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ज्ञानवापी: व्यासजी तहखाने में पूजा रुकवाने के लिए मस्जिद कमेटी की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में हो रही सुनवाई | Gyanvapi Mosque Case masjid committee petition against Vyas Ji Tehkhana puja allahabad high court hearing

ज्ञानवापी: व्यासजी तहखाने में पूजा रुकवाने के लिए मस्जिद कमेटी की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में हो रही सुनवाई

ज्ञानवापी मस्जिद

वाराणसी के ज्ञानवापी विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. अभी मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश की जा रही है दलीलें। मस्जिद कमेटी के वकील फरमान नकवी 2 फरवरी को हुई अपनी बहस को आगे बढ़ा रहे हैं. मुस्लिम पक्ष की तरफ से व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना शुरू किए जाने के आदेश को चुनौती दी गई है. इसके अलावा जिला जज के वाराणसी के डीएम को व्यास जी के तहखाना का रिसीवर नियुक्त किए जाने के आदेश को भी चुनौती दी गई है. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच दोपहर 2:00 बजे से संशोधित अर्जी पर सुनवाई कर रही है. परिसर के बाहर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने क्या दी दलील?

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कोर्ट में बहस के दौरान तमाम ऐसी बातें कही जा रही हैं, जो अपील में है ही नहीं. 31 जनवरी को पूजा अर्चना शुरू किए जाने के आदेश का आधार 17 जनवरी को डीएम को रिसीवर के तौर पर नियुक्त किए जाने का फैसला है, जिसे मुस्लिम पक्ष ने चुनौती ही नहीं दी.

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इस पर जस्टिस अग्रवाल ने उन्हें टोकते हुए कहा कि आप सिर्फ यह बताइए कि 17 जनवरी के आदेश के साथ ही जब अर्जी निस्तारित हो गई तो 31 जनवरी का फैसला कैसे आ गया. इस पर जैन ने कहा कि 17 जनवरी के आदेश को 30 जनवरी तक किसी भी बिंदु पर कहीं भी चुनौती नहीं दी गई. जस्टिस अग्रवाल ने पूछा क्या 17 जनवरी के पुराने आदेश को ही 31 जनवरी को संशोधित कर दिया गया. इस पर जैन ने बताया कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद दूसरा आदेश जारी किया गया.

मस्जिद कमेटी के वकील ने पेश कीं ये दलीलें

मस्जिद कमेटी के वकील फरमान नकवी कोर्ट में कह रहे हैं कि जिला जज ने जब व्यास परिवार की अर्जी को 17 जनवरी को डीएम को रिसीवर बनाए जाने का आदेश जारी कर निस्तारित कर दिया था फिर उसके बाद इस उसी अर्जी मुकदमे को आगे बढ़ाते हुए तहखाना में पूजा अर्चना शुरू किए जाने का आदेश जारी नहीं किया जा सकता.

मस्जिद कमेटी की दलीलों पर कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने उनसे 17 और 31 जनवरी दोनों ही दिनों के आदेश पेश करने को कहा. नकवी ने उसे कोर्ट को दिखाया और दोनों आदेशों को पढ़कर सुनाया है. कोर्ट ने पूछा है कि 1993 में तहखाना बंद होने के समय क्या स्थिति थी. वहां पूजा होती थी या नहीं या वह जगह मस्जिद के हिस्से में आती थी. मस्जिद कमेटी की तरफ से कहा गया है कि 1993 से पहले तहखाना में किसी तरह की कोई पूजा नहीं होती थी. यह बात 1968 के एक मुकदमे में पहले भी साफ हो चुकी है.

कानून के दायरे में नहीं हुआ सब कुछ- मुस्लिम पक्ष

मुस्लिम पक्ष के वकील नकवी का कहना है कि वाराणसी के डीएम ने 31 जनवरी के जिला जज के आदेश को लेकर बेहद जल्दबाजी में काम किया. उन्होंने सिर्फ 7 से 8 घंटे में तहखाना खुलवाया. वहां साफ सफाई कराई और पूजा भी शुरू करा दी. वह यह नहीं बता सकेंगे कि इतनी जल्दी उन्हें आदेश की कॉपी कैसे प्राप्त हुई. नकवी ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस बारे में वाराणसी कोर्ट और डीएम को मिले आदेश के सभी रिकॉर्ड समन कर लिए जाएं तो सच्चाई सामने आ जाएगी. यह सब कुछ कानून के दायरे में नहीं हुआ है.

मुस्लिम पक्ष की तरफ़ से नकवी ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के असलम भूरे केस के आदेश का उल्लंघन है. डीएम यह बताएं कि उन्हें आधिकारिक तौर पर आदेश की जानकारी कैसे हुई. उन्हें अदालत के आदेश की प्रमाणित कॉपी कब प्राप्त हुई और कब उन्होंने तहखाना को खोलकर उसमें साफ सफाई करने का आदेश दिया और कितने समय में पूजा की तैयारी कराई गई.

मस्जिद कमेटी को SC से नहीं मिली थी

31 जनवरी को वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद ज्ञानवापी परिसर स्थिति व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना कराई जाने लगी थी. 31 साल बाद व्यासजी के तहखाने में पूजा शुरू हुई है. इस मामले को लेकर ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था. समिति को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास जाने को कहा था.

31 जनवरी को आया था जिला कोर्ट का फैसला

ज्ञानवापी केस में बुधवार को वाराणसी जिला कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने हिंदू पक्ष को व्यासजी के तहखाना में पूजा का अधिकार दिया था. वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने यह फैसला सुनाया था. जिला जज ने अपने आदेश में विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों से पूजा कराए जाने और बैरिकेडिंग हटाने को लेकर कहा था. जस्टिस विश्वेश ने अपने रिटायरमेंट से कुछ घंटे पहले यह बड़ा फैसला सुनाया.

व्यासजी के तहखाने में 31 साल बाद हुई पूजा

वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के बाद व्यासजी तहखाने में बुधवार देर रात पूजा हुई. इस दौरान मंगला गौरी की आरती हुई. काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट ने गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ से पूजा कराई. पूजा के समय मंदिर ट्रस्ट के पदेन अध्यक्ष की हैसियत से बनारस के कमिश्नर कौशल राज शर्मा, मंदिर प्रशासन के पूर्व एवं वर्तमान सीइओ भी मौजूद थे. इसके अलावा ज्ञानवापी परिसर के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे.

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