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Health Tips What Is Thalassemia Know Its Symptoms Causes Prevention Treatment In Hindi

 

Thalassemia : थैलेसीमिया एक आनुवांशिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चे में आती है. इसकी वजह से बच्चों को काफी तकलीफ होती है और मां-बाप परेशान रहते हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक, जरूरी नहीं कि पैरेंट्स अगर यह बीमारी नहीं है तो बच्चे को भी नहीं होगी. इसलिए भविष्य में होने वाले बच्चों की बेहतर सेहत की तैयारी पहले से ही तय कर लेनी चाहिए. डॉक्टर कहते हैं कि शादी से पहले ही जिस तरह दूल्हा-दुल्हन अपनी कुंडली मैच करवाते हैं, ठीक उसी तरह उन्हें अपने हेल्थ (Health) की जांच भी करवानी चाहिए. ताकि अगली पीढ़ी तक किसी भी तरह की बीमारी जैसे थैलेसीमिया (Thalassemia) न पहुंचे. 

 

थैलेसीमिया बीमारी होने पर क्या-क्या समस्याएं होती हैं

हमारे शरीर में जो ब्लड है, वो दो तत्वों सो मिलकर बना है. पहला- हिम यानी लौह तत्व और दूसरा- ग्लोबिन यानी एक तरह का प्रोटीन. जब किसी बच्चे को थैलेसीमिया होता है, तब उसके शरीर में लौह तत्व नहीं बन पाता और उसका खून पतला होने लगता है. इसकी वजह से बच्चे का विकास रूक जाता है और शरीर के बाकी हिस्सों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है. ऐसी कंडीशन में बच्चे को सांस लेने में दिक्कत, थकान और लगातार बुखार रहता है. इस समस्या से बच्चे को बचाने के लिए उसे बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. जन्म से 5 महीने बाद ही इस बीमारी के लक्षण बच्चे में दिखने लगते हैं.

 

थैलेसीमिया के लक्षण (Thalassemia symptoms)

बच्चे के नाखून और जीभ में पीलापन.

बच्चे के जबड़े और गाल का असामान्य होना या उसमें सूजन होना.

बच्चे का विकास रूक जाना और उम्र से छोटा दिखना.

शिशु का चेहरा सूखा रहना और वजन का न बढ़ना.

सांस लेने में परेशानी, बार-बार बुखार आना.

 

थैलेसीमिया का इलाज (Thalassemia treatment)

डॉक्टर बताते हैं कि अगर किसी बच्चे को थैलेसीमिया है तो उसे दो तरह से बचाया जा सकता है. पहला नियमित तौर पर उसे ब्लड चढ़ाकर और दूसरा बोन मेरो ट्रांसप्लांट के जरिए. बच्चे की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है, उसे ब्लड की जरूरत पड़ने लगती  है. इतनी ज्यादा मात्रा में ब्लड को अरेंज कर पाना काफी मुश्किल वाला होता है. इसकी वजह से बच्चा बीमार भी ज्यादा रहने लगता  है. बार-बार ब्लड चढ़ाने और दवा खाने से उसके शरीर में लौह तत्व अधिक हो जाता है, जिसकी वजह से उसके कई अंग काम भी करना बंद कर सकते  हैं.

 

गर्भ में बच्चे की जांच कराएं

डॉक्टर के अनुसार, शादी के बाद अगर बच्चे में यह बीमारी आ जाती है तो पूरा जीवन परेशानी में गुजरने लगता है. इसलिए हर पैरेंट्स को शादी से पहले ही हेल्थ चेकअप करवाना चाहिए.इससे थैलिसीमिया को रोकने में मदद मिलेगी. गर्भ में पल रहे शिशु भी सही समय पर जांच करवानी चाहिए.

 

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