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Russia conducted war exercises with Pakistani Navy, Air Force also participated

Relations between Russia-Pakistan: रूस और पाकिस्तान के बीच संबंध तेजी से बेहतर हो रहे हैं, जिससे भारत की चिंताएं बढ़ सकती हैं. पहले रूस भारत से करीबी संबंधों के कारण पाकिस्तान से दूरी बनाए हुए था, लेकिन बदलते भू-राजनीतिक हालात ने दोनों देशों को नजदीक लाने पर मजबूर कर दिया है. 

हाल ही में रूस और पाकिस्तान ने एक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया, जिसमें रूसी नौसेना के तीन युद्धपोत शामिल थे. पिछले वर्ष दोनों देशों ने मालवाहक जहाजों के जरिए सीधा व्यापार शुरू किया था. इसके अलावा पाकिस्तान ने रूस से सीमित मात्रा में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस भी खरीदी है.

साथ में किया नौसैनिक अभ्यास

बिजनेस रिकॉर्डर की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी और रूसी नौसेनाओं ने उत्तरी अरब सागर में द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास अरेबियन मानसून-VI का सफल आयोजन किया. इस अभ्यास ने समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति दोनों देशों की प्रतिबद्धता को मजबूत किया. अभ्यास में दोनों नौसेनाओं के कई युद्धपोत और अन्य सैन्य संपत्तियां शामिल थीं, जिनमें पाकिस्तानी नौसेना का एक डिस्ट्रॉयर, एक ऑफशोर पेट्रोल वेसल, एक फास्ट अटैक क्राफ्ट (मिसाइल), एक समुद्री गश्ती विमान और एक मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) शामिल था.

पाकिस्तान की एयर फाॅर्स ने भी लिया हिस्सा

इस अभ्यास में पाकिस्तानी वायु सेना (पीएएफ) के लड़ाकू विमानों ने भी विभिन्न परिचालन गतिविधियों में हिस्सा लिया. अभ्यास के दौरान मल्टी-डायमेंशनल समुद्री युद्धाभ्यास किए गए, जिससे अंतर-संचालन को बढ़ावा मिला और समुद्री सुरक्षा खतरों से निपटने की रणनीतियां विकसित की गईं. अभ्यास के समुद्री चरण से पहले रूसी नौसेना के जहाज कराची पहुंचे, जहां कई बैठकें आयोजित की गईं. इनमें क्रॉस-शिप विज़िट, हार्बर ड्रिल और टेबलटॉप चर्चाएं शामिल थीं.

जिन्ना की मजार पर पहुंचे रूसी नौसैनिक

इसके अलावा रूसी नौसेना के अधिकारियों ने पाकिस्तान नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और मजार-ए-कायद पर पुष्पांजलि अर्पित कर पाकिस्तान के संस्थापक को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान पाकिस्तान पहुंचे रूसी युद्धपोतों में फ्रिगेट आरएफएस रेज्की, आरएफएस अल्दार त्सिडेंजापोव और मध्यम समुद्री टैंकर आरएफएस पेचेंगा शामिल थे. लंबे समय बाद रूसी युद्धपोत पाकिस्तान के तटों पर पहुंचे, जो दोनों देशों के बढ़ते सैन्य सहयोग का संकेत है.

 

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