनेंट को एक मुक्के पर चांद-तारे दिखाने वाला रॉकी बाल्बोआ. ये सारे कैरेक्टर्स जिंदा हैं उनके चाहने वालों के बीच. ये एक्शन करते हैं. गिरते-पड़ते हैं, उठते हैं और लड़खड़ाते हैं, लेकिन लड़ने से नहीं कतराते. इनकी जिंदगियों में बहुत सारे दुख हैं (बेशक फिल्मों में ही थे वो दुख) लेकिन इन्हें लड़ने से डर नहीं लगता. ये उठते हैं और बार-बार लड़ते हैं. ये सारे कैरेक्टर्स निभाने वाले हॉलीवुड के सुपरस्टार का नाम है सिलवेस्टर स्टैलोन. इनके निभाए गए इन फिल्मी कैरेक्टर्स इनकी रियल लाइफ से मेल खाते हैं. इसलिए आज कहानी इनकी, जो ये सिखाती है कि जब तक आप खुद पर भरोसा नहीं कर लेते आपकी जिंदगी नहीं बदलने वाली.


सिलवेस्टर स्टैलोन बचपन से ही परेशानियों का जैसे पहाड़ साथ लेकर घूम रहे थे. पैदा हुए तो उनके चेहरे का निचला हिस्सा पैरालाइज्ड था. ये असर उनके चेहरे के निचले हिस्से पर आज भी दिखता है. उन्हें इस कुदरती तकलीफ से और ज्यादा तकलीफ तब होती थी जब बच्चे उन्हें चिढ़ाते थे. नतीजा ये हुआ कि सिलवेस्टर झगड़ालू और चिड़चिड़े हो गए. जिसका असर उनके निजी जीवन पर पड़ने लगा. किसी का चिड़चिड़ा होना सामने वाले के लिए जितना परेशानी भरा होता है, उतना ही परेशानी भरा होता है उसके लिए जो खुद ऐसा व्यवहार कर रहा होता है. ये सब झेलने वाले शख्स की जिंदगी अचानक से नहीं बदली. झेलने और परेशान होने का सिलसिला तो अभी शुरू ही हुआ था.

Monday Motivation: जिद्दी होना कोई सिलवेस्टर स्टैलोन से सीखे, रोता रहा-लड़ता रहा लेकिन करियर और प्यार दोनों को नहीं छोड़ा

सिलवेस्टर ने देखा ऐसा बुरा वक्त कि आत्मा कांप जाए
सिलवेस्टर स्टैलोन की जीरो से हीरो बनने की कहानी लंबी है, लेकिन उनके उस दौर पर बात करते हैं जहां उनकी रैंबो वाली कभी न हार मानने वाली स्पिरिट साफ-साफ झलकती है. दरअसल उनका इतना बुरा समय आ गया कि उन्हें अपनी बीवी के गहने चुराकर बेचने पड़े. वो बेघर हो गए और उन्हें न्यूयॉर्क के बस अड्डों में 3 दिनों तक सोना पड़ा. इससे भी ज्यादा बुरा टाइम और क्या हो सकता है कि किसी को अपना पालतू कुत्ता किसी अजनबी को चंद पैसों के लिए बेचना पड़ जाए क्योंकि उसके पास उसे खिलाने के पैसे नहीं थे. स्टैलोन के लिए सबसे बुरा टाइम शायद यही रहा होगा जब उन्होंने अपने उस कुत्ते को किसी अजनबी को सिर्फ 25 डॉलर में बेच दिया. उन्होंने खुद इस बारे में बताया था कि ऐसा करने के बाद वो रोते-रोते वहां से आए थे.

कुछ ऐसा जो बुरे टाइम में भी साथ दे जाए उसे कहते हैं हिम्मत और हार न मानने की आदत. असल में कुत्ता बेचने के दो हफ्ते वो उस समय के फेमस बॉक्सर मोहम्मद अली और चक वेपनर का बॉक्सिंग मैच देखने पहुंचे थे. मैच देखते-देखते ही उन्हें वो ख्याल आ गया जिसकी वजह से हॉलीवुड को ‘रॉकी’ मिल गया. उन्होंने स्क्रिप्ट लिखनी शुरू की और पूरे 20 घंटों तक उस पर काम किया.

लक्ष्य के लिए जिद्दी होना क्यों है जरूरी?
सिलवेस्टर स्टैलोन ये स्क्रिप्ट लेकर इस स्टूडियो से उस स्टूडियो भटकने लगे. ‘भटकने लगे’ क्योंकि उनकी शर्त थी कि वो ये स्क्रिप्ट उसी स्टूडियो को देंगे जो उन्हें इस कहानी पर बनाई जा रही फिल्म में हीरो यानी रॉकी का रोल देगा. पैरालाइज्ड और अनजान चेहरे को स्टूडियो ने काम देने से मना कर दिया. यहां तक कि उनके ‘बोलने’ और ‘दिखने’ का मजाक भी उड़ाया गया. कहा गया कि वो ‘फनी’ लगते हैं.  

