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I Want To Talk Review Abhishek Bachchan has given best film of his career know release date here

I Want To Talk Review: जब एक फिल्म को देखने के बाद कुछ वक्त तक समझ ही ना आए ये हमारे साथ क्या हुआ तो या तो फिल्म काफी खराब होती है या फिर वो आपको काफी कुछ महसूस करा जाती है. यहां दूसरी बात हुई है. अभिषेक बच्चन की ये फिल्म काफी कुछ महसूस करा गई, डिप्रेस भी कर गई, सोचने पर मजबूर भी कर गई, डरा भी गई, हिल भी गई, झकझोर भी गई, आखिरकार ये शूजीत सरकार की फिल्म थी, नाम है ‘आई वॉन्ट टू टॉक’ लेकिन देखने के बाद आप कुछ देर नहीं चाहेंगे किसी से बात करना, आप सोचेंगे कि ये जो अभी हमने देखा ये क्या था, क्यों था और क्या कोई मौत को हरा सकता है.

क्या है फिल्म की कहानी ?

ये कहानी अर्जुन सेन नाम के शख्स की है. अर्जुन मार्केटिंग का काम करता है, जो बहुत बोलता है, लेकिन फिर उसे कैंसर हो जाता है. गले का कैंसर और फिर उसके बाद उसकी एक सर्जरी होती हैं. इतनी कि फिल्म में जॉनी लिवर कहते हैं कि तुम्हारा नाम सर्जरी सेन होना चाहिए. इना पत्नी से तलाक हो चुका है, हफ्ते में कुछ दिन बेटी साथ रहने आती है. फिर मौत को अर्जुन कैसे मात देता है, यही इस फिल्म में दिखाया गया है लेकिन जिस तरह से दिखाया गया है वो देखने लायक है.

कैसी है अभिषेक बच्चन की फिल्म ?

ये फिल्म देखना आसान नहीं है. अगर आपके घर में कोई बीमार हुआ है और उसकी कई बार सर्जरी हुई है तो आप ये फिल्म शायद देख नहीं पाएंगे. क्योंकि ये फिल्म आपके दिल और दिमाग दोनों को झकझोर देगी. एक इंसान की जिद क्या कुछ कर सकती है, वो ये फिल्म दिखाती है. इस फिल्म में ज्यादा सीन अस्पताल के हैं जो डिप्रेसिंग भी हैं लेकिन अस्पताल जिंदगी भी देता है और ये फिल्म उसी पहलू पर फोकस करती है, दो घंटे की ये फिल्म काफी कुछ कह जाती है. हालांकि कहीं कहीं स्लो भी लगती है, लेकिन ये फिल्म की पेस है और इस फिल्म को इसी पेस से चलना था. ये तेज चलती तो शायद गिर जाती, ये फिल्म शायद सबके लिए नहीं है लेकिन जिनके लिए उनके दिल को ये फिल्म छू जाएगी.

एक्टिंग – ये फिल्म देखकर लगा कि अभिषेक बच्चन वाकई बच्चन साहब के उत्तराधिकारी हैं, वो कमाल के एक्टर हैं. ये बात बहुत लोग मानते हैं. लेकिन यहां वो इससे कई कदम आगे बढ़ गए हैं. जिस तरह से उन्होंने ये किरदार निभाया है. आप उनके अलावा अर्जुन सेन के किरदार में किसी को सोच भी नहीं सकते. हर एक्प्रेशन परफेक्ट, बेटी के साथ वाले सीन में तो वो कमाल कर जाते हैं और कहीं कहीं तो वो बच्चन साहब की भी याद दिला देते हैं, ये  फिल्म अभिषेक बच्चन की बेस्ट फिल्मों में गिनी जाएगी चाहे इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कुछ भी रहे. अभिषेक की बेटी के किरदार में अहिल्या बमरू कमाल के हैं. एक मॉर्डन बेटी के किरदार को उन्होंने परफेक्शन से निभाया है. बाकी सारे कलाकार भी अच्छे हैं.

डायरेक्शन- शूजीत सरकार का डायरेक्शन कमाल है. फिल्म देखकर लगा कि उफ्फ्फ शूजीत दा, ये क्या महसूस करा दिया, कहानी कहने का अंदाज कमाल है. फिल्म पर पकड़ जबरदस्त है. सेकेंड हाफ शायद थोड़ा सा टाइट हो सकता था लेकिन जो एक्सपीरियंस शूजीत दा ने दिया वो इसके आगे काफी बड़ा है.

कुल मिलाकर ये फिल्म देखने लायक है, हर हाल में देखने लायक है, इन दिनों कई फिल्मों शोर कर रही हैं लेकिन ये फिल्म कुछ कहती है, कुछ बात करती है, सुन लीजिए

रेटिंग -3.5 स्टार्स

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