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Swami Prasad Maurya Resigns: ‘मेरा बयान निजी कैसे’… स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से दिया इस्तीफा | Swami Prasad Maurya resigns from National General Secretary of Samajwadi party Akhilesh Yadav stwn

Swami Prasad Maurya Resigns: 'मेरा बयान निजी कैसे'... स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से दिया इस्तीफा

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी में अपने पद पर हो रहे भेदभाव की वजह से इस्तीफा दे दिया है. आए दिन अपने बयानों की वजह से विवादों में बने रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष के लिए एक लंबा-चौड़ा लेटर लिखा है. इस लेटर मे उन्होंने पार्टी के अंदर उनके पद पर हो रहे भेदभाव और बयानों पर दूसरे नेताओं की टिप्पणी को आधार बनाया है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफे में दो अहम बातों का जिक्र किया है जिसकी वजह से वह अपने पद पर अब नहीं बने रहना चाहते हैं.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने बयानों की वजह से बढ़ रहे पार्टी के जनाधार का जिक्र किया है और लिखा है कि उनके अथक प्रयासों की वजह से 2022 में हुए चुनाव में पार्टी ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया था और विधायकों की संख्या जो कि बहुत कम रह गई थी 110 तक पहुंच गई. उन्होंने इस्तीफे में अपने बयानों को दूसरे नेताओं द्वारा दिए बयानों में ‘निजी’ बताए जाने पर आपत्ति की है. उन्होंने लेटर में यह भी लिखा है कि उनके बयानों से बढ़ा जनाधार पार्टी का है तो उनके बयान निजी कैसे?

इन दो वजहों से दिया इस्तीफा

स्वामी प्रसाद ने अपने लेटर में मुख्य रूप से दो वजहों को हाईलाइट किया है जिसकी वजह से वह दुखी होकर अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने इस्तीफे में लिखा कि उनके बयानों को उन्ही के बराबर पार्टी में पद रखने वाले नेताओं ने निजी बयान बताया. उन्होंने इस पर सवाल किया है कि वह राष्ट्रीय महासचिव हैं और उनके बयान निजी कैसे हो सकते हैं जबकि दूसरे उनके ही स्तर के पार्टी के नेताओं के बयान पार्टी के हो जाते हैं.

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स्वामी ने दूसरी बड़ी वजह बताई कि उन्होंने जब दलित-पिछड़ों के हक की बात कही और उनका स्वाभिमान उन्हें याद दिलाया तो दलितों और पिछड़ों का रुझान समाजवादी पार्टी की ओर हो गया. उन्होंने सवाल किया कि उनके बयानों से बढ़ा हुआ जनाधार पार्टी का हो गया लेकिन उनके वक्तव्य निजी कैसे? उन्होंने लिखा है कि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, इसलिए इस महत्वहीन पद पर बने रहना उनके लिए ठीक नहीं है.

दुखी हैं स्वामी प्रसाद मौर्य

स्वामी प्रसाद मौर्य ने पद से इस्तीफा देते हुए कई कारण गिनाए हैं, उन्होंने इस मामले मे दुख भी जाहिर किया है कि उनकी बातों पर अमल नहीं किया जा रहा है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा है कि उन्होंने जातिवार जनगणना, अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ों के आरक्षण को बचाने, बेरोजगारी-महंगाई, किसानों की समस्या, लोकतंत्र और संविधान को बचाने और प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ प्रदेश स्तर पर यात्रा निकालने की सलाह दी धी. इस पर आश्वासन दिया गया लेकिन सकारात्मक परिणाम नहीं रहे इसकी वजह से स्वामी प्रसाद दुखी हैं.

दलितों-पिछड़ों के सम्मान को जगाया

स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने इस्तीफे में इस बात का भी जिक्र किया है कि उन्होंने उन दलित, पिछड़ों और आदिवासियों के हित की बात कही जो कि बीजेपी के फैलाए जाल में फंस गए थे. उनके स्वाभिमान को जगाने का काम स्वामी ने किया. स्वामी ने यह भी लिखा है कि उन्होंने ढोंग-पाखंड पर भी प्रहार किया. इस पर पार्टी के ही कई नेता उनके खिलाफ बात करते हुए नजर आए और उनके बयानों को निजी बयान बताया गया. हालांकि इसे भी उन्होंने अन्यथा नहीं लिया.

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