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shah rukh khan amitabh bachchan jagjit singh and yash chopra worked together for atal bihari vajpayee

बॉलीवुड कमाल की जगह है. ये किस्सों की खान है. जहां गंभीर, मजेदार और दिलचस्प कहानियां मिलती ही जाएंगी. बस आपको एक बार इस खान में कदम रखने की जरूरत है. आज हम ऐसे ही एक किस्से के बारे में बात करेंगे, जब अलग-अलग फील्ड के लीजेंड एक साथ आए थे. 

जब इस किस्से में इस्तेमाल हुए नामों को पढ़ेंगे तो आप भी यही कहेंगे कि हां ये सुनने और सुनाने लायक किस्सा है. इस किस्से में पहला नाम है भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का. दूसरा नाम है गजल की दुनिया के सम्राट जगजीत सिंह का और तीसरा नाम है बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान का. इसके अलावा, एक नाम और बचता है और वो है हिंदी सिनेमा के शहंशाह अमिताभ बच्चन का. इस किस्से के किरदार ये चारों हैं. लेकिन एक और किरदार है इस किस्से में, और वो है यश चोपड़ा का नाम.

क्या जोड़ता है इन पांचों को?
जैसा कि सबको पता है कि अटल बिहारी वाजपेयी एक कुशल वक्ता और अच्छे कवि थे. अमिताभ बच्चन की आवाज में बोले गए शब्दों और शाहरुख खान के स्क्रीन प्रेजेंस के जादू के बारे में भी आप जानते ही होंगे. गजल में जगजीत सिंह का कोई सानी है ही नहीं. जब इन चारों को एक साथ मिला दें, तो जो कुछ भी सामने आता है वो सिर्फ और सिर्फ जादू होता है. यही किया गया था साल 2002 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की मशहूर कविता ‘क्या खोया क्या पाया’ को पर्दे पर उतारा गया. उनके गाने को अपने अंदाज में जगजीत सिंह ने गाया और ये गाना फिल्माया गया शाहरुख खान पर. गाने की शुरुआत में कविता की कुछ पंक्तियां अमिताभ की आवाज में भी सुनाई देती हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=1sTeazC0x98

संवेदना नाम से रिलीज हुआ था ये एल्बम
इस एल्बम का नाम संवेदना रखा गया था. पूर्व पीएम अटल बिहारी की कविता ‘क्या खोया क्या पाया’ को गजल में तब्दील करके गाने वाले जगजीत सिंह ने इस गाने को कंपोज भी किया था. गाने को डायरेक्ट करने का जिम्मा खुद बॉलीवुड के सबसे बड़े डायरेक्टर्स में से एक यश चोपड़ा ने लिया था. इसके अलावा, अटल बिहारी वाजपेयी की किताब संवेदना जिस पर ये गाना आधारित है वो साल 1999 में जारी की गई थी.

क्या खास है इस गीत में
ये गाना यथार्थवादी दुनिया का सच दिखाता है. आइना दिखाता है उस दुनिया का जहां आप हम सब एक पल के लिए ठहरते हैं और सोचते हैं कि जीवन क्या है. हम क्यों आए हैं इस धरती पर. गाने की शुरुआत में अमिताभ की आवाज में बोले गए ये शब्द गीत शुरू होने से पहले ही इस बात का हिंट भी दे देते हैं-”रिश्ते नाते की गलियों और क्या खोया क्या पाया के बाजारों से आगे, सोच के रास्ते में कहीं एक नुक्कड़ आता है, जहां पहुंचकर इंसान एकाकी हो जाता है, तब जाग उठता है कवि फिर शब्दों के रंगों से जीवन की अनोखी तस्वीरें बनती हैं, कविताएं और गीत सपनों की तरह आते हैं और कागज पर हमेशा के लिए अपने घर बना लेते हैं”

इस गीत के 3 किरदार अब इस दुनिया में नहीं हैं. यश चोपड़ा का साल 2012 में और अटल बिहारी वाजपेयी 2018 में ये दुनिया छोड़कर चले गए. यश चोपड़ा ने अपनी आखिरी फिल्म ‘जब तक है जान’ के रिलीज से पहले ही दुनिया को अलविदा कह दिया था. वहीं, जगजीत सिंह ने साल 2011 में अपनी आखिरी सांसें लीं.

ये किस्सा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आपको पता चल सके कि बहुत कुछ ऐसा है जो कमाल का है. जिसे सुनकर और देखकर सुकून मिलता है. हो सकता है आपने ये गीत सुना हो, लेकिन अगर नहीं सुना तो जरूर सुनिएगा. 5 लीजेंड की मेहनत का फल है ये गीत. इसलिए ये किस्सा सुनाना जरूरी भी है. 

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