Mahabharat bhishma Pitamah bhojan niti never eat these types of food causes of poverty

Bhishma Pitamah Niti about Bhojan: महाभारत ग्रंथ ज्ञान का समृद्ध भंडार है. इसमें धर्म-अर्धम, ईष्या, अंहकार, प्रेम आदि को लेकर कई तरह की बातों का जिक्र किया गया है. महाभारत के 18 दिनों के युद्ध में जब भीष्म पितामह मृत्यु शैया पर लेटे थे तब उन्होंने अर्जुन को कई मूल्यवान ज्ञान दिए थे, जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं.
अर्जुन और युधिष्ठिर समेत पांडव ने भी भीष्म पितामह का ज्ञान प्राप्त किया था. भीष्म पितामह द्वारा इस अवस्था (मृत्यु शैया) में बताए ज्ञान या उपदेश को भीष्म नीति कहा कहा जाता है. महाभारत (Mahabharat) युद्ध में अर्जुन ने भीष्म पितामह के शरीर को बाणों से भेद दिया और वे 6 माह तक बाणों की शैया पर लेटे रहे, क्योंकि भीष्म पितामह सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण त्यागना चाहते थे.
भीष्म पितामह द्वारा अर्जुन को बताए कई ज्ञान में एक है भोजन (Bhojan Niyam) से जुड़े अहम ज्ञान, जो आज की पीढ़ी को भी जरूर जाननी चाहिए. आइये जानते हैं भोजन को लेकर क्या कहती है भीष्म पितामह की नीति (Bhishma Pitamah Food Formula)-
अमृत के समान होती है ऐसी थाली: भीष्म पितामह के अनुसार जहां पूरे परिवार के लोग एक साथ बैठकर और प्रेम-पूर्वक मिल जुलकर भोजन करते हैं, वहां सदैव देवी अन्नापूर्णा का वास होता है और ऐसी भोजन की थाली अमृत के समान होती है. ऐसे घर पर कभी आर्थिक तंगी नहीं रहती और परिवार के लोग तनावमुक्त रहते हैं.
ऐसे भोजन की थाली को हाथ भी न लगाएं: भीष्म पितामह कहते हैं कि जिस भोजन की थाली में किसी का पैर लग गया हो उसे नहीं खाना चाहिए. ऐसा भोजन करने के दरिद्रता का सामना करना पड़ता है. वहीं जिस भोजन में बाल निकल जाए, उसे भी नहीं खाना चाहिए. क्योंकि ऐसे भोजन को अशुद्ध माना जाता है. अगर भोजन की थाली को कोई लांघ दे तो भी ऐसा भोजन न करें. लांघा हुआ भोजन कचरे जैसा होता है.
मादक पदार्थ जैसा होता है ऐसा भोजन: भीष्म पितामह पति-पत्नी का एक ही थाली में भोजन करने को अनुचित बताते हैं. उनके अनुसार पति-पत्नी का एक ही थाली में एक साथ भोजन करना मादक या नशीले पदार्थ जैसा होता है.
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