लाइफस्टाइल

Manusmriti Controversy About Women Know What Shocking Things Written In Manuvad Astro Special

Manusmriti Controversy about Women: मनुस्मृति पर महिलाओं के हक और जाति को लेकर कई बार बहस और विवाद की जंग छिड़ चुकी है. बाबा साहब अंबेडकर द्वारा मनुस्मृति को जला दिया गया था. क्योंकि इसमें महिलाओं के साथ ही दलितों और वंचितों के हक छीनने की बात कही गई थी.

मनुस्मृति पर होने वाले विवादों को लेकर सवाल कई हैं. लेकिन असल सवाल यह है कि मनुस्मृति या मनुवाद क्या है और इसमें महिलाओं को लेकर ऐसा क्या लिखा है जिसे लेकर विवाद होता है. आइये जानते हैं इसके बारे में-

मनुस्मृति क्या है?

जब-जब हम मनुस्मृति शब्द सुनते हैं तो हमारे मन में यह सवाल उठता है कि आखिर मनुस्मृति क्या है, जिसपर विवाद खड़े होते रहते हैं. मनुस्मृति हिंदू धर्म का एक प्राचीन धर्मशास्त्र है. यह संस्कृत में लिखे गए कई धर्मग्रंथों में ऐसा पहला ग्रंथ है, जिसे 1776 में अंग्रेजी में अनुवाद किया. मनुस्मृति में कुल 12 अध्याय और 2684 श्लोक हैं. हालांकि कुछ संस्करणों में श्लोकों की संख्या 2964 बताई जाती है.

महर्षि मनु मानव संविधान के पहले प्रवक्ता और आदि शासक माने जाते हैं. मनु की संतान होने के कारण ही मनुष्यों को मानव या फिर मनुष्य कहा गया. यानी सभी मनुष्य मनु की ही संतान है और सृष्टि के समस्त प्राणियों में मनुष्ट एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसे विचारशक्ति प्राप्त है. मनु ने मनुस्मृ‍ति में समाज संचालन के लिए जो व्यवस्थाएं बताई है, उसे मनुवाद कहा जाता है. मनुस्मृति के आधार पर ही आगे चलकर महर्षि याज्ञवल्क्य ने धर्मशास्त्र का निर्माण किया, जिसे याज्ञवल्क्य स्मृति कहा जाता है.

मनुस्मृति में महिलाओं के बारे में क्या लिखा गया है

“एक लड़की को हमेशा अपने पिता के संरक्षण में रहना चाहिए, विवाह पश्चात पति द्वारा उसका संरक्षक होना चाहिए, पति की मृत्यु के बाद उसे अपने बच्चों की दया पर निर्भर रहना चाहिए. लेकिन किसी भी स्थिति में एक महिला आजाद नहीं हो सकती.”

यह बात मनुस्मृति के पांचवें अध्याय के 148वें श्लोक में लिखी गई है. इसके अलावा मनुस्मृति में दलितों और महिलाओं के बारे में भी ऐसे कई श्लोक हैं, जो अक्सर विवादों को जन्म देता है.

मनुस्मृति में महिलाओं के लिए लिखी किन बातों पर विवाद?

  • ‘महिलाओं का पुरुषों के प्रति चाहत, महिलाओं का जल्दी बदलने वाला मन और स्वाभाविक हृदयहीनता की वजह से अपने पति के प्रति धोखेबाज हो सकती हैं. ऐसे में उन्हें बहुत संभालकर या फिर बहुत निगरानी में रखना चाहिए.’ (मनुस्मृति का 15वां नियम)
  • ‘पुरुषों को उत्तेजित करना और बहकाना महिलाओं का स्वभाव है. ऐसे में समझदार लोग महिलाओं के आसपास संभलकर रहते हैं और साथ ही होश से काम लेते हैं.’ (मनुस्मृति का दूसरा अध्याय)
  • ‘जब ब्राह्मण भोजन करें तब उन्हें किसी सूकर, मुर्गे, कुत्ते या किन्नर या ऐसी महिला जो रजस्वला (पीरियड्स) में हो उसको देखना भी नहीं चाहिए.’ (तीसरा अध्याय)  
  • ‘उस महिला से विवाह न किया जाए जिसके बाल और आंखें लाल हो, जिसके अतिरिक्त अंग हो, जिसकी सेहत अक्सर खराब रहे, जिसके बाल न हों या तो कम हों. साथ ही तारामंडल, पेड़, नदी, पर्वत, पक्षी, सांप, गुलाम या फिर आतंक से भर देने वाले नाम जिस महिला के नाम के अर्थ के संकेत पर हो या एक ऐसी महिला जो नीची जाति की हो.’ (तीसरा अध्याय)
  • ‘जिसके भाई न हो या जिसके पिता को कोई न जानता हो यानी वो लड़की किसकी है ये किसी को न मालूम हो तो पुत्रिका धर्म की आशंका से बुद्धिमान पुरुष लड़की के साथ विवाह न करे.’ (ग्यारहवां श्लोक)  

मनुवाद का समर्थन

  • एक ओर जहां इसे लेकर विरोध और विवाद होता है. वहीं मनुवाद का समर्थन करने वाले भी कई लोग हैं.
  • सनातन संस्था मनुस्मृति का समर्थन करती है.
  • इतिहासकार नरहर कुरुंदकर भी मनुस्मृति का समर्थन करते हैं.
  • शंकराचार्य और दूसरे धर्मगुरुओं ने भी मनुस्मृति को अन्य वेदों की तरह सम्मान मिलने की बात कही है.
  • वहीं इसके आधुनिक समर्थकों का कहना है कि, यदि इसके कुछ हिस्सों को छोड़ दिया जाए तो मनुस्मृति समाज के कल्याण की ही बात करती है.
  • राजस्थान के हाईकोर्ट में उनकी एक मूर्ति भी है, जिसे जयपुर बार एसोशिएसन ने लगवाई है.

मनुस्मृति के 12 अध्याय में क्या है ?

  • पहला अध्याय: प्रकृति का निर्माण, चार युगों, चार वर्णों, उनके पेशे और ब्राह्मणों की महानता आदि जैसे विषय शामिल हैं.
  • दूसरा अध्याय: ब्रह्मचर्य और मालिक की सेवा पर आधारित है.
  • तीसरा अध्याय: विवाद के किस्म, रीति-रिवाज और श्राद्ध का वर्णन है.
  • चौथा अध्याय: गृहस्थ धर्म के कर्तव्य, भोजन करने, भोजन न करने के नियम समेत 21 तरह के नरक का जिक्र मिलता है.
  • पांचवा अध्याय: महिलाओं के कर्तव्य, शुद्धता और अशुद्धता आदि के बारे में जिक्र मिलता है.
  • छठा अध्याय: एक संत के बारे में बताया गया है.
  • सातवां अध्याय: राजा के कर्तव्यों के बारे में बताया गया है.
  • आठवां अध्याय: अपराध, न्याय, वचन और राजनीतिक मामलों आदि के बारे में बताया गया है.
  • नौवां अध्याय: पैतृक संपत्ति का वर्णन किया गया है.
  • दसवां अध्याय: वर्णों के मिश्रण की बात करता है.
  • ग्यारहवां अध्याय: पापकर्म के बारे में बताया गया है.
  • बारहवां अध्याय: तीन गुणों और वेदों की प्रशंसा समाहित है.

ये भी पढ़ें: Pregnancy: गर्भ में हो संतान तो गर्भवती महिलाओं को क्या करना चाहिए, क्या कहते हैं शास्त्र और मान्यताएं

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button