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Education In Ukraine: यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग को 450 से ज़्यादा दिन हो चुके हैं. इस युद्ध का खामियाजा यूं तो दुनिया के कई मुल्क झेल रहे हैं, लेकिन इस लड़ाई के मोर्चे पर एक संकट भारत से भी जुड़ा है. यह संकट है सैकड़ों भारतीय छात्रों के भविष्य का. इतना ही नहीं मेडिकल डिग्री हासिल करने की आस में अब भी कई भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे हैं और उनकी परेशानी कम होने के बजाए बढ़ गई है.

यूक्रेन की राजधानी कीव से लेकर ओडिसा तक कई शहरों में बजने वाले एयर रेड सायरन से लेकर ड्रोन हमलों और बमबारी के बीच यूक्रेनी शहरों में मौजूद भारतीय छात्र युद्ध के मैदान में पढ़ाई जारी रखने की जंग लड़ रहे हैं. लेकिन पिछले दिनों अचानक बदले परीक्षा के पैटर्न ने इन छात्रों की परेशानी बढ़ा दी है.

सड़कों पर उतरने को मजबूर छात्र

मेडिकल डिग्री के खतरों के कारण देश छोड़कर वापस युद्धग्रस्त यूक्रेन आने पर मजबूर हुए यह छात्र अब सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं. कई छात्र मार्शल लॉ की पाबंदियों के बावजूद अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए सोमवार को राजधानी कीव पहुंचे हैं.

ज़िंदगी के 6 साल गंवाकर खाली हाथ लौटना

भारत से अक्टूबर 2022 में मोल्दोवा के रास्ते यूक्रेन के ओडिसा पहुंचे मेडिकल फाइनल ईयर के छात्र सूरज प्रकाश उपाध्याय बताते हैं कि मौजूदा हालात में एक तरफ पढ़ाई की चुनौती है, वहीं दूसरी तरफ परीक्षा में बदलाव के कारण भविष्य धुंधला नज़र आ रहा है. ऐसे में हम यहां फंस गए हैं. डिग्री लिए बिना लौटने का मतलब होगा ज़िंदगी के 6 साल गंवाकर खाली हाथ लौटना. वहीं, अगर यहां रुकते हैं तो यह पता नहीं कि इस तरह कब और कैसे पास होंगे?

एबीपी न्यूज़ से बातचीत में सूरज ने कहा कि भारतीय छात्र अपने-अपने मेडीकल यूनिवर्सिटी में इस मामले को उठाने के साथ ही यूक्रेन सरकार के साथ भी शिकायत दर्ज करा रहे हैं. इसके साथ ही भारत सरकार से भी मदद की अपील कर रहे हैं. ताकि इस मसले को सुलझाया जा सके और उनका भविष्य खराब न हो.

मैदान-ए-जंग में परेशान छात्र

दरअसल, मामला यूक्रेन की मेडिकल शिक्षा प्रणाली में होने वाली क्रोक परीक्षा से जुड़ा है. यह परीक्षा तीसरे और फाइनल ईयर के छात्रों को देनी होती है. डिग्री हासिल करने के लिए इस परीक्षा का पास करना ज़रूरी होता है. छात्रों का आरोप है कि उन्हें बिना बताए इसका 15 साल से चला आ रहा पैटर्न बदल दिया गया. तैयारी के लिए निर्धारित मटेरियल से बाहर के सवाल सिलेबस में आ गए. ऐसे में अब अधिकतर छात्रों के लिए 23 मई को पास होना मुश्किल नज़र आ रहा है.

हालांकि अभी इस परीक्षा के नतीजे आना बाकी हैं. जून की शुरुआत में क्रोक परीक्षा के रिजल्ट आएंगे. इसके बाद छात्रों को प्रैक्टिकल परीक्षा भी देनी होगी. उसके बाद ही डिग्री मिल सकेगी. बताया जा रहा है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों से धैर्य बनाए रखने की अपील कर रहा है. लेकिन मैदान-ए-जंग में परेशान छात्र पढ़ाई और भविष्य को लेकर चिंतित हैं.

मोदी और जेलेंस्की के बीच मुलाकात

महत्वपूर्ण है कि बीते दिनों हिरोशिमा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की के बीच मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात के दौरान भी दोनों नेताओं की बातचीत में भारतीय छात्रों का मुद्दा उठा था. पीएम मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को भारतीय छात्रों के मुद्दे पर सहयोग करने के लिए आभार भी जताया था.

फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने विशेष अभियान चलाकर यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकाला था. इसमें एक बड़ी संख्या भारतीय छात्रों की थी. भारत लौटने के बाद इन छात्रों को भारतीय मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर की सुविधा भी दी गई. लेकिन बहुत से छात्र इसका लाभ नहीं उठा पाए. ऐसे में बड़ी संख्या में छात्र पड़ोसी देशों के रास्ते वापस यूक्रेन लौटे हैं और विभिन्न कॉलेजों में अपनी डिग्री पूरी करने में जुटे हैं.

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