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Indian Neighbourhood Pakistan Sri Lanka Economic Crisis Nepal Faces Political Turmoil Again

Indian Neighbourhood in Crisis: भारत के कई पड़ोसी देशों में आर्थिक के साथ-साथ सियासी संकट गहराया हुआ है. पाकिस्तान में आर्थिक बदहाली से लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. देश में आसमान छूती महंगाई से लोगों का जीना हराम है. श्रीलंका की स्थिति पहले से ही काफी खराब है. नेपाल की स्थिति भी ठीक नहीं है. नेपाल में तो एक बार फिर से सियासी संकट गहरा गया है. कुल मिलाकर भारतीय उपमहाद्धीप के ज्यादातर देश आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहे हैं लेकिन इंडिया मजबूती के साथ खड़ा है. 

पाकिस्तान, श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की स्थिति कमोबेश एक जैसी ही है. नेपाल में भी स्थिति बिगड़ने के संकेत हैं. नेपाल में मौजूदा सियासी संकट के बीच 9 मार्च को राष्ट्रपति चुनाव होना है.

नेपाल में सियासी संकट

नेपाल में गठबंधन सरकार में शामिल नेपाल यूनिफाइड मार्कसिस्ट लेनिनिस्ट (CPN-UML) ने सोमवार (27 फरवरी) को अलायंस छोड़ने का एलान कर सबको चौंका दिया. इसके मुखिया पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली हैं. प्रधानमंत्री ने एलान किया था कि वो राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस (NC) के उम्मीदवार रामचंद्र पौडयाल का समर्थन करेंगे. प्रचंड के इस कदम से ओली की पार्टी नाराज हो गई. गठबंधन में आई दरार के बाद नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने 3 मार्च को होने वाला अपना कतर दौरा रद्द कर दिया. 

चीन के कर्ज जाल में फंस रहा नेपाल!

राजशाही के उन्मूलन के बाद से नेपाल ने शायद ही कभी राजनीतिक स्थिरता देखी है. नेता आर्थिक संकट से निपटने की बजाय सत्ता की कुर्सी में अधिक रुचि रखते हैं. भले ही नेपाली राजनेताओं ने अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए भारत पर प्रहार करने का कोई मौका नहीं जाने दिया, लेकिन सच्चाई यह है कि नेपाल, श्रीलंका या पाकिस्तान की तुलना में उसी बदतर स्थिति में होता अगर भारत ने मदद न की होती. कहा जा रहा है कि अगर नेपाल सरकार ने चीन के कर्ज जाल को लेकर सावधानी नहीं बरती तो उसे भी श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे आर्थिक हालात का सामना करना पड़ सकता है.

श्रीलंका में आर्थिक और सियासी उथल-पुथल

भारत ने द्वीप राष्ट्र में गहराते आर्थिक संकट से निपटने के लिए 2021 से श्रीलंका को द्विपक्षीय सहायता के रूप में चार बिलियन अमेरिकी डॉलर दिए हैं, लेकिन वर्तमान राजनीतिक उथल-पुथल ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि देश की स्थिति इतनी जल्दी ठीक नहीं होने वाली है. श्रीलंका बड़ी राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल की ओर बढ़ रहा है. और ये तब तक जारी रह सकता है जब तक अमेरिका और जापान कोलंबो के लिए आईएमएफ के ऋण का समर्थन करने के लिए हाथ नहीं मिलाते.

पाकिस्तान में आर्थिक संकट

पाकिस्तान के भी आर्थिक हालात काफी बदतर हो गए हैं. देश के लोग भोजन और ईंधन की कमी का सामना कर रहे हैं. देश आतंकी हमलों और राजनीतिक उथल-पुथल से भी जूझ रहा है. सभी दल यहां शासन करने में विफल रहे हैं. बड़े भाई चीन से भी पाकिस्तान का भरोसा उठने लगा है. पाकिस्तानी रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले काफी गिरावट आई है. 

पाकिस्तान में टीटीपी से चुनौती

देश में विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी है. इतने संकट के बावजूद पाकिस्तान भारत के खिलाफ साजिश रचने से बाज नहीं आ रहा है. पंजाब में सिख कट्टरता को बढ़ावा और घाटी में निर्दोष कश्मीरी पंडितों को टारगेट किया जा रहा है. हालांकि अब आतंकवादी खुद उनके सैनिकों और आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं. टीटीपी के आतंकी सेना के अधिकारियों की हत्या कर रहे हैं.

मालदीव और बांग्लादेश की स्थिति

मालदीव में राष्ट्रपति आई.एम. सोलिह और मोहम्मद नशीद के बीच प्रतिद्वंद्विता एक नई ऊंचाई को छू रही है. देश की अर्थव्यवस्था अभी भी वैश्विक महामारी के क्रूर प्रभाव से पूरी तरह से उबर नहीं पाई है. भारत अपने उन पड़ोसियों के बीच घिरा है, जहां गंभीर राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल है. बांग्लादेश में 2024 में आम चुनाव होने हैं. बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरता की स्थिति को देखते हुए प्रधान मंत्री शेख हसीना कट्टरपंथी खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जो 2006 से सत्ता से बाहर है.

चीन का कर्ज जाल

पड़ोस में संकट के साथ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भारत की सुरक्षा को लेकर लगातार सतर्क हैं. भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल चीन के कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं. ड्रैगन की हड़प नीति और विस्तारवादी मंसूबों को देखते हुए ही भारत समय-समय पर पड़ोसी देशों की मदद करता रहा है ताकि वह चीन की साजिश के शिकार न बन सकें. 

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