लाइफस्टाइल

Food Benefits Indications Are Received From The Brain When Hungry

Food benefits For Health: भूख लगना, भोजना करना किसी भी व्यक्ति की रूटीन लाइफ का हिस्सा होता है. हर दिन हर नॉर्मल व्यक्ति सुबह से शाम तक कुछ न कुछ खाता रहता है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि क्या कोई ऐसे ही खाता रहता है. कोई थोड़ा खाता है, कोई बिल्कुल नहीं और कोई बहुत अधिक खाता है. लेकिन क्या ये सब अपने आप होता है, या इसके पीछे कोई सिस्टम काम कर रहा होता है. जानने की कोशिश करते है कि भूख लगने के पीछे आखिर सिस्टम क्या होता है? क्यों सुबह और शाम को तय समय पर ही भूख लगती है और क्यों किसी को बिल्कुल भूख नहीं लगती. 

भूख लगी है या नहीं ये हार्मोन बताता है

भूख कब लगेगी और कब नहीं, इसके पीछे ब्रेन का एक मैकेनिज्म काम करता है. एक स्टडी में सामने आया है कि किसी भी व्यक्ति को भूख ऐसे ही नहीं लगती है. इसके पीछे एक हार्मोन काम करता है. इसे ग्रेलिन हार्मोन कहा जाता है. जब सारे ऑर्गन सही से काम कर रहे होते हैं तो बॉडी को एनर्जी चाहिए होती है तो ये ये हार्मोन ब्रेन को मैसेज भेजता है कि भूख लगी है, कुछ या अधिक खा लें. कोई भी व्यक्ति इसी आधार पर भोजन करता है. कई व्यक्तियों को भूख नहीं लगती तो समझ लें कि ग्रेलिन उन्हें मैसेज नहीं भेज पा रहा है. 

सैक्रेडियन सिस्टम गड़बड़ तो दिक्कत

बॉडी का अपना काम करने का एक तरीका होता है. इसे सैक्रेडियन सिस्टम कहा जाता है. इस सिस्टम के कारण ही व्यक्ति दिन में खाता है और उसके ध्यान में रहता है कि रात को सोना है. इसी कारण रात को गहरी नींद आती है. जब कभी लाइफ स्टाइल में गड़बड़ी होती है या कोई गंभीर बीमारी होती है तो इस पर गंभीर असर पड़ता है. 

गलत समय खाने के ये हैं दुष्प्रभाव

जर्नल न्यूट्रिएंट्स में जुलाई 2021 में स्टडी पब्लिश की गई. स्टडी में सामने आया कि जो लोग सही समय पर खाना नहीं खाते हैं. रात को देर से खाना खाते हैं. उसका असर मेटाबोलिज्म और ब्लड शुगर पर देखने को मिलता है. खाने के टाइम में गड़बड़ होने पर ट्राईग्लिसराइड की समस्या बढ़ सकती है. इससे हार्ट डिसीज का खतरा बढ़ जाता है. 

ऐसे करें बचाव

डॉक्टरों का कहना है कि स्वस्थ्य रहना है तो खाने की आदत में सुधार करना बहुत जरूरी है. इससे बॉडी का खुद का एक टाइम मैनेजमेंट है, जोकि स्वस्थ्य रहने पर खुद ही बता देगा कि भूख लग रही है. हेवी डाइट लेते समय करीब 12 घन्टा गैप करने की कोशिश करें. हालांकि बीच में हल्का फुल्का जरूर लें. इससे हार्मोंस और मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया सुधरती है.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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