उत्तर प्रदेशभारत

पहले मंदिर, फिर कूप और अब ऐतिहासिक बावड़ी, संभल में कदम कदम पर मिले रहे सनातन के ये निशान

पहले मंदिर, फिर कूप और अब ऐतिहासिक बावड़ी, संभल में कदम कदम पर मिले रहे सनातन के ये निशान

संभल में कई जगह पर मिले मंदिर और कूप

उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी संभल अब एक बार फिर से धार्मिक नगरी का रूप लेती जा रही है. संभल में रोज कहीं ना कहीं मंदिर, कुएं, पुरानी इमारतें निकल रही हैं. इसी क्रम में अब जिले के चंदौसी में प्राचीन बावड़ी भी निकल कर सामने आई है. इस बावड़ी रहस्य उजागर होने के बाद प्रशासन ने बावड़ी की खुदाई का काम शुरू कर दिया है. उधर, चंदौसी के राजपरिवार ने इस बावड़ी पर दावा भी ठोंक दिया है. इस राजपरिवार की अंतिम महारानी सुरेंद्र बाला की पोती शिप्रा ने इसे अपनी दादालाई की प्रापर्टी बताया है.

राजकुमारी शिप्रा ने इस संबंध में TV9 भारतवर्ष से बात की. कहा कि यह बावड़ी साल 1857 में उनके पूर्वजों ने खुदवाई थी. तीन मंजिल की इस बावड़ी में बीच में कुआं है. वहीं तीनों तलों पर कुएं के चारों ओर सीढियां बनी हैं. सीढ़ियों के बाहरी हिस्से में बरांडे बने हैं. राजकुमारी शिप्रा के मुताबिक उनके पिता का कोई बेटा नहीं था और इस पूरी संपत्ति की ठीक से देखभाल नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में उन्होंने यहां की जमीन बेच दी थी. हालांकि उन्होंने बावड़ी नहीं बेची थी.

Sambhal

संभल बावड़ी कुएं की खुदाई में मिलीं दो सुरंगें

रेस्ट हाउस के तर्ज पर बनी थी बावड़ी

राजकुमारी शिप्रा के मुताबिक इस स्थान पर उनके परिवार की खेती की जमीन थी. उस समय जब उनके पूर्वज जब यहां खेती बाड़ी के काम के लिए आते थे, उन्हें ठहरने के लिए स्थान चाहिए था. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस बावड़ी का निर्माण साल 1857 में एक रेस्टहाउस की तर्ज पर किया गया था. यहां आसपास के लोग भी आकर ठहरते थे और कुएं से पानी पीते थे. हालांकि बाद में उन लोगों के यहां से चले जाने के बाद पहले किन्नरों ने इस बावड़ी पर कब्जा करने की कोशिश की और फिर स्थानीय लोगों ने यहां कब्जा जमा लिया.

तलाशे जा रहे हैं धर्म स्थल

पुराणों में धार्मिक नगरी संभल की पहचान के तौर पर बताया गया है कि इस नगर में 19 कुएं, 68 तीर्थ, 36 पुरे और 52 सराय होंगे. जिला प्रशासन ने इस नगर की पहचान चिन्हों की तलाश शुरू कर दी है. इसी क्रम में अब तक 19 कुओं की तलाश पूरी हो चुकी है. वहीं 6 तीर्थ भी ढूंढे जा चुके हैं. अब प्रशासन 62 अन्य तीर्थों के अलावा पुरों और सरायों की पहचान में जुटा है. इसी क्रम में संभल की शाही जामा मस्जिद से 27 किलोमीटर दूर तहसील चंदौसी में एक बावड़ी को ढूंढ निकाला गया है.

Sambhal Temple

संभल में मिला प्राचीन मंदिर

बावड़ी में कमरे, कुआं और मिले सुरंग

बावड़ी का स्ट्रक्चर सामने आने के बाद प्रशासन ने यहां खुदाई का काम शुरू किया है. बताया जा रहा है कि यह रानी की बावड़ी है. यहां कुआं पहले से था और बावड़ी साल 1857 में बनवाई गई. खुदाई के दौरान इस बावड़ी में चार कक्ष मिले हैं. इसके अंदर 12 अन्य कमरे, एक कुआं और सुरंग भी मिली है. इस बावड़ी के संबंध में पिछले दिनों संपूर्ण समाधान दिवस के मौके पर डीएम को शिकायत मिली थी. इसमें कहा गया था कि लक्ष्मण गंज में पहले बिलारी की रानी की बावड़ी थी. इस शिकायत की जांच के दौरान इस बावड़ी का स्ट्रक्चर सामने आया है.



Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button