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Pakistan First Lady PM Benazir Bhutto Death Anniversary Speak English Better Than Urdu Interesting Facts

Benazir Bhutto Death Anniversary: महज 35 साल की उम्र में पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर 2007 को एक आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी. पाकिस्तान के सबसे बड़े सियासी परिवार में जन्मीं बेनजीर भुट्टो की हत्या को 15 साल बीत गए, लेकिन अब तक उनकी हत्या के पीछे की वजह सामने नहीं आ सकी है.

हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली आजाद ख्याल बेनजीर ने जब पाकिस्तान की सियासत में कदम रखा, तो लोगों के सामने सिर ढंककर आईं. इमरान खान की बायोग्राफी लिखने वाले क्रिस्टोफर सैंडफोर्ड ने अपनी किताब में लिखा कि बेनजीर और इमरान काफी ‘करीब’ थे, लेकिन बाद में अलग हो गए थे. आइए जानते हैं बेनजीर भुट्टो की जिंदगी से जुड़े ऐसे ही कुछ किस्से…

विरासत में मिली थी सियासत

21 जून 1953 में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के घर पैदा हुई बेनजीर भुट्टो को सियासत का गुण विरासत में मिला था. जुल्फिकार अली भुट्टो को पाकिस्तान में कायद-ए-आजम जिन्ना की तरह कायद-ए-आवाम कहा जाता था. शुरुआती पढ़ाई पाकिस्तान में करने के बाद बेनजीर भुट्टो को अमेरिका भेज दिया गया. 

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हार्वर्ड-ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई के साथ रंगीन पार्टियों के किस्से

अमेरिका के हार्वर्ड से डिग्री लेने के बाद बेनजीर भुट्टो ने ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया. इस दौरान बेनजीर की तस्वीरें पाकिस्तान की सियासी गलियों में खूब सुर्खियां बटोरती थीं. रोशन मिर्जा की किताब ‘Indecent Correspondence: Secret Sex Life of Benazir Bhutto’ में बेनजीर भुट्टो के बहुत से मर्दों से फिजिकल रिलेशन के दावे किए गए थे. ये भी कहा जाता है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से भी बेनजीर की काफी नजदीकियां थीं. किताब में ये भी दावा किया गया है कि बेनजीर अपने घर पर रंगीन पार्टियों करने के लिए मशहूर थीं. 

संभाली पिता की सियासी विरासत

पाकिस्तानी आर्मी के चीफ जिया-उल-हक ने जुलाई 1977 में जुल्फिकार अली भुट्टो का तख्तापलट कर दिया. भुट्टो को जेल भेज दिया गया और 1978 में उन्हें हत्या करवाने का दोषी पाकर सजा-ए-मौत दे दी गई. जुल्फिकार अली भुट्टो को 4 अप्रैल 1979 को फांसी की सजा दी गई थी. पिता की मौत के बाद बेनजीर भुट्टो ने पाकिस्तान की राजनीति में कदम रखा. हालांकि, वो बेनजीर का राजनीति की जगह पाकिस्तान की विदेश सेवा में आना चाहती थीं. विदेश में पढ़ाई की वजह से बेनजीर का हाथ उर्दू में तंग था.

1988 में बनीं पाकिस्तान की पहली महिला पीएम

1988 में बेनजीर भुट्टो पहली बार चुनाव जीतकर पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन दो साल में ही पाक राष्ट्रपति ने उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया. 1993 में एक बार फिर उन्होंने चुनाव लड़ा और फिर से पीएम बनीं. हालांकि, इस बार भी भ्रष्टाचार के आरोपों में बेनजीर को पीएम पद से हटा दिया गया. बेनजीर को जेल जाना पड़ा और जेल से बाहर आने पर देश तक छोड़ना पड़ा.

दोबारा पाकिस्तान लौटीं, तो मौत कर रही थी इंतजार

पाकिस्तान में कमजोर पड़ते लोकतंत्र को फिर से मजबूती देने के लिए बेनजीर भुट्टो 2007 में वापस लौट आईं. बेनजीर फिर से पाकिस्तान में चुनावी तैयारियों में जुट गईं. चुनाव प्रचार में उन्होंने पाकिस्तानी सेना के साथ आतंकी संगठनों पर भी खूब निशाना साधा था. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ओवेन बेनेट जोंस अपनी किताब ‘द भुट्टो डाइनेस्टी द स्ट्रगल फॉर पावर इन पाकिस्तान’ में लिखा है कि मौत से एक दिन पहले बेनजीर भुट्टो से ISI के प्रमुख मेजर जनरल नदीम ताज ने मिलकर चेतावनी देते हुए उनकी हत्या की संभावना जताई थी.

चेतावनी नजरअंदाज करने पर मिली मौत

27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में एक चुनावी रैली करने के बाद लौट रहीं बेनजीर भुट्टो अपनी कार के सनरूफ से बाहर आकर लोगों का अभिवादन कर रही थीं. इसी दौरान आत्मघाती हमला करने आए 15 साल के बिलाल ने उनके सिर में करीब से गोली मार दी और इसके बाद खुद को बम से उड़ा लिया. उन्हें आनन-फानन में अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन उनकी मौत पहले ही हो चुकी थी. 

पाकिस्तानी फौज, आतंकी संगठन, शौहर जरदारी पर लगे आरोप

बेनजीर भुट्टो की हत्या के आरोप तत्कालीन पाकिस्तानी तानाशाह परवेज मुशर्रफ पर भी लगे थे. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनरल परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया था कि भुट्टो की हत्या में पाकिस्तानी इस्टैबलिशमेंट यानी फौज का हाथ हो सकता है. वैसे, बेनजीर की हत्या का शक उनके शौहर आसिफ अली जरदारी पर भी लगे थे. दरअसल, भुट्टो की मौत के बाद आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने थे. हालांकि, इन आरोपों की कोई पुष्टि नहीं हो सकी.

हत्याकांड पर पाकिस्तान की लीपापोती

बेनजीर भुट्टो के हत्याकांड में कई अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन सभी को रिहा कर दिया गया. सबूतों के अभाव और मामले में खराब जांच की वजह से सभी आरोपी जेल से बाहर निकल आए. बेनजीर हत्याकांड से जुड़े कई अभियुक्तों और आरोपियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई. यहां तक कि बेनजीर हत्याकांड के सरकारी वकील चौधरी जुल्फिकार अली की भी शूटआउट में हत्या कर दी गई.

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