Rajasthan Election 2023 Why Did PM Modi Focus On Gujjars Know Political Compulsion

PM Modi Rajasthan Visit: राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election 2023) होने हैं लेकिन चुनाव की आहट अभी से सुनाई देने लगी है. प्रदेश में हर दल अपनी रणनीति बनाने में जुट गया है. कांग्रेस (Congress) से सत्ता छीनने के लिए बीजेपी (BJP) इस बार अपनी पूरी ताकत झोंक रही है. बीजेपी की ओर से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैदान में उतर चुके हैं. पीएम मोदी ने आज यानी सोमवार (30 जनवरी) को भीलवाड़ा जिले के मालासेरी डूंगरी का दौरा किया.
पीएम मोदी ने यहां गुर्जर समाज के लोक देवता भगवान देवनारायण के 1,111वें अवतरण दिवस समारोह में हिस्सा लिया और एक विशाल जनसभा को भी संबोधित किया. पीएम का एक महीने में राजस्थान का यह चौथा दौरा है. अपने सभी दौरे पर पीएम का फोकस गुर्जर समाज पर ज्यादा रहा. भीलवाड़ा में गुर्जर समाज को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “आज कोई प्रधानमंत्री नहीं आया है. आप ही की तरह, पूरे भक्तिभाव से मैं भी एक सामान्य यात्री की तरह यहां आया हूं.”
पीएम ने भगवान देवनारायण को नमन किया
पीएम मोदी ने कहा, “देवनारायण जी भगवान ने समाज में समरसता के भाव को फैलाया, समाज को एकजुट किया, एक आदर्श व्यवस्था कायम करने की दिशा में काम किया. यही कारण है कि समाज के हर वर्ग में उनके प्रति श्रद्धा और आस्था है. भगवान देवनारायण और जनता जनार्दन का दर्शन कर मैं धन्य हो गया हूं.”
पीएम मोदी को क्यों करनी पड़ रही मेहनत?
अब सवाल ये उठता है कि आखिर वो क्या सियासी मजबूरी है कि पीएम मोदी को बार-बार गुर्जर समाज के पास जाना पड़ रहा है? इसका जवाब पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में छिपा है. प्रदेश में गुर्जर समाज की एक बड़ी आबादी रहती है और करीब 12 लोकसभा और 50 विधानसभा सीटों पर ये असर डालते हैं. पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 9 गुर्जर नेताओं को टिकट दिया था, जिसमें एक भी नहीं जीता था. वहीं कांग्रेस की ओर से 12 गुर्जर प्रत्याशियों में से 8 को जीत मिली थी.
गुर्जर आंदोलन के दाग धुलने की कोशिश
वहीं बीजेपी से गुर्जर समाज के दूर जाने का एक बड़ा कारण गुर्जर आंदोलन भी है. 2008 में गुर्जर आंदोलन के दौरान हुई पुलिस फायरिंग में 73 लोगों की जान चली गई थी. उस वक्त प्रदेश में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी. इस घटना ने इस समुदाय को नाराज कर दिया है. आंदोलन के मुख्य सूत्रधार किरोड़ी सिंह बैंसला का 2022 में निधन हो गया था. उनके बेटे विजय बैंसला को बीजेपी का करीबी माना जाता है, लेकिन अपने समुदाय पर उनकी इतनी पकड़ नहीं है.
इस बार किसकी ओर जाएंगे गुर्जर?
2018 में गुर्जर वोटबैंक कांग्रेस की ओर शिफ्ट हो गया था. इसमें कांग्रेस नेता सचिन पायलट का अहम योगदान था. दरअसल उस वक्त गुर्जर समाज से आने वाले सचिन पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे. गुर्जर समाज के लोगों को लगता था कि सचिन पायलट को सीएम बनाया जाएगा. हालांकि, ऐसा नहीं होने पर लोकसभा चुनाव में यह वोट बैंक बीजेपी की तरफ डायवर्ट हो गया और प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. यही बड़ी वजह है कि बीजेपी इस समाज पर इतना फोकस कर रही है.
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