हालांकि, उन्हें ऑफर दिया कि वो इस स्क्रिप्ट को 1 लाख 25 हजार डॉलर में खरीद लेंगे. सिलवेस्टर के मना करने पर उन्हें इसी स्क्रिप्ट के लिए 2 लाख 50 हजार डॉलर का ऑफर दिया गया. सिलवेस्टर ने जब इस ऑफर को फिर से ठुकरा दिया तो उनसे कहा गया कि उन्हें स्टूडियो 3 लाख 50 हजार स्क्रिप्ट के बदले दिए जाएंगे. लेकिन सिलवेस्टर की जिद थी कि हीरो तो वही बनेंगे भले ही स्क्रिप्ट बिके या नहीं.

स्टूडियो को स्क्रिप्ट इतनी पसंद आ गई कि थक-हार कर उन्होंने सिलवेस्टर को हीरो भी लिया और उनकी स्क्रिप्ट को लेकर ‘रॉकी’ फिल्म भी बनाई. हालांकि, आर्थिक तौर पर ये फैसला उस कुछ समय के लिए गलत कहा जा सकता है क्योंकि सिलवेस्टर को इस रोल के लिए सिर्फ 35 हजार डॉलर मिले थे. लेकिन सच बात तो ये है कि उनकी जिद की वजह से ही वो हॉलीवुड के सुपरस्टार बन पाए और आर्थिक, सामाजिक और मानसिक तौर पर इतने मजबूत हो पाए. 1976 में आई इस फिल्म को उस साल कई अलग-अलग कैटेगरी में ऑस्कर्स मिले और सिलवेस्टर को ऑस्कर में बेस्ट एक्टर के लिए नॉमिनेशन भी मिला. साथ ही, इस फिल्म को अमेरिकन नेशनल फिल्म रजिस्ट्री में महानतम फिल्मों में से एक के तौर पर दर्ज भी किया गया.

Monday Motivation: जिद्दी होना कोई सिलवेस्टर स्टैलोन से सीखे, रोता रहा-लड़ता रहा लेकिन करियर और प्यार दोनों को नहीं छोड़ा

जिद और प्यार का अजीब मिक्सचर है सिलवेस्टर में
अब बात जरा और भी दिलचस्प हो जाती है. सिलवेस्टर स्टैलोन अपने जिस कुत्ते को इतना प्यार करते थे कि उसे भूखा न रहना पड़े, सिर्फ इसलिए एक दारू की दुकान के पास सिर्फ 25 डॉलर में बेच आए थे, 35 हजार डॉलर मिलने के बाद उसे लेने पहुंचे और तीन दिनों तक हर रोज उसी जगह जाकर खड़े हो जाते जहां पर उन्होंने उसे बेचा था.

आखिरकार तीसरे दिन वो शख्स उनके कुत्ते के साथ आता दिखा. सिलवेस्टर ने उस शख्स को अपनी मजबूरी बताई और कहा कि वो उस कुत्ते को उन्हें वापस कर दे. इसके लिए, सिलवेस्टर ने 25 डॉलर में बेचे गए अपने जिगरी पालतू के लिए 100 डॉलर का ऑफर दे डाला. लेकिन सामने वाला नहीं माना तो उन्होंने इस पैसे को बढ़ाते हुए 500 और 1000 डॉलर का ऑफर दिया पर वो टस से मस न हुआ. वो मना करता रहा. प्यार और जिद का अजीब कॉम्बिनेशन ही है ये कि सिलवेस्टर ने अपना पालतू कुत्ता पाने के लिए उस शख्स को अपने कमाए 35 हजार डॉलर में से 15000 डॉलर दे दिए और अपना कुत्ता वापस ले आए.

सिलवेस्टर की कहानी परेशानियों से भरी हुई है. हमने उन सब पर बात इसलिए नहीं कि क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप बहुत कुछ जानते-जानते स्टोरी में उलझ जाएं. हम सिर्फ ये चाहते हैं कि आप जानें कि ‘जिद’ का पॉजिटिव मतलब भी हो सकता है. आप इसके साथ अपने मकसद को पा सकते हैं.

कहानी का मर्म समझें तो ये है कि बुरे से बुरा टाइम भी अच्छे में बदल सकता है. जरूरत है तो बस हार न मानने की. जरूरत है पीछे न हटने की और जरूरत है हमेशा लड़ते रहने की. क्योंकि आप ही हैं अपनी जिंदगी के रैंबो और रॉकी, जिसे जिंदगी में परेशानियों से लड़ाई लड़नी है और सामने आई उलझनों को सुलझाना है. 

और पढ़ें: Monday Motivation: ऑस्कर मिल गया फिर भी रो रहे थे? क्योंकि वो ब्रेंडन फ्रेजर थे और रोने की खूबसूरत वजह थी उनके पास



Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button