Kargil Vijay Diwas 2023 Story Of 25 Years Old Captain Haneef Uddin Proclamation Ramchandra Ki Jai

Kargil Vijay Diwas: ठीक 24 साल पहले यानी 1999 में कारगिल की पहाड़ियों में देश के शौर्य और साहस की कहानियां लिखी जा रही थीं. इस कहानी में एक नायक रहे कैप्टन हनीफ उद्दीन को कोई नहीं भूल सकता. इनकी बहादुरी का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि कारगिल की बर्फीली चोटियों पर हथियार खत्म होने के बावजूद वह आगे बढ़ते रहे. पीछे कदम नहीं हटे. भारत के लिए प्यार ही था जो अंतिम सांस तक उन्हें युद्ध में लड़ने की ताकत देता रहा.
इस बार देश 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी सैन्य जीत की 24वीं वर्षगांठ मना रहा है. भारत के वीर सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों को कारगिल से खदेड़कर दुर्गम चोटियों पर जीत का परचम फहराया था. इस युद्ध के जाबांज योद्धा कैप्टन हनीफ उद्दीन का जन्म 23 अगस्त 1974 को दिल्ली में हुआ था. राजपूताना राइफल्स के कैप्टन हनीफ कारगिल वॉर के दौरान महज 25 साल के थे. वह ‘रामचंद्र की जय’ उद्घोष के साथ कारगिल युद्ध में आगे बढ़ते गए.
आखिरी सांस तक लड़े थे हनीफ
25 साल की उम्र में भी हनीफ इस कदर बहादुर थे कि उनके लिए हार या जीत से ज्यादा केवल लड़ते जाना मायने रखता था, आखिरी सांस तक लड़ते जाना, देश की हिफाजत के लिए लड़ते जाना और उन्होंने यही किया था. उनके इसी जज्बे के कारण उन्हें मिस्टर शिवाजी का खिताब हासिल हुआ था.
8 साल के हनीफ ने खोए थे पिता
जब हनीफ आठ साल के थे तब ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया था. उनकी मां हेमा अजीज ने तीनों बेटों की अकेले ही परवरिश की. वह एक शास्त्रीय गायिका हैं. उनकी मां से जुड़ा एक किस्सा भी है, जो ये बयां करता है कि हनीफ को इतना साहस अपनी मां से ही मिला होगा. एक मां ने अपने बेटे की आखिरी झलक देखने के लिए 43 दिनों का इंतजार किया था. उनके लिए वो सबसे मुश्किल वक्त था लेकिन उन्होंने तब भी हिम्मत नहीं हारी और इंतजार करती रहीं.
मां ने एबीपी न्यूज़ को सुनाई थी दास्तां
अपने बेटे के बारे में बात करते हुए एबीपी न्यूज़ के एक खास कार्यक्रम में हनीफ उद्दीन की मां ने कहा था, “वो सियाचीन में तैनात थे. दो साल का टर्म खत्म होने वाला था. वह जल्द ही घर आने वाले थे. जब भी बात होती थी तो वह कहते थे कि फोन लाइन खाली रखना. मैं कहती थी आ जाओ घर, कोई न कोई तो होगा ही. ऑपरेशन थंडरबोल्ट की अगुवाई कर रहे थे. इस दौरान शहीद हो गए.”