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Bharat Gaurav Swami Vivekananda National Youth Day 2023 Know Reason About His Spiritual Leader And Hinduism Astro Special

Bharat Gaurav, Swami Vivekananda: स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था. भारत गौरव और भारतीय दार्शनिक स्वामी जी के जन्मदिन के दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाया जाता है.

विवेकानंद ने कम उम्र ही जीवन से संबंधित गूढ़ ज्ञान को प्राप्त कर लिया, कम उम्र में ही वे वैराग्य के प्रति आकर्षित हुए, धर्म व सन्यासी मार्ग को चुना और कम उम्र में ही उनकी मृत्यु भी हो गई. बता दें कि महज 39 साल की उम्र में ही स्वामी विवेकानंद की मृत्यु हो गई थी.

हिंदू धर्म, आध्यात्म और वैराग्य के प्रति स्वामी विवेकानंद का लगाव

स्वामी विवेकानंद ने महज 25 साल की उम्र में ही सन्यासी मार्ग को चुन लिया. स्वामी विवेकानंद को हिंदू धर्म और आध्यात्म से गहरा लगाव था. महान संत और आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramahamsa ) स्वामी विवेकानंद के गुरु थे. रामकृष्ण परमहंस से उनकी मुलाकात तब हुई जब वे ईश्वर की खोज में थे.

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स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त की मृत्यु के बाद घर पर आर्थिक संकट आ गया, तब स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से अपनी स्थिति को सुधारने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने को कहा. लेकिन रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद से कहा कि, वे स्वंय ईश्वर से अपने लिए प्रार्थना करें. इस पर स्वामी विवेकानंद मंदिर पहुंचे और ईश्वर से विवेक और वैराग्य के लिए प्रार्थना की. बस इसी दिन से वे तपस्यी जीवन की ओर आकर्षित हो गए.

शिकागो विश्व धर्म संसद और विवेकानंद

विवेकानंद को विश्व धर्म संसद के बारे में पता चला, जोकि अमेरिका के शिकागों में आयोजित होना था. उनकी इच्छा थी कि वे इस धर्म संसद में भाग लेकर भारत और गुरुओं के विचारों को पूरी दुनिया में पहुंचाए.

बहुत कठिन प्रयास के बाद उनकी ये इच्छा पूरी गुई और वे शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में शामिल हुए. इतना ही नहीं उनके द्वारा दिया गया भाषण एतिहासिक बन गया. यहां उन्होंने वेदांत और हिंदू अध्यात्म के सिद्धांतों के विषय में उपदेश दिया था.

हिंदू धर्म पर स्वामी विवेकानंद के विचार

हिंदू धर्म पर स्वामी विवेकानंद ने कहा है, हिंदू धर्म का असली संदेश लोगों को अलग-अलग धर्म-संप्रदायों के खांचों में बांटना नहीं है, बल्कि पूरी मानवता को एक सूत्र में पिरोना है. गीता में भी भगवान कृष्ण ने भी यही संदेश दिया कि अलग-अलग कांच से होकर हम तक पहुंचने वाला प्रकाश एक ही है.      

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