Journalist Siddique Kappan Release From Jail Serving Sentence For This Crime UAPA Released After Two Years Allegations By UP Police | Siddique Kappan: इस जुर्म की सजा काट रहे थे पत्रकार सिद्दीकी कप्पन, दो साल बाद हुई रिहाई

Journalist Siddique Kappan Release: केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को 28 महीने बाद आखिरकार रिहाई मिल गई है. सितंबर में कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी, इसके बाद उनके खिलाफ दायर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में उन्हें जेल में रहना पड़ा. दिसंबर में इस मामले में भी कप्पन को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत दे दी गई थी, जमानत मिलने के करीब एक महीने बाद अब सिद्दीकी कप्पन जेल से रिहा हुए हैं. हम आपको यहां बताएंगे कि आखिर पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को पुलिस ने क्यों गिरफ्तार किया था और उन्हें दो साल से ज्यादा वक्त तक जेल में क्यों रहना पड़ा.
मथुरा से हुई थी गिरफ्तारी
उत्तर प्रदेश मेंअकटुबर 2020 के हाथरस से हैवानियत का एक मामला सामने आया था, जिसमें एक लड़की के साथ गैंगरेप और बुरी तरह मारपीट की गई थी, जिससे बाद में लड़की की मौत हो गई. इस मामले में यूपी पुलिस की लापरवाही सामने आई थी और आरोप लगा था कि जानबूझकर लड़की के शव को आधी रात में जला दिया गया. इस मामले के बाद हाथरस में तमाम मीडिया चैनलों और नेताओं का तांता लग गया था.
इसी रेप-मर्डर केस के सिलसिले में केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन भी हाथरस के लिए निकले, लेकिन मथुरा के पास पुलिस ने उनकी गाड़ी को रोक लिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इस दौरान सिद्दीकी के साथ मौजूद लोगों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया. पुलिस ने कहा कि सिद्दीकी कप्पन के तार विवादित संगठन पीएफआई से जुड़े हैं और वो हाथरस दंगा फैलाने की साजिश के तहत जा रहे थे.
किन धाराओं के तहत हुआ मामला दर्ज
गिरफ्तारी के बाद पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया. सिद्दीकी कप्पन और अन्य पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 17 और 18, धारा 124ए (देशद्रोह), धारा 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और आईपीसी की धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत मामला दर्ज किया गया. जिसके चलते कप्पन को जमानत मिलना काफी मुश्किल हो गया. पुलिस ने दावा किया कि कप्पन के लैपटॉप से और दिल्ली में उनके किराए के घर से बरामद दस्तावेज ये साबित करते हैं कि उनके पीएफआई से गहरे संबंध हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए की अहम टिप्पणी
सितंबर 2022 में सिद्दीकी कप्पन को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी और कोर्ट ने उन्हें जमानत देने का आदेश दिया था. तत्कालीन सीजेआई यूयू ललित ने जमानत देते हुए कहा था, हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है. वह यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि पीड़िता को न्याय चाहिए. क्या यह कानून की नजर में अपराध होगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2011 में भी इंडिया गेट पर निर्भया के लिए विरोध प्रदर्शन हुए थे. कभी-कभी बदलाव लाने के लिए विरोध की जरूरत होती है. आप जानते हैं कि उसके बाद कानूनों में बदलाव आया था. ये विरोध प्रदर्शन हैं.
रिहाई के बाद क्या बोले सिद्दीकी कप्पन
सिद्दीकी कप्पन पर देश के खिलाफ माहौल बनाने और दंगे भड़काने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए, हालांकि उन्होंने हमेशा यही कहा कि उन्हें फंसाया गया है. जेल से रिहाई के बाद कप्पन काफी भावुक नजर आए, उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों में उन्हें और उनके परिवार को किस तरह संघर्ष करना पड़ा. खुद पर लगे आरोपों को लेकर कप्पन ने कहा, मैं सिर्फ रिपोर्टिंग के लिए हाथरस जा रहा था. मेरे साथ मेरे ओला ड्राइवर को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. मेरे पास सिर्फ दो पेन, एक नोटपैड और एक मोबाइल था.