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‘संतराज जिंदा है, मैं सिरकटवा नहीं हूं…’, जिसकी ‘हत्या’ में गया जेल, वो 24 साल बाद मिला जीवित | Gorakhpur person jailed for killing man returned alive after 24 years ajab gajab stwtg

'संतराज जिंदा है, मैं सिरकटवा नहीं हूं...', जिसकी 'हत्या' में गया जेल, वो 24 साल बाद मिला जीवित

प्रतीकात्मक तस्वीर.

मैं सिरकटवा नहीं हूं, संतराज जिंदा है. ये देखो उसका वीडियो और फोटो… एक शख्स रोजाना सुबह उठता है. गांव में घूमता है. सभी को एक व्यक्ति का वीडियो और फोटो दिखाता है. कहता है कि देखो ये जिंदा है. मुझ पर लगे सभी आरोप गलत थे. मामला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का है. यहां एक व्यक्ति की ‘हत्या’ और किडनैपिंग मामले में एक शख्स को जेल भेज दिया गया. तीन साल तक वो जेल में रहा. बाद में सबूतों के अभाव में उसे रिहा कर दिया गया. लेकिन गांव वाले उसे रोज ताना मारने लगे.

शख्स को सिरकटवा कहकर चिढ़ाने लगे. शख्स सभी से कहता कि उसने किसी का मर्डर नहीं किया. न ही किसी का अपहरण किया है. लेकिन गांव वाले उसकी एक न सुनते. रोज उसे ताना मारते रहते. फिर 24 साल बाद कुछ ऐसा हुआ कि अब गांव वालों को अपनी गलती का एहसास हो रहा है. वो ‘मरा’ हुआ शख्स 24 साल बाद जिंदा मिला. जिस शख्स पर उस व्यक्ति की ‘हत्या’ का आरोप लगा था जब उसे इस बात का पता चला तो उसे एक राहत सी मिली. फिर उसने रोज सुबह उठकर एक काम शुरू कर दिया. जो कोई भी उसे ताना मारता था उन्हें को उस व्यक्ति की फोटो दिखाता है और कहता है कि देखो ये जिंदा है. मुझे तुम लोगों ने 24 साल तक बेवजह ताने मारे. बेवजह मुझे तीन साल की जेल हुई.

मामला कुसम्ही कोठी गांव के सेमरहिया टोला का है. यहां रहने वाला रामनगीना अपने माथे पर लगा अपहरण और हत्या का दाग धोने के लिए 24 साल तक दरबदर भटकता रहा. वह हर किसी को बताता रहा कि उसने किसी का अपहरण, हत्या नहीं की पर किसी ने उसकी बात पर यकीन नहीं किया. पुलिस ने भी अपनी कार्रवाई की. केस दर्ज कर बेकसूर को जेल भेज दिया. तीन साल तक मामला चला. साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया, लेकिन गांव-मोहल्ले के लोग उसे हिकारत भरी नजर से देखते रहे.

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पल-पल घुटकर जी रहे रामनगीना की आंखें उस दिन चमक उठीं, जब ‘मृतक’ संतराज गांव लौट आया. उसे देखने के बाद रामनगीना अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पाने के लिए रोज सुबह संतराज का फोटो और वीडियो लेकर लोगों के पास पहुंचकर दिखा रहा है. उसका कहना है कि अब तो उसे बेकसूर मान लिया जाए.

क्या है पूरा मामला?

तारीख थी 28 सितम्बर 2001. कुसम्हीं कोठी गांव का सेमरिया निवासी संतराज घर के बाहर सोते समय अचानक गायब हो गया. उसकी पत्नी ने पति का अपहरण कर हत्या का आरोप पट्टीदार रामनगीना सहित पांच लोगों पर लगाया. घटना के आक्रोशित लोगों ने रामनगीना और अन्य लोगों के घर में घुसकर तोड़फोड़ की. जमकर बवाल हुआ. संतराज के अपहरण के चार दिन के बाद गांव के समीप नाले से एक सड़ी-गली सिरकटी लाश मिली. उस समय परिवार के लोगों ने मृतक की पहचान संतराज के रूप में कर ली. लेकिन बाद में पोस्टमार्टम के दौरान मालूम हुआ वह लाश किसी महिला की थी, हालांकि, तब तक खोराबार पुलिस ने आरोपियों को जेल भेज दिया था.

तीन साल बाद हुआ बरी

बाद में हत्या की बजाय सिर्फ अपहरण का केस चला. इस मामले में 27 मार्च 2003 को अभियुक्त राम नगीना सहित अन्य को बरी कर दिया गया लेकिन गांव के लोग रामनगीना को हत्यारा मानते रहे. कुछ लोग उसे सिरकटवा कहकर ताना मारने लगे. 20 दिन पहले संतराज गांव पहुंच गया. उसे देख सभी हैरत में पड़ गए लेकिन रामनगीना को अभी तक अपनी प्रतिष्ठा के लिए भटकना पड़ रहा है.

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